जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने थलसेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला
July 1, 2024नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर कार्य करने का व्यापक अनुभव रखने वाले जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार को भारतीय थलसेना के 30वें प्रमुख के रूप में पदभार संभाल लिया। उन्होंने जनरल मनोज पांडे का स्थान लिया है, जो थलसेना में चार दशक से अधिक की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं। जनरल द्विवेदी ऐसे समय में सेना प्रमुख बने हैं जब भारत, चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित अनेक सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
व्यापक अनुभव और शानदार ट्रैक रिकॉर्ड
सेना ने एक बयान में कहा, “जनरल द्विवेदी के पास अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए प्रभावी योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने का व्यापक अनुभव एवं शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है।” जनरल द्विवेदी 19 फरवरी को सेना के उप प्रमुख का कार्यभार संभालने से पहले 2022-2024 तक उत्तरी कमान के ‘जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ’ रहे थे।
करियर की शुरुआत और अनुभव
मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सैनिक स्कूल के छात्र रहे जनरल द्विवेदी 15 दिसंबर 1984 को भारतीय सेना की 18 जम्मू कश्मीर राइफल्स में शामिल हुए थे। उन्होंने बाद में इस इकाई की कमान भी संभाली थी। जनरल द्विवेदी को सेना की उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी कमान में विभिन्न अभियानों में काम करने का व्यापक अनुभव है।
सेना की समग्र क्षमता बढ़ाने पर जोर
सेना ने कहा कि जनरल द्विवेदी का लक्ष्य सेना की समग्र क्षमता को बढ़ाने के लिए देश की जीवंत, सक्षम और उत्पादक प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाकर महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के समावेश को बढ़ाना है। “वह ऐसे समय में सेना प्रमुख का पदभार संभाल रहे हैं, जब वैश्विक भू-रणनीतिक माहौल गतिशील बना हुआ है तथा तकनीकी प्रगति और आधुनिक युद्ध के निरंतर बदलते स्वरूप के कारण सुरक्षा क्षेत्र में चुनौतियां और अधिक स्पष्ट होती जा रही हैं।”
एकीकृत कमान और अन्य चुनौतियाँ
सेना प्रमुख के तौर पर, जनरल द्विवेदी को एकीकृत कमान शुरू करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर नौसेना तथा वायुसेना के साथ तालमेल बनाना होगा। सेना ने कहा, “राष्ट्र के समक्ष उभरते सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए अभियानगत तैयारी सेना प्रमुख के लिए काफी महत्वपूर्ण कार्य होगा।”
राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान
सेना ने एक विज्ञप्ति में कहा, “देश की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में, असंख्य गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिए एक केंद्रित प्रतिक्रिया रणनीति भी प्राथमिकता होगी। जनरल द्विवेदी ने महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में ‘ग्रे जोन परिस्थितियों’ (युद्ध और शांति के बीच की स्थिति) से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”
आधुनिक और उभरती प्रौद्योगिकियों की समझ
जनरल द्विवेदी को सुरक्षा क्षेत्र में आधुनिक और उभरती प्रौद्योगिकियों की गहरी समझ है तथा अभियानों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए सैन्य प्रणालियों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग एवं एकीकरण करने के लिए उनके पास एक विचारशील दृष्टिकोण है। “यह दृष्टिकोण भारतीय सेना द्वारा आत्मनिर्भरता के माध्यम से अपने आधुनिकीकरण और क्षमता विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी प्रयास के अनुरूप है।”
पुरस्कार और सम्मान
करीब 40 साल के अपने लंबे और असाधारण करियर में वह विभिन्न पदों पर रहे। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक तथा अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है। अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी सेना के कमांडर के तौर पर जनरल द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों के संचालन के अलावा, उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर अभियान के संचालन की योजना और कार्यान्वयन के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन एवं अभियान संबंधी अंतर्दृष्टि प्रदान की है। उन्होंने सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए चीन के साथ जारी वार्ता में सक्रिय रूप से भाग लिया और भारतीय सेना की सबसे बड़ी सैन्य कमान के आधुनिकीकरण में भी शामिल रहे हैं। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियारों को अपनाने के अभियान का भी नेतृत्व किया।