आसान समझ रहे हों कहीं कठिन साबित न हो…
May 9, 2024राजनीति में ब़डी़ जिम्मेदारी मिलने का मतलब होता है कि आदमी का महत्व बना हुआ है,उसका उपयोग पार्टी के राजनीतिक फायदे के लिए किया जा सकता है। इससे कई तरह का संदेश क्षेत्र के लोगों को जाता है। एक सीधा संदेश तो यह होता है कि नेता का राजनीतिक महत्व चुनाव में हार के बाद आलाकमान की नजर में कम नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को रायबरेली जहां से राहुल गांधी लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, उनको जिताने के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया है।वह राहुल गांधी को जिताने के लिए ९ मई को रायबरेली के लिए रवाना भी हो गए हैं।
ऐसा नहीं है कि भूपेश बघेल को पहली बार पर्यवेक्षक बनाया गया है। इससे पहले भी वह असम, यूपी, हिमाचल आदि राज्यों के चुनाव में पर्यवेेक्षक बनाए गए थे, लेकिन चुनाव जिताने में सफलता हिमाचल में ही मिली थी.असम यूपी में वह कांग्रेस को नहीं जिता सके थे। चूंकि अभी रायबरेली में राहुलगांधी काे जिताने का जिम्मा प्रियंका गांधी को मिला है। राहुल गांधी तो पूरे देश में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, इसलिए राहुल गांधी को रायबरेली से जिताने के लिए प्रियंका गांधी को वहां भेजा गया है। भूपेश बघेल प्रियंका के खेमे के होने के कारण जहां भी प्रियंका गांधी को भेजा जाता है, वहां प्रियंका गांधी भूपेश बघेल को जरूर मदद के लिए बुलाती हैं।
इससे पहले भूपेश बघेल प्रियंका गांधी की हर तरह की मदद यूपा व हिमाचल में कर चुके हैं। वह भरोसे के हैं, चूकि अभी राहुल गांधी को रायबरेली के जिताना जरूरी है इसलिए प्रियंका गांधी अपने भरोसे के लोगों को वहां बुला रही हैं। राहुल गांधी को रायबरेली से जिताना बड़ा काम है। क्योंकि इसमें किसी तरह की लापरवाही न हो इसके लिए पूरी सावधानी बरती जा रही है। रायबरेली गांधी परिवार की परंपरागत सीट है, यह सीट अगर कांग्रेस नहीं जीत पाती है तो इससे पार्टी की बड़ी फजीहत होगी कि कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि वह गांधी परिवार की परंपरागत सीट तक नही जीत पाई।
रायबरेली में गांधी परिवार की प्रतिष्टा दांव पर लगी हुई है। इसलिए गांधी परिवार हर हाल में यह सीट जीतना चाहता है। इसलिए यहां ऐसे लोगों को बुलाया गया है जो गांधी परिवार के खास है,जिन पर गांधी परिवार की कृपा रही है और जो गांधी परिवार के लिए तन,मन और धन से काम कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ से भूपेश बघेल भी ऐसे ही नेता है्। उनको पर्यवेक्षक बनाया गया है तो इसका संदेश राज्य में यही जाएगा कि भूपेश बघेल का महत्व अभी भी दिल्ली में कम नहीं हुआ है, वह परिवार के लिए आज भी विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद भी मह्त्व रखते हैं।
यह बात तो सभी जानते हैं कि भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की राजनीति में ही रहना चाहते हैं.यहीं काम करना चाहते हैं।इसके लिए उन्होंने लोकसभा चुनाव न लड़ने की बात भी कही थी। बाद में दिल्ली के दवाब में उनको राजनांदगांव से चुनाव लड़ना पड़ा। राजनांदगांव लोकसभा सीट जीतना उनके लिए एक बडी चुनौती तो थी है, अब राहुल गांधी को जिताने की चुनौती उनके सामने हैं। अगर राहुल गांधी रायबरेली से जीत जाते हैं तो इसका श्रेय भूपेश बघेल को भी मिलेगा।
उन्होंने राहुल गांधी को जिताने में प्रियंका की मदद की इसलिए वह भी प्रियंका गांधी से संकट के समय मदद की उम्मीद कर सकेंगे। पहले भी संकट के समय प्रियंका गांधी ने भूपेश बघेल की मदद की है।राहुल गांधी के जीतने पर आगे भी करेंगी। कुछ भी हो सकता है क्योंकि राहुल गांधी को हराने के लिए भाजपा की एड़ी चोटी का जोर लगाएगी। इसलिए राहुल गांधी को जिताना बहुत ही मुश्किल काम है, अगर राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव हार गए तो इसका खामियाजा उन तमाम लोगों को भुगतना पड़ सकता है जो रायबरेली उनको चुनाव जितान गए थे। भूपेश बघेल विधानसभा चुनाव को जीतना आसान काम समझ रहे थे, लेकिन वह तो बहुत कठिन काम निकला।रायबरेली में राहुल गांधी को जिताना आसान काम समझ रहे तो कहीं वह भी बहुत कठिन काम न साबित हो।