शोध पत्र लिखने पर भी ध्यान दें चिकित्सक
October 27, 2022लखनऊ ,27 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरूवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) समेत राज्य के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के डॉक्टरों को शोध पत्र लिखकर उन्हें प्रकाशित कराने की सलाह दी। योगी ने कहा कि डॉक्टर सिर्फ मरीजों के इलाज तक ही सीमित न रहें, बल्कि शोध पत्र लिखने की आदत भी डालें। मुख्यमंत्री ने केजीएमयू के नवनिर्मित वैस्कुलर सर्जरी एवं थोरेसिक सर्जरी विभाग के उद्घाटन और एशिया की पहली पैथोजेन रिडक्शन मशीन के लोकार्पण के अवसर पर कहा, केजीएमयू के कुछ शिक्षकों को दुनिया में अच्छे वैज्ञानिक के रूप में मान्यता मिली है, लेकिन अब भी हमें बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
योगी ने कहा, नए मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए जब हम वर्तमान मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को शिक्षक के तौर पर नियुक्त करने की बात कहते हैं तो एनएमसी (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) कहता है कि उसे इसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन समस्या यह है कि उन डॉक्टरों ने एक भी शोध पत्र नहीं लिखा है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि जब हम शोध पत्र ही नहीं लिख पा रहे हैं तो पेटेंट करने की दिशा में भी हमारी प्रगति लगभग शून्य जैसी दिखती है। केजीएमयू में मरीजों की कमी नहीं है, लेकिन हमारे शोध पत्र कहां हैं। हमारे प्रकाशन कहा हैं।
योगी ने सलाह दी कि शोध पत्र लिखने की आदत को भी हमें अपनी रोजाना की कार्य पद्धति का हिस्सा बनाना पड़ेगा और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारी प्रगति बाधित होगी। उन्होंने डॉक्टरों से कहा, हमें लिखने की आदत भी डालनी चाहिए। केवल उपचार तक ही सीमित न रहें। केजीएमयू की तरफ से नए शोध पत्र आएं, हर संकाय सदस्य की तरफ से, हर विभाग की तरफ से, हमें अपने शोध पत्र प्रकाशन के लिए देने चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि केजीएमयू के जितने भी विभाग हैं, उनका कोई न कोई लेख अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित होना चाहिए।
उन्होंने कहा, हमें केजीएमयू जैसे संस्थान को नए सिरे से आगे बढ़ाना पड़ेगा। हम समय से दो कदम आगे चलेंगे तो ही समाज हमारा अनुकरण करेगा और अगर हम समय के अनुरूप नहीं चल पाएंगे तो समाज हमें दुत्कारेगा और अविश्वास की नजरों से देखेगा। योगी ने कहा, केजीएमयू ने लंबी यात्रा तय की है। आज से पांच साल पहले केजीएमयू ने अपने 100 वर्ष की यात्रा पूरी की थी और यह किसी भी संस्थान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने कहा, 100 वर्षों के सफर का आकलन करने का एक आधार होता है। लेकिन इन 100 वर्षों में चिकित्सा विज्ञान में बहुत प्रगति हुई है। हम इस प्रगति में कहां ठहरते हैं, इसका मूल्यांकन हमें अपने स्तर पर करना होगा।