आखिर यूपी में क्या सियासी गुल खिलाएगी राहुल-अखिलेश की जोड़ी?
April 21, 2024उत्तरप्रदेश में पहले चरण के मतदान से दो दिन पहले यानी गत बुद्धवार को दिल्ली से सटे गाजियाबाद महानगर के कौशांबी स्थित फाइव स्टार होटल रेडिसन ब्लू सभागार में, गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र की इंडिया गठबंधन की कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा के समर्थन में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जो संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया, उसके सियासी मायने स्पष्ट हैं। यहां के शानदार मंच से दोनों नेताओं ने भाजपा की मोदी सरकार के प्रति जो तल्खी दिखाई, उससे यह सवाल उभरकर सामने आया कि आखिर यूपी में क्या सियासी गुल खिलाएगी राहुल-अखिलेश की जोड़ी?
आपको पता होना चाहिए कि यूपी में कांग्रेस-सपा गठबंधन होने के बाद पहली बार दोनों नेता एक साथ, एक मंच पर दिखाई दिए और पत्रकारों के लाख कुरेदने के बावजूद भी संतुलित और सधे हुए अंदाज में जो बातें कहीं, उसके राजनीतिक मायने स्पष्ट हैं।
पहला यही कि कांग्रेस-सपा की यह युगलबंदी लंबी चलेगी। क्योंकि पीएम पैदा करने वाले इस प्रदेश से यदि भाजपा और एनडीए गठबंधन को खदेड़ना है, तो पीएम के हवा-हवाई मुद्दों की बजाए राहुल गांधी-अखिलेश यादव के जमीनी मुद्दों यानी कांग्रेस की गारंटी (जिसमें इंडिया गठबंधन के मुद्दों को समाविष्ट किया गया है) की बात पर जोर देना होगा। कांग्रेस की गारंटी का मतलब समाज के समस्त दबे-कुचले लोगों के परवरिश और उत्थान की बात, जैसा कि उसमें समाविष्ट किया हुआ है। साफ शब्दों में कहें तो किसान-मजदूर-कारीगर, युवा, महिलाएं, कुटीर-लघु कारोबारी आदि के हित।
दूसरा, रामनवमी के दिन ही इंडिया गठबंधन के पहले संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन होने और इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा नेता अखिलेश यादव द्वारा देशवासियों और पत्रकारों को रामनवमी की बधाई देने का स्पष्ट मकसद है कि इंडिया गठबंधन सनातन मर्यादाओं की उपेक्षा अब नहीं करेगा। क्योंकि 2014 और 2019 का नजीर उसके सामने है। लिहाजा, 2024 में पुरानी गलतियों से सबक लेने की कोशिश की गई है। शुरुआत भी अच्छी है।
तीसरा, इस प्रेस वार्ता में राहुल गांधी का यह कहना कि ये चुनाव विचारधारा का चुनाव है, काफी अहम है। उनके शब्दों में, ‘एक तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा लोकतंत्र और संविधान को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस नीत इंडिया गठबंधन देश में लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई लड़ रही है।” इससे साफ है कि कांग्रेस अपने पुराने मुद्दे पर अडिग है और सावधानी पूर्वक नए मुद्दों से खुद को जोड़ रही है, जो अच्छी बात है।
चतुर्थ, बकौल राहुल गांधी, “इस चुनाव में 2-3 बड़े मुद्दे हैं। वह है महंगाई, बेरोजगारी और भागीदारी। लेकिन इसके बारे में ना तो प्रधानमंत्री बात कर रहे हैं और ना ही बीजेपी बात कर रही है।” यही वजह है कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर सीधे हमला बोलते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कभी मुद्दों पर बात नहीं करते। मुद्दों पर बात करने की बजाय कभी वह समुद्र की गहराईयों में चले जाते हैं, तो कभी वह आसमान में सी प्लेन पर चले जाते हैं। संभवतया जनता भी इस बात को समझने लगी है, जिससे यूपी में राहुल-अखिलेश का ग्राफ ऊंचा उठने के संकेत मिलने लगे हैं।
पांचवां, राहुल गांधी ने कहा कि पीएम ने एक साक्षात्कार में इलेक्टोरल बॉन्ड को सही बताया और चुनाव में पारदर्शिता लाने के लिए इसे जरूरी बताया। यदि यह सच है तो इस सिस्टम को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द क्यों किया? उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने भाजपा को चुनाव के नाम पर करोड़ों की रकम दी, भाजपा उनका नाम क्यों नहीं उजागर कर रही है। उन्होंने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए यहां तक कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड अपने आपमें दुनिया का सबसे बड़ा संगठित घोटाला है। इसमें सरकारी एजेंसी और बीजेपी नेतृत्व की दोनों भूमिका संदेहास्पद है। इस प्रकार इलेक्टोरल बांड सबसे बड़ा एक्सटॉर्शन है। पीएम मोदी भ्रष्टाचार के चैंपियन हैं। विपक्ष के नेता का ऐसा तेवर तभी दिखता है, जब सत्तारूढ़ सरकार का अवसान सुनिश्चित होने का फीडबैक कार्यकर्ता देते हैं।
छठा, राहुल गांधी से पहले संवाददाता सम्मेलन की शुरुआत करते हुए अखिलेश यादव का यह कहना कि “मुझे खुशी है आज हम मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं, बेहद अहम है।” उन्होंने तो साफ कहा कि यूपी में गाजियाबाद से लेकर गाजीपुर तक भाजपा का सफाया होने जा रहा है। भाजपा की हर बात झूठी निकली। न किसान की आय दोगुनी हुई, न युवाओं को रोजगार मिला, विकास के वादे भी अधूरे हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड ने इनकी पोल खोल दी है। भाजपा भ्रष्टाचारियों का गोदाम बन गई है। लूट और झूठ भाजपा की पहचान बन गई है। इसलिए मोदी-योगी सरकार से मुक्ति के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। कार्यकर्ताओं को तालमेल बिठाकर चलना होगा।
सप्तम, अखिलेश यादव का यह कहना कि गाजियाबाद यानी पश्चिम उत्तरप्रदेश से चल रही हवा पूर्वी यूपी में गाजीपुर तक जाएगी और पूरे देश में बदलाव लाएगी। हमारा इंडिया गठबंधन गाजियाबाद से गाजीपुर तक क्लीन स्वीप करेगा। हमें पूरी उम्मीद है कि इस बार केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी, काफी अहम है। उनका यह कहना कि इस बार पश्चिम से बदलाव की हवा चली है। जनता भाजपा के झूठ और वादा खिलाफी से तंग आ चुकी है। इलेक्टोरल बॉन्ड ने भाजपा की बैंड बजा दी है। भाजपा भ्रष्टाचारियों का गोदाम बनकर रह गई है। उनकी इन बातों से साफ संकेत मिलता है कि उनके द्वारा शुरू किया हुआ पीडीए अभियान अपनी जमीनी पकड़ बना चुका है, जिसका आत्मविश्वास उनके शब्दों से झलक रहा है। कांग्रेस को भी इसका फायदा मिलेगा।
अष्टम, आगामी चुनाव में सीटों की संख्या को लेकर पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए राहुल गांधी का यह कहना कि पहले उन्हें लगता था कि बीजेपी 180 सीट जीत जाएगी, लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि बीजेपी 150 सीटों पर सिमट जाएगी। इससे साफ जाहिर है कि मीडिया रिपोर्ट के उलट भी उनका जमीनी तंत्र सक्रिय है और उन्हें लगातार फीडबैक मिल रहे हैं। तभी तो उन्होंने कहा कि “हर राज्य से रिपोर्ट मिल रही है कि हम अच्छा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में हमारा गठबंधन बहुत मजबूत है और हम अच्छा करेंगे।”
नवम, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साफ कहा है कि गठबंधन तीन प्रमुख मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है। इसमें पहला बेरोजगारी, दूसरा महंगाई और तीसरा भागीदारी है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में हर बार परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होता है जिससे लाखों युवा आहत होते हैं। इसलिए, जब गठबंधन की सरकार आएगी तो वह युवाओं को रोजगार देगी। वहीं, प्रत्येक परिवार की एक महिला को सालाना एक लाख रुपये देगी। वहीं, जातीय जनगणना कराकर पिछड़े लोगों को आगे ले जाने का काम करेगी।
दशम, इंडिया गठबंधन की कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा के पक्ष में वोट करने की अपील के लिए आहूत इस संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बागपत से सपा प्रत्याशी अमरपाल शर्मा के अलावा अन्य दो गठबंधन प्रत्याशियों को साथ खड़ा करके पत्रकारों को सामूहिक फोटो दिए। इस दौरान उन्होंने अपने गठबंधन के सभी प्रत्याशियों के लिए मतदान करने की अपील की। वहीं, मंच पर राष्ट्रीय महासचिव व उत्तरप्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय, उत्तरप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय, एआईसीसी के संचार प्रमुख जयराम रमेश, सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत, पूर्व सपा मंत्री शाहिद मंजूर व अन्य राजनेतागण की उपस्थिति से साफ संकेत मिलता है कि रणनीतिक स्तर पर पार्टी और गठबंधन कोई चूक करना नहीं चाहते हैं। वहीं, डॉली शर्मा द्वारा आयोजित किये गए इस शानदार व बेमिसाल प्रेस कॉन्फ्रेंस ने अन्य प्रत्याशियों में भी होड़ पैदा करने का कार्य कर चुकी है, जो सबके बस की बात नहीं है।
खास बात यह कि पत्रकारों ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव की कमजोरी और मजबूती को लेकर, इंडिया गठबंधन और एनडीए को लेकर जितने भी तल्ख सवाल किए, उसका बेलाग जवाब देकर दोनों नेताओं ने यह साबित कर दिया कि यूपी में कोई नया सियासी गुल खिलाएगी राहुल-अखिलेश की जोड़ी। तैयारी पूरी है, बस जनादेश की जरूरत है, जिसके लिए तमाम सधी हुई पहल की जा रही है।