कोरबा ब्रेकिंग: सरकार ने बालको को बेचीं थी पुलिस की आवासीय परिसर
March 11, 2024पुलिस वाले किराए के मकान में रहने को मजबूर
कोरबा, 11 मार्च I वेदांता समूह के भारत अल्युमिनियम कंपनी के क्वार्टर में पुलिस वालों ने अपना कब्जा जमा लिया है यह सुनने और पढ़ने में बहुत आता है लेकिन हकीकत कुछ और ही है I वेदांता प्रबंधन ने बालको थाना के पीछे बने आवासीय परिसर को कूट रचना कर पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है और अभी वहां पर कूलिंग टावर का निर्माण किया गया है I वेदांता के कर्मचारी तो बालको थाने को भी खाली करने की मंशा रखते हैं लेकिन वेदांता प्रबंधन के गलत तरीके की वजह से प्रबंधन ही खुद शासन प्रशासन के नियमों में फंस जाता है I
वेदांता ने बालको परिहार में ही एक नया थाना और आवासीय परिसर 13 एकड़ भूमि में बनाया है जिसके लिए कई वर्षों से प्रयास लगाया जा रहा है कि थाना नए भवन में शिफ्ट हो सके लेकिन जो नए पुलिस आवासीय परिसर और थाना बनाए गए हैं Iवह वन विभाग के अनुसार बड़े झाड़ के जंगलों में बनाए गए हैं जिसकी वजह से वर्षों बाद भी बालको थाना परिसर आज भी अपने पुराने अस्तित्व में और वही वेदांता प्रबंधन द्वारा नया थाना बनाया गया है जो अब खंडहर बन चुका है। वेदांता प्रबंधन ने जब से भारत अल्युमिनियम कंपनी को अधिग्रहित किया है तब से मनमाने तरीके से कुछ भी करने से बाज नहीं आ रहा है। पहले भी वेदांता की लापरवाही की वजह से ही 41 लोगों की जान गई, वेदांता प्रबंधन नियमों को ना मानते हुए अपनी मनमानी हमेशा से करता आ रहा है।
जानिये क्या है मामला
पुलिस विभाग ने बालको की अनुमति से थाना भवन और आवासीय परिसर का निर्माण किया था। इसके लिए बालको ने पुलिस विभाग को ग्राम रिसदी की 12एकड़ 98 डिसमिल भूमि मुहैया कराया गया था। लेकिन किसी कारणवश पुराने थाने के सामने ही 13 एकड़ जमीन में नया थाना और आवासीय परिसर बनाया गया है जो कि वन विभाग के अधिकारियों अनुसार बड़े झाड़ के जंगल है जिसकी अनुमति वेदांता ने निर्माण से पहले नहीं लिया था जिसकी वजह से नया थाना अब खंडहर के रूप में तब्दील हो गया है I
चूंकि भूमि प्रदेश सरकार से सरकारी कंपनी बालको को टाउन बनाने के लिए लीज पर मिली थी। लिहाजा पुलिस विभाग में सरकारी कंपनी की भूमिका भूस्वामित्व अधिकार परिवर्तित नहीं करावी सन् 2001 में बालको के बाद परिस्थितिया बदल गई । थाने और आवासीय परिसर को मुल्यमित्य अधिकार से करनी वेदांत समूह के हाथों में चली गई। वेदांत के दबाव में सरकार ने आनन-फानन में आवासीय परिसर पॉवर को सौंप दी। वेदांत सह पुलिस विभाग को नए भवन का निर्माण करके देगी। ऐसा बालको के अधिकारियों का कहना है I
सुलगते सवाल –
- सरकार ने कब्जा सौंपने में जल्दबाजी क्यों दिखाई।
- भू-अधिकार के बिना लाखों का निर्माण क्यों कराया गया।
- विनिवेश के दस वर्ष बाद भी सरकार ने भू-अधिकार के सवाल पर चुप्पी क्यों साधी रही।
- सरकार कोर्ट के शरण में क्यों नहीं गई। क्षतिपूर्ति का दावा भी नहीं किया गया।
- नए आवासीय परिसर निर्माण के बिना परिसर को क्यो तोड़ा गया।