Article 370 पर आज आएगा Supreem Court का फैसला, जानें अब तक Court में क्या हुआ, किसने दिए क्या तर्क

Article 370 पर आज आएगा Supreem Court का फैसला, जानें अब तक Court में क्या हुआ, किसने दिए क्या तर्क

December 11, 2023 Off By NN Express

नईदिल्ली I सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सोमवार (11 दिसंबर) को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिनों की बहस के बाद 5 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सोमवार को यह फैसला सुनाएगी. जनरल आर वेंकटरमाणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरी और अन्य ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने ने कोर्ट में केंद्र सरकार के फैसले की पैरवी की. वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलें पेश कीं.

सुप्रीम कोर्ट में विस्तार हुई बहस
 इस दौरान वकीलों ने 5 अगस्त 2019 को केंद्र के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की वैधता, राज्यपाल और राष्ट्रपति शासन को चुनौती और राष्ट्रपति शासन के विस्तार सहित विभिन्न मुद्दों पर बहस की.  गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं 2019 में संविधान पीठ को भेजी गईं थीं.  सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब जम्मू-कश्मीर में  कोई संविधान सभा मौजूद नहीं हो तो क्या उसकी सहमति ऐसा कदम उठाने से पहले जरूरी होती है औरअनुच्छेद 370 को हटाने की सिफारिश कौन कर सकता है?  

केंद्र ने अपने बचाव में क्या कहा?
केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना संवैधानिक फ्रॉड नहीं था . इसे कानूनी ढांचे के अनुरूप हटाया गया था. केंद्र ने तर्क दिया कि जम्मू कश्मीर का भारत में विलय अन्य रियासतों की तरह एक प्रक्रिया से हुआ था.   केंद्र सरकार ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति अस्थायी है और वह राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस दौरान सरकार ने हिंसा में गिरावट का हवाला दिया और कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां सकारात्मक परिवर्तन हुआ है.


 
याचिकाकर्ताओं का तर्क
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370, जिसे शुरू में अस्थायी माना गया था, वह जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के विघटन के बाद स्थायी हो गया था. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि संसद के पास अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए खुद को जम्मू-कश्मीर की विधायिका घोषित करने का अधिकार नहीं है. याचिकाकर्ताओं ने अनुच्छेद 370 के क्लाउज 3 का जिक्र करते हुए कहा कि इसे हटाने के लिए संविधान सभा की सिफारिश महत्वपूर्ण थी. संविधान सभा की मंजूरी के बिना इसे निरस्त नहीं किया जा सकता.

जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का रुख
जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भारत में शामिल होने पर जम्मू कश्मीर के महाराजा ने राज्य पर क्षेत्रीय संप्रभुता बरकरार रखी, लेकिन उनके पास संप्रभुता नहीं थी. हालांकि रक्षा, विदेश मामले और संचार, कानून और शासन के लिए अन्य सभी शक्तियां केंद्र के पास थीं.