किशोर सागर तालाब की दीवार पर नजर आया 13 फीट लंबा मगरमच्छ, कैमरे में कैद हुआ वीडियो

किशोर सागर तालाब की दीवार पर नजर आया 13 फीट लंबा मगरमच्छ, कैमरे में कैद हुआ वीडियो

November 13, 2023 Off By NN Express

इन दिनों शहर का सिटी ऑफ हार्ट किशोर सागर तालाब में मगरमच्छों की अठखेलियां व धूप सेंके देखा जा सकता है. पहली बार किशोर सागर तालाब में 13 फीट लंबा मगरमच्छ धूप सेकते कैमरे में कैद हुआ है.

कोटा. एजुकेशन सिटी के रूप में विख्यात शहर चंबल नदी के तट पर बसा है कोटा शहर देशी विदेशी परिंदों का भी घर है. यहां इन्हें इठलाते, आशियाना बनाते देखा जा सकता है. यहां नदी व तालाब में बोट में सवार होकर मगरमच्छों का विचरण पर्यटकों के लिए रोमांच का अनुभव है. इन दिनों शहर का सिटी ऑफ हार्ट किशोरसागर तालाब में मगरमच्छो की अठखेलियां व धूप सेंके देखा जा सकता है. पहली बार किशोरसागर तालाब में 13 फीट लंबा मगरमच्छ धूप सेकते कैमरे में कैद हुआ है.

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट आदिल सैफ ने बताया कि तालाब में वर्तमान में 7 से 8 मगरमच्छ है. इनमें दो 10-10 फीट लंबे है. 13 फीट लंबा मगरमच्छ तालाब को दीवार पर बैठा नजर आया. नाव में बैठकर उसके पास जाकर उसकी अठखेलियों को कैमरे में कैद किया. तालाब में बनी सीमेंट की दीवार पर दो विशालकाय मगरमच्छ आराम फरमा रहे थे.

आदिल ने बताया कि मौसम में बदलाव के साथ ही मगरमच्छ अपने शरीर के टेम्परेचर को मेंटन करते है. खासकर सर्दी के दिनों में अक्सर मगरमच्छ पानी से बाहर आकर धूप में बैठे देखे जा सकते है. फिर शाम होते ही गहराई में चले जाते है.

जब चंबल नदी से नहरों में पानी छोड़ा जाता है. उसी दौरान पानी के बहाव के साथ मगरमच्छ चंबल से निकलकर नहरों में होते हुए तालाब में पहुंच जाते है. ये मगरमच्छ ज्यादातर गुमानपुरा नहर की तरफ वाले हिस्से सेवन वंडर पार्क रोड़ की तरफ देखे जा सकते है. यहां तालाब में बनी सीमेंट की दीवार के आसपास टहलते रहते है. तालाब में इनके खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिल जाता है. इसलिए ये यही रह जाते है.

8 से 10 प्रजाति की हैं तालाब में मछलियां

आदिल ने बताया कि किशोर सागर तालाब में 8-10 प्रजातियों की मछलियां है. जिनमें रोहू, कतला, नरेन, डिगल, कैट, कलोट फिश आदि पाई जाती है. शहर से 40 किमी सुल्तानपुर क्षेत्र में नदी किनारे जामुनिया दीप है. यहां कई सारे जलीय जीव व विदेशी पक्षियों का बसेरा होने के कारण इसे हाड़ौती का आइलैंड कहा जाता है. यहां 300 से ज्यादा 2 छोटे बड़े मगरमच्छ है. इसलिए इसे मगरमच्छो की बस्ती भी कहा जाता है.