व्यर्थ में खर्च हो जाता है धन और नहीं ठहरता है पैसा….तो इस दिवाली करें ये उपाय, घर में होगा लक्ष्मी का वास
November 10, 2023Diwali 2023 : ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भगवान शिव के तीन अध्यक्ष हैं. जिसमें गणाध्यक्ष, हिमाध्यक्ष और धनाध्यक्ष शामिल हैं. उन्होंने बताया कि उनके धन के कोषाध्यक्ष के रूप में भगवान कुबेर को माना जाता है और वही धनपति भी हैं.
धन त्रयोदशी या धनतेरस के साथ शुक्रवार से दीपावली की शुरुआत हो गई है. साथ ही लोग धनतेरस पर माता लक्ष्मी की पूजा कर रहे हैं. लेकिन धनतेरस और दीपावली पर धन के देवता कुबेर की पूजा करने का विशेष महत्व है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कुबेर की पूजा करने से वैभव, ऐश्वर्य के साथ-साथ अपार धन की प्राप्ति होती है.
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोहर आचार्य बताते हैं कि दीपावली में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा करने का विधान है. माता लक्ष्मी धन और वैभव की देवी हैं, उनकी कृपा से रंक भी राजा बन जाता है, लेकिन भगवान कुबेर की पूजा करने से भी लोगों को धन की प्राप्ति होती है और उसमें स्थिरता आती है.
धन के कोषाध्यक्ष हैं भगवान कुबेर
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भगवान शिव के तीन अध्यक्ष हैं. जिसमें गणाध्यक्ष, हिमाध्यक्ष और धनाध्यक्ष शामिल हैं. उन्होंने बताया कि उनके धन के कोषाध्यक्ष के रूप में भगवान कुबेर को माना जाता है और वही धनपति भी हैं. उनके पास धन का अक्षय भंडार है, जो कभी खत्म नहीं होता है. भगवान कुबेर धन के संरक्षक भी हैं. उनके पूजा करने से धन स्थाई होता है और इसमें कोई कमी नहीं आती है.
माता लक्ष्मी धन और वैभव की देवी हैं, लेकिन वह चंचल हैं और अधिक समय तक एक जगह पर स्थित नहीं रहती है. लेकिन भगवान कुबेर में स्थिरता है और वह जहां स्थापित हो जाते हैं लंबे समय तक वहीं रहते हैं. इसलिए दीपावली और धनतेरस पर लोग भगवान कुबेर की पूजा करते हैं, ताकि उनके धन में बढ़ोतरी हो और वह सुरक्षित भी रहे.
ऐसे करें भगवान कुबेर की पूजा
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि धनतेरस और दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ भगवान कुबेर की भी पूजा करनी चाहिए. इसके लिए एक पोटली बनाकर उसे भगवान कुबेर के रूप में स्थापित कर उनकी पूजा करनी चाहिए या घर में मौजूद चांदी के आठ सिक्कों से भी भगवान कुबेर की पूजा होती है. लोग चाहे तो कुबेर श्री यंत्र खरीद कर भी उनकी पूजा कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि पूजा के लिए भगवान कुबेर को मूर्ति या तस्वीर पर नए वस्त्र चढ़ाने चाहिए.
साथ ही कमलगट्टा, धनिया, कमल और लाल गुलाब का फूल, माला, सप्तमृतिका, सप्तधान्य, दूर्वा, कुश, पंचमेवा, अक्षत, हल्दी, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान का पत्ता, पंचपाल, दूध, दही, फल, शहद, गंगाजल, शक्कर, शुद्ध घी, नैवेद्य, मिठाई, गुलाल, कपूर, यज्ञोपवीत, कुमकुम, दीपक, धूप, इलायची, लौंग, रक्षा सूत्र, इत्र और कुश का आसान इस्तेमाल कर उनकी पूजा कर सकते हैं. इस दौरान घर में मौजूद चांदी या सोने का सिक्का, नारियल और बही खाता आदि की पूजा करनी चाहिए.