क्‍या होती है सिग्‍नल ओवरशूटिंग.. क्‍यों होती है ये? जिससे हो जाते हैं रेल हादसे, आसान भाषा में यहां समझें…

क्‍या होती है सिग्‍नल ओवरशूटिंग.. क्‍यों होती है ये? जिससे हो जाते हैं रेल हादसे, आसान भाषा में यहां समझें…

October 30, 2023 Off By NN Express

दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि एक ट्रेन ने सिग्नल को “ओवरशूट” कर दिया है. इसे भारतीय रेल के शब्दों में तकनीकी रूप से ‘सिग्नल पासिंग एट डेंजर’ या एसपीएडी कहा जाता है. ऐसा तब होता है जब ड्राइवर उसे रुकने का संकेत देने वाले लाल सिग्नल को नजरअंदाज कर देता है.

नई दिल्‍ली : आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में दो ट्रेनों के बीच टक्कर में (खबर लिखे जाने तक) कम से कम 14 यात्रियों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए. कोठावलासा ‘मंडल’ (ब्लॉक) में कंटकपल्ली जंक्शन के पास विशाखापत्तनम-पलासा पैसेंजर और विशाखापत्तनम-रायगड़ा पैसेंजर के बीच यह टक्‍कर हुई. इस टक्‍कर का असर इसलिए भी ओर बढ़ गया, जब पटरी से उतरे डिब्बे बगल की पटरी पर चल रही मालगाड़ी से टकरा गए. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, ‘यह हादसा विशाखापत्तनम-रायगड़ा पैसेंजर ट्रेन के ”सिग्नल ओवरशूट” करने के कारण टक्कर हुई. दुर्घटना का संभावित कारण मानवीय भूल है’. इस तरह यह लगभग पांच महीने पहले ओडिशा में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना की पुनरावृत्ति प्रतीत होती है.

प्रारंभिक वजहों में ट्रेन के ”सिग्नल ओवरशूट” करने की वजह से इस हादसे का होना बताया गया है… आखिर रेलवे में तकनीकी तौर पर इसका क्‍या मतलब होता है, इसकी क्‍या वजहें होती हैं या हो सकती हैं, आइये इसे जानने की कोशिश करते हैं..

इस बारे में रेलवे के एक पूर्व वरिष्‍ठ अधिकारी से बात की गई. पुरानी दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन के पूर्व सीनियर सुपरिटेंडेंट एस. एन मलिक ने न्‍यूज18 हिंदी को बताया कि लोको पायलट या उसके सहायक द्वारा रेड सिग्‍नल को पार कर जाना… सिग्‍नल को इग्‍नोर कर देने की वजह से ट्रेन हादसे होते हैं. इसकी भी कई वजहें हो सकती हैं, जैसे की ड्राइवर का पूरा आराम करके नहीं आना. थकान या नींद पूरी न होने की वजह से झपकी लगना. सिग्‍नल को अनदेखा कर उसे पार कर जाना.

जरूरी नहीं की सिर्फ ड्राइवर की गलती हो?
मलिक आगे कहते हैं कि ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ ड्राइवर की गलती हो. सिग्‍नल के अंदर खराबी आ जाना. लाइन पर पत्‍थर, लोहा या अन्‍य ठोस चीज का होना, जिससे ट्रेन का पटरी से उतर जाना संभावित खतरे होते हैं. उन्‍होंने आगे कहा कि सिग्‍नलिंग, रनिंग, इंजीनियरिंग और ट्रैफ‍िक डिर्पाटमेंट रेलों को चलाने की मुख्‍य तौर पर जिम्‍मेदारी निभाते हैं. उनके अनुसार, हालांकि जब तक इंक्‍वायरी नहीं होती, तब तक किसी अंतिम विश्‍लेषण पर नहीं जाया जा सकता.

ट्रेनें कब सिग्नल से आगे निकल जाती हैं?
दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि एक ट्रेन ने सिग्नल को “ओवरशूट” कर दिया है. इसे भारतीय रेल के शब्दों में तकनीकी रूप से ‘सिग्नल पासिंग एट डेंजर’ या एसपीएडी कहा जाता है. ऐसा तब होता है जब ड्राइवर उसे रुकने का संकेत देने वाले लाल सिग्नल को नजरअंदाज कर देता है.

ओवरशूटिंग क्यों हो सकती है?
वह बताते हैं कि मानवीय भूल के परिणामस्वरूप लाल सिग्नल को पार किया जा सकता है. जैसे ड्राइवर सिग्नल को देखने में असफल हो रहा है, या उस पर प्रतिक्रिया नहीं कर रहा है. यह यांत्रिक या उपकरण विफलता के कारण भी हो सकता है, जैसे किसी कारण से ब्रेक का काम न करना.. जबकि रेलवे स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली और जिसे ‘एब्सोल्यूट ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम’ के रूप में जाना जाता है.