करवा चौथ पर छलनी में से क्यों देखा जाता है पति का चेहरा? महत्व जान आप भी होंगे खुश

करवा चौथ पर छलनी में से क्यों देखा जाता है पति का चेहरा? महत्व जान आप भी होंगे खुश

October 30, 2023 Off By NN Express

करवा चौथ की पूजा के लिए मिट्टी का करवा, छलनी और कांस के तृण का होना बेहद जरूरी होता है, लेकिन इन चीजों का क्या महत्व है और यह पूजा में क्यों आवश्यक है, यह बहुत कम लोग ही जानते हैं.

सागर: करवा चौथ की तैयारी जोरों से चल रही है. महिलाओं द्वारा जमकर खरीदी भी हो रही है. वहीं, इस पूजा के लिए मिट्टी का करवा, छलनी और कांस के तृण का होना बेहद जरूरी होता है, लेकिन इन चीजों का क्या महत्व है और यह पूजा में क्यों आवश्यक है, यह बहुत कम लोग ही जानते हैं.

पंडित बाल शुक आशीर्वाद जी महाराज बताते हैं कि करवा चौथ के दिन महिलाएं प्रातः 4 बजे से उठकर पहले स्नान ध्यान के बाद भगवान की पूजा करती हैं. इसके बाद रात में जब चंद्रमा उदय होता है, तब उसको अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं. मिट्टी से बने कलश में कांस के कुछ तृण रख करके उसमें जल भर कर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. मान्यता है कि कांस की तृण से संबंधित जल शीघ्र से शीघ्र देवताओं तक पहुंचता है.

पति को छलनी में से क्यों देखते हैं
वहीं, चलनी से व्रती महिलाएं चंद्रमा के दर्शन करती हैं. छलनी इसलिए क्योंकि स्पष्ट रूप से चंद्रमा का हम लोगों को दर्शन नहीं करना चाहिए. किसी न किसी की आड़ में हम लोगों को चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए. वहीं, इस छलनी से अपने पति के मुख दर्शन व्रती महिलाएं करती हैं और प्रार्थना करती हैं कि जैसे छलनी में सैकड़ों छेद हैं, वैसे ही उन छिद्रों के बीच से पति को देखने पर उनकी उम्र भी सैकड़ों वर्ष की हो. मिट्टी के करवा में जल भरकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और फिर पति अपनी पत्नी को जलपान कराकर उसके व्रत को परिपूर्ण करता है.

पुराणों में भी मिलता है उल्लेख
करवा चौथ का व्रत पुराणों में करक चतुर्थी के नाम से प्रचलित है. करवा चतुर्थी के दिन माताएं निराहार रहकर के अन्न और जल का त्याग करके पति की लंबी आयु की कामना के लिए इस व्रत को करती हैं. पुराणों में ऐसी कथा है प्रजापति दक्ष ने जब चंद्रमा को श्राप दिया कि जो तुम क्षीण हो जाओ. जो तुम्हारे दर्शन करेगा उस पर कलंक आएगा. तब चंद्रमा रोते हुए शंकर भगवान के पास पहुंचे. बोले हमारा तो कोई चतुर्थी के दिन दर्शन ही नहीं करेगा. तब शंकर भगवान ने कहा था सब चतुर्थी को छोड़िए कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की जो चतुर्थी आएगी उस दिन जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा. उसके जीवन के जो सारे दोष, कलंक सब मिट जाएंगे.