छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक : पंचायत व क्लब स्तर की स्पर्धाएं खत्म, अब जोन स्तर पर खिलाड़ी दिखाएंगे दमखम

छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक : पंचायत व क्लब स्तर की स्पर्धाएं खत्म, अब जोन स्तर पर खिलाड़ी दिखाएंगे दमखम

October 12, 2022 Off By NN Express

सुकमा ,12 अक्टूबर  प्रदेश स्तर पर 6 अक्टूबर से छत्तीसगढिय़ा ओलम्पिक की शुरूआत होने के साथ ही जिले में भी इसकी शुरूआत की गई। इस खेल प्रतियोगिता के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल जैसे-गिल्ली डंडा, पिट्टूल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी, बाटी (कंचा), बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मीटर दौड़, लम्बी कूद इत्यादि में महिला, पुरूष प्रतिभागी उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं। यह प्रतियोगिता गांव से लेकर राज्य स्तर तक 6 स्तरों पर होना है।

छत्तीसगढिय़ा ओलम्पिक के अंतर्गत जिले के विभिन्न ग्रामों में आयोजित किए जा रहे खेलों में बच्चे, युवा और बुजुर्ग वर्ग के पुरूष व महिलाएं बड़े ही उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं। छत्तीसगढिय़ा ओलम्पिक से जहां नई पीढ़ी को पारंपरिक और देसी खेलों में रूझान मिला, तो वहीं पुरूषों के साथ महिलाओं ने भी अपने बचपन के दिनों में खेले जाने वाले खेलों को दिल से आनंद लिया। पिट्टूल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी, फुगड़ी जैसे खेलों ने सभी वर्ग के खिलाडिय़ों में रोमांच भर दिया। किसी ने कबड्डी में दांव पेंच लगाए तो किसी ने अंत तक फुगड़ी में अपनी महारत दिखाई।

राजीव युवा मितान क्लब स्तर से शुरू हुई यह स्पर्धा अब जोन स्तर पर पहुंच चुकी है। इसके बाद छत्तीसगढिय़ा ओलम्पिक का आयोजन विकासखण्ड स्तर, नगरीय क्लस्टर स्तर, जिला, संभाग और अंतिम में राज्य स्तर पर की जाएगी।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्त्तीसगढ़ की संस्कृति से लोगों को जोड़ कर रखने व स्थानीय खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक का आयोजन 6 अक्टूबर से 6 जनवरी 2023 तक किया जा रहा है। इसके अंतर्गत दलीय व एकल श्रेणी में 14 प्रकार के पारम्परिक खेलों को शामिल किया गया है, जिसमें 18 वर्ष से कम, 18 से 40 वर्ष व 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में खेल से जुड़ी संस्कृति को एक नई पहचान दिलाने छत्तीसगढिय़ा ओलम्पिक के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार एक अनुठी पहल कर रही है। छत्तीसगढिय़ा ओलम्पिक के आयोजन से अब फिर से लोगों में अपने स्थानीय खेलों के प्रति जागरूकता आएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में खेले जाने वाले खेल अब गांवों से निकलकर अपनी अलग पहचान बनाएंगे।