RAILWAY ने 7 साल में ₹ ​​2800 करोड़ से अधिक अतिरिक्त राजस्व वसूला, पिछले साल बंपर हुई कमाई…

RAILWAY ने 7 साल में ₹ ​​2800 करोड़ से अधिक अतिरिक्त राजस्व वसूला, पिछले साल बंपर हुई कमाई…

September 20, 2023 Off By NN Express

भारतीय रेलवे ने पिछले सात सालों में यात्रियों से ₹ ​​2,800 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है। एक आरटीआई के जरिए यह जानकारी मिली है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम्स (सीआरआईएस) के जवाब से पता चलता है कि संशोधित मानदंडों के कारण अकेले 2022-23 के वित्तीय वर्ष में ₹ 560 करोड़ की कमाई हुई, जिससे यह रेलवे का सबसे अधिक लाभदायक वर्ष बन गया।

रेलवे ने अधिक राजस्व के पीछे की बड़ी वजह बच्चों के किराए में बढ़ोत्तरी बताई है।

दरअसल, 31 मार्च 2016 को, मंत्रालय ने घोषणा की थी कि रेलवे 5 वर्ष और 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए पूर्ण वयस्क किराया वसूल करेगा, ऐसा तब यदि वे आरक्षित कोच में अलग-अलग बर्थ या सीटों का विकल्प चुनते हैं। संशोधित मानदंड 21 अप्रैल, 2016 से लागू किया गया था। इससे पहले रेलवे 5 से 12 साल के बच्चों को अलग से बर्थ देता था और यात्रा किराया सिर्फ आधा लेता था।

हालांकि उक्त आयु वर्ग के बच्चों को संशोधित मानदंड में आधे किराए पर यात्रा करने की अनुमति दी गई है, लेकिन उन्हें अलग से बर्थ या सीटें नहीं मिलती हैं और उन्हें उस वयस्क की सीट पर बिठाना पड़ता है जिसके साथ वे यात्रा कर रहे हैं।

सीआरआईएस ने बच्चों की दो श्रेणियों के किराया विकल्पों के आधार पर वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2022-23 तक का वर्ष-वार डेटा सारणीबद्ध रूप में प्रदान किया है। आंकड़ों से पता चलता है कि इन सात वर्षों में 3.6 करोड़ से अधिक बच्चों ने आरक्षित सीट या कोच का विकल्प चुने बिना आधा किराया देकर यात्रा की। दूसरी ओर, 10 करोड़ से अधिक बच्चों ने अलग बर्थ/सीट का विकल्प चुना और पूरा किराया चुकाया।

आरटीआई आवेदक चंद्र शेखर गौड़ ने सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मांगी थी। उन्होंने कहा, “जवाब से यह भी पता चलता है कि रेलवे से यात्रा करने वाले कुल बच्चों में से लगभग 70 प्रतिशत बच्चे पूरा किराया देकर बर्थ या सीट लेना पसंद करते हैं।”

उन्होंने कहा, “लंबी दूरी की यात्रा में, बच्चे और वयस्क दोनों के लिए एक बर्थ या सीट का यूज करना तकलीफदेह होता है। मानदंडों में संशोधन रेलवे के लिए अप्रत्याशित लाभ साबित हुआ है।” गौड़ ने कहा कि आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि कोविड महामारी के कारण रेल यात्राएं ठप पड़ गई थीं। इसलिए संशोधित मानदंड के कारण वर्ष 2020-21 में केवल ₹157 करोड़ की कमाई ही हो पाई, जिससे यह सबसे कम लाभदायक वर्ष बना।