UPSC क्रैक करने के बाद सीखनी पड़ती है नई भाषा, जानें कैसी होती है LBSNAA में IAS Training

UPSC क्रैक करने के बाद सीखनी पड़ती है नई भाषा, जानें कैसी होती है LBSNAA में IAS Training

July 26, 2023 Off By NN Express

यूपीएससी परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा कही जाती है. इसे क्रैक करने में कई उम्मीदवारों को सालों लग जाते हैं. इस परीक्षा को क्रैक करने वाले सिविल सर्वेंट के कंधों पर अहम जिम्मेदारी होती है. यही वजह है कि यूपीएससी क्रैक करने के बाद भी कैंडिडेट्स को सख्त ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) में IAS की ट्रैनिंग होती है.

यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा क्रैक करने वाले कैंडिडेट्स IAS, IPS, IFS और IRS Officer जैसे पदों पर सेलेक्ट होते हैं. एक आईएएस ऑफिसर की ट्रेनिंग कैसी होती है? इसमें क्या-क्या करना होता है? इन सभी सवालों के जवाब यहां देख सकते हैं.

कहां होती है IAS Training?

यूपीएससी परीक्षा क्रैक करने वाले उम्मीदवारों को मसूरी के लाल बहादूर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन जाना होता है. यहां कैंडिडेट्स को बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल्स सिखाए जाते हैं. यहां आने वाले सभी कैंडिडेट्स अपने प्रोफाइल पर यहां की यादें जरूर साझा करते हैं. सिविल सर्विस परीक्षा क्रैक करने के बाद सभी की एक समान ट्रेनिंग यहां होती है.

IAS Officer की ट्रेनिंग कैसी होती है?

LBSNAA में ट्रेनिंग के लिए आने वाले कैंडिडेट्स को फिजिकल फिटनेस से लेकर मेंटल हेल्थ मजबूत कराया जाता है. यहां ट्रेनिंग के दौरान हिमालय ट्रैक्रिंग भी कराई जाती है. हर ट्रेनी को इसमें शामिल होना होता है. इसके अलावा रूरल डेवलपमेंट, एग्रीकल्चर और इंडस्ट्री डेवलपमेंट की ट्रेनिंग होती है. यहां सभी को ऑफिसर रैंक मिलने से पहले सभी क्षेत्र में सक्षम बनाया जाता है.

सीखनी पड़ती है नई भाषा

यूपीएससी सिविल सर्विस फाइनल रिजल्ट जारी होने के बाद कैंडिडेट्स को लिखित परीक्षा और इंटरव्यू राउंड से मिलने वाले मार्क्स के आधार पर रैंक मिलता है. इन्हीं रैंक के हिसाब से उन्हें, IAS, IPS या IFS के लिए सेलेक्ट किया जाता है. रैंक के अनुसार, ही कैंडिडेट्स को कैडर अलॉट होता है.

मसूरी के LBSNAA में ट्रेनिंग होने के बाद ऑफिसर्स को उनके कैडर स्टेट में भेजा जाता है. ऐसे में स्टेट में सही से काम कर सकें इसके लिए सभी ट्रेनी को स्थानिय भाषा भी सीखनी पड़ती है. भाषा की जानकारी होने के बाद कैंडिडेट्स को फिर मसूरी आना होता है और लास्ट में उन्हें ज्वॉइनिंग मिलती है.