क्या देखने लायक है सोनम कपूर की ओटीटी डेब्यू फिल्म ‘ब्लाइंड’?, पढ़ें पूरा रिव्यू

क्या देखने लायक है सोनम कपूर की ओटीटी डेब्यू फिल्म ‘ब्लाइंड’?, पढ़ें पूरा रिव्यू

July 7, 2023 Off By NN Express

Blind Review In Hindi: पिछले 20 सालों में बॉलीवुड में गिनी-चीनी चुनी फिल्में ऐसी बनी हैं, जिस में अंध किरदार प्रमुख भूमिका में नजर आए. कहा जाता है भले ही आंखों की रौशनी न हो लेकिन दृष्टिहीन लोगों का सिक्स्थ सेंस ज्यादा प्रभावशाली होता है, जिसके चलते अपने सुंघने और स्पर्श के ज्ञान से वो अपनी जिंदगी में सुपरहीरो भी बन सकते हैं. सोनम कपूर की फिल्म ब्लाइंड भी एक कभी हार न मानने वाली अंध लड़की की खास कहानी है, पढ़ें जियो सिनेमा पर रिलीज होने वाली इस फिल्म का पूरा रिव्यू.

कहानी

आपको बता दें, ब्लाइंड इससे पहले कोरियाई और तमिल भाषा में बन चुकी हैं. ‘ब्लाइंड’ की कहानी शुरू होती है ‘जिया’ से, पुलिस अफसर जिया (सोनम कपूर) अपने भाई को सबक सिखाने के लिए उसे हथकड़ी पहनकर अपने गाड़ी में बिठाती है.

घर की तरफ जाते हुए भाई बहन के बीच गाड़ी में हुई लड़ाई के चलते जिया गाड़ी का कंट्रोल खो देती है और उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है. हाथों में हथकड़ी की वजह से जिया का भाई गाड़ी में फंस जाता है और एक गाड़ी की टक्कर लगने से उसकी मौत हो जाती है. इसी एक्सीडेंट में जिया अपनी आंखें खो देती हैं.

अपनी भाई की मौत के लिए खुद को जिम्मेदारी मानने वाली जिया नौकरी खो देती है. अपनी मां के घर से देर अपने घर जाते समय जिया रात एक कैब में बैठती है. जिया का मानना है कि इस कैब का ड्राइवर (पूरब कोहली) वो किडनैपर है, जो लड़कियों को शहर से गायब कर रहा है.

अब क्या एक अंधी लड़की की बातें पुलिस अफसर सीरियसली लेंगे, क्या सच में वो कैब ड्राइवर किडनैपर है और क्या इस किडनैपर के चंगुल से जिया खुद को बचा लेगी इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको जियो सिनेमा पर स्ट्रीम हो रही ‘ब्लाइंड’ फिल्म जरूर देखनी चाहिए.

डायरेक्शन और राइटिंग

शोम मखीजा ने डायरेक्ट की हुई इस फिल्म के प्रोडूसर सुजॉय घोष है. सुजॉय घोष के नाम के साथ फिल्म से सस्पेंस और थ्रिलर की उम्मीद बढ़ जाती है. सोनम कपूर की ये फिल्म फैंस की उम्मीदें पूरी नहीं कर पाती है. इस कहानी में थ्रिलर तो है लेकिन सस्पेंस बिलकुल नहीं है. फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी कमजोर है.

ओटीटी प्लेटफार्म को मध्यनजर रखते हुए फिल्म में जरुरत से ज्यादा अंग्रेजी का इस्तेमाल किया गया है, जिस वजह से फिल्म का मजा और कम हो जाता है. इन सब खामियों के बावजूद ये फिल्म बोर नहीं करती और इसका श्रेय हमें फिल्म के निर्देशक को देना होगा. हालांकि फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी कमजोर है.

एक्टिंग

सोनम कपूर, विनय पाठक और पूरब कोहली की शानदार एक्टिंग इस फिल्म को बचा लेती है. कैमरा के सामने अंध व्यक्ति का किरदार निभाना काफी चैलेंजिंग है लेकिन सोनम ने अपनी बेहतरीन एक्टिंग से इस किरदार को खूबसूरती से निभाया है. एक पुलिस अफसर के साथ साथ एक अंध लड़की के किरदार में भी सोनम हमें प्रभावित करती है. पुलिस अफसर के किरदार में विनय पाठक इस सीरियस फिल्म में हमारे चेहरे पर मुस्कान लाने का काम बखूबी निभाते हैं.

पूरब कोहली इस फिल्म में काफी डरावने हैं. सोनम कपूर और पूरब कोहली के बीच का आंख मिचौली का डरावना खेल इस फिल्म का यूएसपी है. वे दोनों इस फिल्म के साथ आखिरतक दर्शकों को जोड़ कर रखते हैं.

सिनेमेटोग्राफी और टेक्निकल

फिल्म देखकर लगने वाला डर ये दर्शाता है कि सिनेमेटोग्राफर ने शानदार काम किया है. बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी और असरदार बैकग्राउंड स्कोर इस फिल्म का असली हीरो है.

क्यों देखे ये फिल्म

सोनम कपूर के साथ साथ पूरब और विनय पाठक की शानदार एक्टिंग के लिए आप ‘ब्लाइंड’ देख सकते हैं. सोनम कपूर के फैंस उनकी ये डेब्यू फिल्म जरूर देखना चाहेंगे. एक अच्छी कहानी के लिए आप इस फिल्म को एक मौका दे सकते हैं.

क्या हैं खामियां

‘अब तुम बिलकुल मां की तरह दिखती हो’ इस एक लाइन में राइटर ने ये मान लिया है कि ऑडियंस जिया की तरह अपनी सुपरपावर का इस्तेमाल करते हुए इस किरदार की बैकस्टोरी जान लेंगे. डिटेलिंग के बिना ये कहानी आधी-अधूरी लगती है. इस वीकेंड आपके पास कई और ऑप्शन है, यही वजह है कि आप इस फिल्म को स्किप कर सकते हैं.