घोड़ी चढ़ने के बजाय बैलगाड़ी पर सवार होकर दुल्हनिया लेने पहुंचा युवक, जानें दूल्हे ने ऐसा क्यों किया?

घोड़ी चढ़ने के बजाय बैलगाड़ी पर सवार होकर दुल्हनिया लेने पहुंचा युवक, जानें दूल्हे ने ऐसा क्यों किया?

June 11, 2023 Off By NN Express

बोकारो: देश में इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है. एक से बढ़कर एक चमचमाती महंगी गाड़ियों पर सवार होकर दूल्हे राजा अपनी दुल्हनिया को लेने के लिए बारात की शक्ल में बैंड बाजों के साथ जा रहे हैं, इन सबके बीच अगर बात झारखंड के बोकारो जिला के कसमार प्रखंड अंतर्गत गौरयाकुदर गांव की बात करें तो यहां दूल्हे द्वारा निकाली गई बारात पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है.

दरअसल गौरियाकुदर गांव का रहने वाला सुजीत कुमार किसी चमचमाती ब्रांडेड कार या बग्गी वाली घोड़ी पर चढ़ने के बजाय खेतों में काम करने वाले दो बैलों द्वारा खींची जाने वाली बैलगाड़ी पर सवार होकर अपनी दुल्हनिया कविता कुमारी को लेने के लिए पहुंचा था. बैलगाड़ी पर सवार दूल्हे को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जुट गई.

लोग अपने अपने मोबाइल के कैमरे में इस पल को याद करने में जुट गए. बैलगाड़ी पर सवार होकर पहुंचा दूल्हे सुजीत कुमार ने बताया कि आज लोग अपनी संस्कृति और पारंपरिक रीति रिवाज को भुलाकर आधुनिकता के इस दौर में अपनी रीति रिवाज और अपनी संस्कृति को भुलाते जा रहे हैं, दूल्हे ने बताया कि अपनी संस्कृति और पारंपरिक रीति रिवाज को जीवित रखने के लिए उसने यह कदम उठाया है ताकि लोग भी अपनी संस्कृति से जुड़े रह सके.

संस्कृति को बचाने के लिए दूल्हे ने उठाया कदम

दरअसल खैराचातर पंचायत के गौरियाकूदर गांव के रहने वाले विभूति काछुआर के पुत्र सुजीत कुमार की शादी हरनाद गांव के रहने वाले बसंत महतो की पुत्री कविता कुमारी के साथ होनी तय हुई थी. इसी बीच मंगलवार को दूल्हा सुजीत कुमार चमचमाती कार या सजी-धजी बग्गी के बजाय दो बैलों वाली बैलगाड़ी पर सवार होकर बारात लेकर पहुंच गया. बैलगाड़ी पर दूल्हे को देख लड़की पक्ष के लोग आश्चर्यचकित रह गए.

हालांकि वहां मौजूद ग्रामीणों ने दूल्हे द्वारा उठाए गए कदम की सराहना की, लोगों ने कहा कि अपनी संस्कृति को बचाने के लिए दूल्हे ने जो साहसिक कदम उठाया है इनसे समाज के बाकी लोगो को भी अनुसरण करने की आवश्यकता है.

बता दें कि इस अनोखी शादी के गवाह बने गोमिया विधानसभा सीट से विधायक डॉक्टर लंबोदर महतो ने भी दूल्हे सुजीत कुमार द्वारा उठाए गए कदम की सराहना की उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक युग में अपनी संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए युवा आगे आ रही है सचमुच बड़े गर्व की बात है.

बैलों के साथ साथ बैल गाड़ी को रंग-बिरंगे फूल और कपड़ो से सजाया

दूल्हे ने अपनी एक बैलगाड़ी को बेहद ही शानदार तरीके से सजाया था. बैलों के साथ साथ बैल गाड़ी को रंग-बिरंगे फूल और कपड़ो से सजाया था, इसके साथ ही झारखंड के ज्वलंत मुद्दा 60 -40 नाय चलतो का नारा लिखा पोस्टर भी अपने बैलगाड़ी पर लगाया था.

सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में बैलगाड़ी पर निकाली गयी बारात पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई. शादी के उपरांत दूल्हे राजा सुजीत कुमार ने अपनी दुल्हनिया कविता कुमारी को इसी बैलगाड़ी पर बैठा कर शादी के मंडप से विदा करा अपने घर ले गए. आधुनिकता और खर्चीली होती शादी समारोह के बीच बेहद ही सादगी से दूल्हे द्वारा निकाली गई बारात पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है.