Reels Addiction: रील्स का एडिक्शन सेहत के लिए हो सकता है बहुत ही खतरनाक

Reels Addiction: रील्स का एडिक्शन सेहत के लिए हो सकता है बहुत ही खतरनाक

June 8, 2023 Off By NN Express

 Reels Addiction: पहले मैं मेट्रो में अपना सफर कुछ पढ़ते या रेडियो सुनते वक्त बिताती थी और अगर कभी कम भीड़ वाली मेट्रो मिल गई, तो हाथ-पैरों के साथ नेक की थोड़ी-बहुत स्ट्रेचिंग भी कर लेती थी। डेस्टिनेशन पर पहुंचकर लगता था कि मैं अपने इस समय को भी कितने अच्छे से यूज किया, लेकिन अभी फिलहाल कुछ महीनों से मेरा वो समय रील्स देखने में गुजर रहा है। स्क्रॉल करते हुए कैसे मेरा पूरा डेढ़ घंटा निकल जाता है मुझे इसका पता ही नहीं चलता।

अपने समय का ऐसा दुरुपयोग करके मुझे बहुत गुस्सा भी आता है, लेकिन रील्स की एडिक्शन ऐसी लग गई है कि इससे खुद को बाहर ही नहीं निकाल पा रही हैं। मेरे जैसे और भी कई लोग इस एडिक्शन का शिकार हैं। क्या बड़े क्या बच्चे अब तो बूढ़े लोगों को भी इसकी लत लग चुकी है। 

क्या हैं रील्स और शॉर्ट्स?

30 सेकंड के छोटे-छोटे वीडियोज़ शॉर्ट्स कहलाते हैं। वैसे कुछ विडियो 2 मिनट तक के भी होते हैं। रील्स भी एक तरह के शॉर्ट वीडियोज़ ही हैं। रील्स बनाने का चस्का टिकटॉक ऐप से शुरू हुआ था। भारत में टिकटॉक बैन होते ही लोग फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हर तरह के रील्स डालने लगें। फनी, इंफॉर्मेशनल, इमोशनल हर तरह के वीडियोज़ की रील्स पर भरमार है। तभी तो लोगों को इसका एडिक्शन हो रहा है।

इन रील्स को सेलिब्रिटी से लेकर आम लोग तक बना रहे हैं। लेकिन बच्चों और युवाओं में इसका ज्यादा क्रेज देखने को मिल रहा है। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर जो शॉर्ट वीडियो अपलोड किए जाते हैं उन्हें रील्स कहते हैं। वहीं यूट्यूब के शॉर्ट वीडियोज़ को शॉर्ट्स (Shorts) कहते हैं।

डिप्रेशन की वजह बन सकता है ये एडिक्शन

इस लत के चलते लोगों में जो सबसे बड़ी समस्या देखने को मिल रही है वो है डिप्रेशन। वीडियो देखने वाला शख्स खुद को वीडियो में मौजूद शख्स से कंपेयर करने लगता है। वो भी उसकी तरह दिखना चाहता है, उसकी तरह जिंदगी जीना चाहता है और जब ऐसा नहीं होता, तो गुस्सा, चिड़चिड़ापन होना लाजमी है। धीरे-धीरे ये तनाव डिप्रेशन में बदल जाता है। 

आखिर क्यों है इन्हें देखने का ऐसा जुनून?

– रील्स, शॉर्ट्स में सबसे ज्यादा तादाद में कॉमेडी वीडियो हैं। तो बड़ों से लेकर बच्चे, बूढ़े तक इन वीडियोज़ को देखते हैं और हंसते हैं, जिससे उनका माइंड रिलैक्स भी होता है। 

– कई शॉर्ट वीडियोज़ ऐसे होते हैं जिनमें फैशन और स्टाइल को फोकस किया जाता है, खासतौर से महिलाओं को। मार्केट के लेटेस्ट ट्रेंड के बारे में जानने के लिए इन्हें देखा जाता है। 

– कुछ शॉर्ट वीडियो में लोगों अजीबो-गरीब एक्टिंग करते और डायलॉग बोलते हैं। जो नो डाउट फनी होता है जिसे लोगों को देखने में मजा आता है।

– कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें खाने की नई-नई चीजों और घूमने की नई जगहों के बारे में जानना चाहते हैं। तो वो उस तरह के वीडियोज़ से अपना ज्ञान बढ़ाते हैं। 

कैसे रील्स का एडिक्शन है सेहत के लिए नुकसानदेह?

– देर रात तक रील्स या शॉर्ट्स देखने की वजह से बच्चे देर से सोते हैं जिससे उनका स्लीप पैटर्न डिस्टर्ब हो जाता है। फिर अगले दिन स्कूल या कॉलेज में दिनभर नींद आती रहती है। नींद पूरी न होने पर स्ट्रेस होने लगता है जिससे बीपी बढ़ने की परेशानी के साथ कई बार डिप्रेशन भी हो सकता है।

– स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से आंखें कमजोर होने लगती हैं। फिजिकल एक्टिविटी नहीं होती है जिससे वजन बढ़ने और मोटापे की समस्या हो सकती है।

कैसे पाएं इस एडिक्शन से छुटकारा?

– रील्स देखने में जो समय बीता रहे हैं, वो दोस्तों के साथ बिताएं। 

– फिजिकल ऐक्टिविटी बढ़ाएं। लगातार रील्स देखने की वजह से बच्चे वर्चुअल ऑटिज़म (लर्निंग क्षमता कम होना, बोलना देर से शुरू करना आदि) का शिकार हो रहे हैं। जिससे उन्हें थेरपी और मेडिकल ट्रीटमेंट की भी जरूरत पड़ सकती है। तो उन्हें मोबाइल देना बंद करें।

– बच्चे को चश्मा लगा है तो उसके लेंस मियोस्मार्ट (Miyosmart) लेंस में बदलवा दें। इससे चश्मे के लेंस का नंबर या तो वहीं रुक जाता है या नंबर बढ़ने की स्पीड कम हो जाती है।