New Parliament: जब इन कंपनियों ने किया दिन रात काम, तब जाकर तैयार हुआ नया संसद भवन

New Parliament: जब इन कंपनियों ने किया दिन रात काम, तब जाकर तैयार हुआ नया संसद भवन

May 28, 2023 Off By NN Express

भारत के लोकतंत्र की आशाओं और भविष्य को आज एक नया चेहरा मिला है. जी हां, आपने ठीक समझा देश को मिला नया संसद भवन इसी बात की तस्दीक करता है. इस चेहरे को मूर्त रूप देने में देश की कुछ कंपनियों ने दिन-रात एक करके काम किया है. इनमें टाटा ग्रुप का नाम भी शामिल है. नए संसद भवन के निर्माण का भूमि पूजन 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. जबकि इसे रिकॉर्ड समय में पूरा करने का काम किया है टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने.

टाटा प्रोजेक्ट्स ने नए संसद भवन को करीब 971 करोड़ रुपये की लागत में तैयार किया है. ये 20,000 करोड़ रुपये के सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इसके लिए पहले मूल रूप से 862 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था.

नए संसद भवन के निर्माण में 26,045 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है. वहीं इसके लिए 63,807 टन सीमेंट उपयोग में लाया गया है. इतना ही नहीं इसके निर्माण में 23.04 लाख कार्यदिवस का रोजगार भी पैदा हुआ.

नए संसद भवन का निर्माण करने वाली कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स ने अपने 43 साल के अनुभव से देश को कई नगीने दिए हैं. कंपनी ने अगर इसरो, बार्क के लिए स्पेस और न्यूक्लीयर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए हैं, तो राजस्थान के बाड़मेर में नेचुरल गैस जैसे प्लांट को स्थापित करने में भी मदद की है.

देश की राजधानी में नया संसद भवन तैयार करने वाली टाटा ग्रुप की ये कंपनी देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को एक नया लैंडमार्क भी देने जा रही है. कंपनी मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक का निर्माण भी कर रही है, जो मुंबई के यातायात को पूरी तरह बदल कर रख देगा.

नई संसद को मूर्त रूप भले टाटा प्रोजेक्ट्स ने दिया हो. लेकिन इसकी आत्मा यानी डिजाइन को तैयार किया अहमदाबाद की कंपनी एचसीपी डिजाइन प्लानिंग और मैनेजमेंट ने, कंपनी के प्रमुख विमल हसमुख पटेल सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के मुख्य कंसल्टेंट हैं. उन्होंने ही नए संसद भवन के त्रिकोणीय स्वरूप की परिकल्पना की है.

इतना ही नहीं उन्होंने नए संसद भवन को भारत के विभिन्न संस्कृतियों से जोड़ने के लिए इसमें इस्तेमाल होने वाले सामान को अलग-अलग क्षेत्रों से मंगाने की भी योजना तैयार की थी.

एचसीपी की स्थापना 1960 में विमल पटेल के पिता हसमुख सी. पटेल ने ही की थी. इस कंपनी का इतिहास देश को कई बड़ी इमारतें देने से जुड़ा रहा है. इसमें मुंबई की आरबीआई बिल्डिंग शामिल है. इसके अलावा कंपनी के खाते में कोलकाता के ईडन गार्डन स्टेडियम का रीफर्बिशमेंट, आईआईएम-अहमदाबाद का नया कैंपस और वाराणसी में नए सिरे से विकसित किया गया काशी विश्वनाथ मंदिर धाम कॉरिडोर शामिल है.