Tahawwur Rana का भारत प्रत्यर्पण आतंक के खिलाफ लड़ाई में मोदी सरकार की बड़ी जीत है

Tahawwur Rana का भारत प्रत्यर्पण आतंक के खिलाफ लड़ाई में मोदी सरकार की बड़ी जीत है

May 19, 2023 Off By NN Express

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को आज तब बड़ी जीत मिली जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा से ठीक एक महीने पहले अमेरिका की एक संघीय अदालत ने भारत के अनुरोध पर पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के लिए सहमति जता दी। हम आपको बता दें कि भारत सरकार 2008 के मुंबई आतंकी हमले में शामिल होने के आरोपी राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रही थी। 26/11 के मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाने की भारत की लड़ाई में एक बड़ी जीत के तहत कैलिफोर्निया की सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की अमेरिकी मजिस्ट्रेट न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने बुधवार को 48 पन्नों का आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत प्रत्यर्पित करना चाहिए। हम आपको बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि है। न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि राणा का भारत प्रत्यर्पण पूरी तरह से संधि के अधिकार क्षेत्र में है।

अमेरिकी अदालत के आदेश की बड़ी बातें


-अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘‘अदालत ने इस अनुरोध के समर्थन और विरोध में प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की समीक्षा की है और उन पर विचार किया है और सुनवाई में प्रस्तुत दलीलों पर विचार किया है। इस तरह की समीक्षा और विचार के आधार पर और यहां चर्चा किए गए कारणों के आधार पर, अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है और अमेरिका के विदेश मंत्री को प्रत्यर्पण की कार्रवाई के लिए अधिकृत करती है।’’ अदालत का यह आदेश मोदी की पहली राजकीय यात्रा के लिए अमेरिका आने से ठीक एक महीने पहले आया है। हम आपको बता दें कि राष्ट्रपति जो बाइडन एवं प्रथम महिला जिल बाइडन मोदी के स्वागत में 22 जून को एक राजकीय रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे।

-अदालत के आदेश में कहा गया है कि अदालत राणा के प्रत्यर्पण को तब तक प्रमाणित नहीं कर सकती थी जब तक कि यह मानने का संभावित कारण न हो कि उसने उस अपराध को अंजाम दिया है जिसके लिए प्रत्यर्पण का अनुरोध किया जा रहा है। आदेश में कहा गया है, ‘‘इसलिए अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि राणा ने उन अपराधों को अंजाम दिया है जिनके लिए उसके प्रत्यर्पण की मांग की गई है तथा अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए।’’

अमेरिकी सरकार का रुख


हम आपको बता दें कि दस जून, 2020 को, भारत ने प्रत्यर्पण की दृष्टि से 62 वर्षीय राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बाइडन प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया था और उसे मंजूरी दी थी। छब्बीस नवंबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमलों में भूमिका को लेकर भारत द्वारा प्रत्यर्पण का अनुरोध किए जाने पर राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था।

भारत लाने की तैयारी
इस बीच, एनआईए ने कहा है कि वह राजनयिक माध्यमों से राणा को भारत लाने की कार्यवाही शुरू करने को तैयार है। पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा किए गए 26/11 हमलों में राणा की भूमिका की जांच एनआईए द्वारा की जा रही है।

भयावह था मुंबई हमला


अमेरिका में अदालती सुनवाई के दौरान, अमेरिकी सरकार के वकीलों ने तर्क दिया कि राणा को पता था कि उसका बचपन का दोस्त पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली लश्कर-ए-तैयबा में शामिल है और इस तरह हेडली की सहायता करके एवं उसकी गतिविधियों के लिए उसे बचाव प्रदान कर उसने आतंकवादी संगठन और इसके सहयोगियों की मदद की। हम आपको यह भी याद दिला दें कि मुंबई आतंकी हमलों में छह अमेरिकियों सहित कुल 166 लोग मारे गए थे।

इन हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। ये हमले मुंबई के प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण स्थानों पर 60 घंटे से अधिक समय तक जारी रहे थे। इन हमलों में अजमल कसाब नाम का आतंकवादी जीवित पकड़ा गया था जिसे 21 नवंबर 2012 को भारत में फांसी की सजा दी गई थी। शेष आतंकवादियों को हमलों के दौरान भारतीय सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था।

अमेरिका बहुत पहले से मान रहा था कि भारत आतंक से पीड़ित है

अमेरिकी अदालत ने भले साल 2023 में राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी हो लेकिन उसने साल 2008 में ही मान लिया था कि भारत विश्व के सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित देशों में से एक है। हालांकि इसके साथ ही अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के अभियान की धीमी प्रक्रिया पर भी चिंता जताते हुए कहा था कि भारत में हुए आतंकी हमले और ऐसी ही अन्य घटनाएं बताती हैं कि आतंकी चंदे की मोटी राशि मिलने के कारण आर्थिक रूप से काफी समृद्ध हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक ‘कंट्री रिपोर्ट्स आन टेरेरिज्म-2008’ में 26/11 के मुंबई हमलों के अलावा 2008 में भारत में हुए अन्य प्रमुख हमलों का भी उल्लेख था जिनमें जयपुर विस्फोट, काबुल में भारतीय दूतावास के अलावा अहमदाबाद, दिल्ली और असम के विस्फोट भी शामिल थे।

मुंबई हमलों को देश के सबसे खतरनाक हमले की उपमा देते हुए रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में स्थानीय और प्रदेश की पुलिस प्रशिक्षण के मामले में बहुत कमजोर है और सभी के बीच समन्वय की भारी कमी है। रिपोर्ट में कहा गया था कि हालांकि भारत ने बाहर से आने वाले यात्रियों की जानकारी पाने के लिए विकसित यात्री सूचना प्रणाली लागू कर दी है लेकिन यह अमेरिका और यूरोपियन संघ की प्रणाली से जानकारी बांटने के अनुरूप नहीं है।

हेडली पर क्या आरोप लगाये गये हैं?

राणा के सहयोगी हेडली का जहां तक सवाल है तो हम आपको बता दें कि शिकागो की एक अदालत ने हेडली पर मुम्बई हमलों की साजिश में शामिल होने और उसके तथा लश्कर एवं हरकत-उल-जेहाद इस्लामी (हूजी) के बीच सम्पर्क स्थापित करवाने वाले पाकिस्तानी सेना के मेजर से सम्बन्ध रखने का आरोप तय किया था। शिकागो में फेडरल कोर्ट में दायर आरोपपत्र में कहा गया था कि हेडली ने मुम्बई में हमलों से पहले दो साल से ज्यादा वक्त तक अपने लक्ष्यों की सघन रेकी की थी। उसने सितम्बर 2006, फरवरी तथा सितम्बर 2007, अप्रैल एवं जुलाई 2008 में मुम्बई की पांच बार यात्रा की थी।

इस दौरान उसने हमलों का निशाना बनाए जाने वाले लक्ष्यों की फोटो और वीडियो तस्वीरें ली थीं। हेडली के खिलाफ आपराधिक सूचना, भारत में सार्वजनिक स्थानों पर बम विस्फोट करने की योजना बनाने, भारत तथा डेनमार्क में लोगों की हत्या करने और हड़कंप मचाने, विदेशी आतंकवादी साजिशों में साजोसामान संबंधी सहयोग करने, लश्कर-ए-तैयबा को भी ऐसी ही मदद करने तथा भारत में अमेरिकी नागरिकों की हत्या करने के आरोप तय किए गए थे।

क्या थी साजिश और इसे कैसे अंजाम दिया गया था?

हम आपको याद दिला दें कि हेडली और उसके एक अन्य सहयोगी तहव्वुर हुसैन राणा को लश्कर की शह पर भारत में हमले करने और डेनमार्क के एक अखबार को निशाना बनाने की साजिश रचने के आरोप में एफबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। मेजर रहमान का नाम पहले इस मामले में शामिल नहीं था लेकिन राणा और हेडली के खिलाफ आरोपों की शुरुआती जांच में रहमान का नाम भी सामने आया।

रहमान ने हेडली तथा उससे जुड़े अन्य लोगों के बीच बातचीत करवाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। हेडली पर लगाए गए आरोपों के मुताबिक उसने 15 फरवरी 2006 को फिलाडेल्फिया में अपना नाम दाउद गिलानी से बदलकर डेविड कोलमैन हेडली रख लिया था। उसने ऐसा इसलिए किया ताकि भारत में घुसने में आसानी हो और इस प्रयास में वह न तो मुस्लिम और न ही पाकिस्तानी नागरिक लगे। आरोप के मुताबिक सितम्बर 2006 से जुलाई 2008 के बीच हेडली ने जितनी बार भारत की यात्रा की, वह लौटकर पाकिस्तान ही गया और वहां अपने सह-षडयंत्रकारियों से मिलकर उन्हें हमलों का निशाना बनाए जाने वाले स्थानों के फोटो और वीडियो दिखाए।

आरोपों में कहा गया है कि मार्च 2008 में हेडली और उनके सह-षडयंत्रकारियों ने हमलावरों के दल के मुम्बई में समुद्र के रास्ते दाखिल होने के सम्भावित स्थलों के बारे में बातचीत की थी। हेडली को निर्देश दिए गए थे कि वह मुम्बई में बंदरगाह के अंदर और उसके आसपास नौकाएं लाए तथा वह सर्विलांस वीडियो अपने साथ रखे जो उसने अप्रैल 2008 में भारत यात्रा के दौरान बनाया था। बहरहाल, राणा के प्रत्यर्पण के फैसले के बाद उम्मीद है कि मुंबई हमला के पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिल पायेगा।