New Tax Slab : आपके लिए बजट का नया टैक्स सिस्टम फायदेमंद है या पुराना, समझ लें सभी डिटेल

New Tax Slab : आपके लिए बजट का नया टैक्स सिस्टम फायदेमंद है या पुराना, समझ लें सभी डिटेल

February 10, 2023 Off By NN Express

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023 को पेश करते हुए अपने संबोधन में नई कर व्यवस्था में विभिन्न सुधारों की घोषणा की। इन बदलावों के बाद 7 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों के लिए ELSS में निवेश करना आसान हो जाएगा। इससे उनकी देनदारी पर भी सीधा असर पड़ सकता है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई कर व्यवस्था के तहत व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को 5 लाख लाख से बढ़ाकर 7 लाख कर दिया। कर स्लैब की संख्या छह से घटाकर पांच कर दी और कर छूट सीमा को बढ़ाकर 3 लाख कर दिया। उच्चतम अधिभार दर यानी की सरचार्ज को 37% से घटाकर 25% कर दिया गया।

सेवानिवृत्त और वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 50,000 की मानक कटौती शुरू की गई और 15,000 की पारिवारिक पेंशन छूट लागू की गई। इन परिवर्तनों से 7 लाख रुपये से अधिक आमदनी वाले लोगों के लिए करों को कम करने के लिए ELSS में निवेश करना पहले से कहीं आसान हो जाएगा। आइए जानते हैं, क्या है ये कैलकुलेशन। नई दिल्ली में टैक्स कंसल्टेंट संस्था चलाने वाले आशीष राय बताते हैं कि पिछले 5 वर्षों में ईएलएसएस श्रेणी में औसत वार्षिक सकल बिक्री 25,000 करोड़ थी। कर लाभ ज्यादातर एचआरए, होम लोन के ब्याज भुगतान, ईएलएसएस, पीपीएफ, एनपीएस आदि जैसे निवेशों पर किया जाता था।

कोई व्यक्ति पुरानी कर व्यवस्था का चयन तभी करेगा, जब उसके पास 3 लाख की न्यूनतम कर कटौती होगी, क्योंकि इससे कर कम होगा। 15.5 लाख या उससे अधिक की व्यक्तिगत आय के लिए कुल कर कटौती 4.25 लाख होनी चाहिए, पूरा फायदा तभी मिलेगा। कटौती के बाद भी व्यक्ति को मिलने वाले लाभ नगण्य हो सकते हैं। ऐसे में बहुत संभव है कि अगले साल से हमें ईएलएसएस कैटेगरी में ग्रॉस सेल्स में कमी देखने को मिल सकती है। हालांकि निवेशकों को ईएलएसएस को केवल टैक्स बचाने वाले तरीके के रूप में देखने के नजरिये को बदलने की जरूरत है।

ईएलएसएस निवेश केवल आईटी अधिनियम की धारा 80-सी के तहत कटौती के रूप में उपलब्ध है, जो पुरानी कर व्यवस्था के तहत 3 साल की लॉक-इन अवधि के अधीन है। इस हिसाब से देखें तो ईएलएसएस में निवेश के लिए पुरानी कर व्यवस्था के तहत जाना होगा, यदि वे ईएलएसएस निवेश के संबंध में कटौती का दावा करना चाहते हैं। इसके अलावा वे करदाता, जिनकी आय 750,000 रुपये के भीतर है और जो नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं, वे ईएलएसएस फंड में निवेश नहीं करने के इच्छुक है।

अधिक कर देने वालों पर कर व्यवस्था के नियमों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि वे अभी भी उपलब्ध कटौती और छूट के मामले में इसके अतिरिक्त कर लाभों के कारण पुरानी कर व्यवस्था का उपयोग कर रहे होंगे और वे आगे भी इसको फॉलो करते रहेंगे। ईएलएसएस फंड्स से निम्नलिखित रिटर्न पुरानी और नई दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत कर योग्य हैं- लागू स्लैब दरों के अनुसार अन्य स्रोतों से आय के रूप में लाभांश और रिडेम्पशन टर्म कैपिटल गेन। ईएलएसएस फंड में किए गए योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत प्रति वर्ष 1,50,000 रुपये तक की कटौती के लिए पात्र हैं।

इस प्रकार, एक वर्ष के दौरान 46,800 रुपये तक की कर-बचत के लिए पात्र हैं। (150,000 की कटौती योग्य राशि पर 30% कर और 4% उपकर मानते हुए)। आशीष राय बताते हैं कि ईएलएसएस में आमतौर पर 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है। इसलिए, लॉक-इन अवधि के दौरान किए गए योगदान के लिए कर-लाभ नई कर व्यवस्था को चुनने वाले करदाता के लिए समाप्त हो जाता है। ईएलएसएस में पैसा लगाने वाले लोग कर बचाने के लिए अभी भी पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प ही चुनेंगे।