सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में प्राकृतिक पेंट से हो रहा सरकारी भवनों का रंग-रोगन

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में प्राकृतिक पेंट से हो रहा सरकारी भवनों का रंग-रोगन

January 11, 2023 Off By NN Express

सारंगढ़-बिलाईगढ़, 11 जनवरी I आज के तेजी से बदलते परिवेश में केवल शहर ही नहीं बल्कि कस्बों और गांवों में भी अब लोग अपने घरों में पेंट और डिस्टेंपर लगवाना चाहते हैं। बाजार में उपलब्ध रासायनिक पेंट लोगों के जेब के साथ-साथ पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। इसी बात को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा सभी शासकीय विभाग, निगम, मंडल एवं स्थानीय निकायों में भवनों के रंग-रोगन के लिए गोबर पेंट का उपयोग अनिवार्यत: करने के निर्देश दिए गए थे। उक्त निर्देश का पालन जिले में भी शुरु हो गया है। कलेक्टर डॉ.फरिहा आलम सिद्दकी के निर्देशन में सारंगढ़ के अनुविभागीय कार्यालय में गोबर पेंट से पूरे भवन में रंग-रोगन का कार्य किया गया है।

इस प्राकृतिक गोबर पेंट की कीमत बाजार में उपलब्ध रासायनिक पेंट से कम है। साथ ही गोबर से निर्मित होने के कारण रासायनिक पेंट की तुलना में इसमें वैसी महक भी नहीं आती है जिससे यह पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है। बाजार में मिलने वाले अधिकतर पेंट में ऐसे पदार्थ और हैवी मेटल्स मिले होते है जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं गोबर से निर्मित पेंट प्राकृतिक पदार्थों से मिलकर बनता है इसलिए इसे प्राकृतिक पेंट भी कहते है। केमिकल युक्त पेंट की कीमत 350 रुपए प्रति लीटर से शुरू होती है पर गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट की कीमत 150 रुपए से शुरू है। गोबर से बने होने के कारण इसके बहुत से फायदे भी है जैसे यह पेंट एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल है साथ ही घर के दीवारों को गर्मी में गर्म होने से भी बचाती है और तापमान नियंत्रित करती है।

ऐसे तैयार होता है गोबर से प्राकृतिक पेंट

प्राकृतिक पेंट बनाने के लिये गोबर को पहले मशीन में पानी के साथ अच्छे से मिलाया जाता है फिर इस मिले हुए घोल से गोबर के फाइबर और तरल को डी-वाटरिंग मशीन के मदद से अलग किया जाता है। इस तरल को 100 डिग्री तापमान में गरम करने से बने अर्क को पेंट के बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता है। जिसके बाद इसे प्रोसेस कर पेंट तैयार होता है। गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण का मुख्य घटक कार्बोक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है।