जितना सुख बढ़ता जा रहा है उतनी ही शांति घटती जा रही : मंदाकिनी

जितना सुख बढ़ता जा रहा है उतनी ही शांति घटती जा रही : मंदाकिनी

January 6, 2023 Off By NN Express

भिलाई ,06 जनवरी । आज मनुष्य सभी तरह की सुख सुविधाओं के पीछे भाग रहा है, लेकिन उसके मन के अंदर अभी भी शांति नहीं है। हम भौतिक सुख तो बटोर ले रहे हैं लेकिन चिंतन से दूर होते जा रहे हैं। पाश्चात्य संस्कृति के चलते हम अपनी ही संस्कृति से दूर हो रहे हैं। ऐसे में जीवन में कहीं न कही खालीपन महसूस हो रहा है। परिवार में पहले जैसा मंगल आनंद नहीं रहा है। यह बातें  राधाकृष्ण मंदिर नेहरू नगर पूर्व में आयोजित होने वाली  राम कथा वाचिका दीदी मां मंदाकिनी ने आज नेहरू नगर पश्चिम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमाले ऋषि मुनियों ने जो दिव्य ग्रंथ के भेंट दिए हैं, उसी में सभी समस्याओं का समाधान है। उन्होंने कहा कि हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं इसके लिए चिंतन की आवश्यकता है।

वेस्टर्न संस्कृति का अंधानुकरण न करें। उन्होंने कहा कि आज कथा की शैली का व्यवसायिकरण हो गया है। मानव मात्र अधिक तनाव व चिंता रहने लगा है। व कथा या कथा वाचक के शब्द के द्वारा चमत्कार चाहते हैं, जबकि गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि एक पंक्ति में ही चमत्कार है, उसके लिए धैर्य चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि अनादि काल से मनुष्य मात्र सुख प्राप्त करता है, जो की आपकी भौतिक कामना है। जितना सुख बढ़ता जा रहा है ठीक शांति उतनी ही घटती जा रही है। प्रत्येक वर्ग में यह हो रहा है। शांति जब घटती जा रही है तो ये जो असंतुष्ठ मन उत्पन्न हुआ है वह खतरनाक है। भारतीय संस्कृति में जो अध्यात्म है वह किसी धर्म, संस्कृति में नही है। हम सारे सुख के संसाधन बटोर रहे है, विद्धाश्रम, अनाथाश्रम बढ़ रहे है पारिवारिक शांति घट रही है। जहां विवाह की जरूरत ना हो वो पाश्चात्य संस्कृति है। हमारे ऋषि मुनियों ने जो हमे भेंट दिए वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, भागवत, गीता यह इतना सुंदर है लेकिन हम अपने संस्कृति से दूर हो रहे है, हम अपना जड़ मूल से दूर हो रहे है।

दीदी माँ मंदाकिनी श्रीरामकिंकर ने कहा की मैं श्रीराम के ननिहाल छत्तीसगढ़ आते रहती हूं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने मुझे राज्य अतिथि का दर्जा दिया है। मनुष्य को आज धैर्य की आवश्कता है जो उनके पास नही रह गया है। आज साधारण व्यक्ति के पास चिंतन करने का समय नहीं है क्योंकि वह घर परिवार में ही जीवन स्वाहा कर रहा है। परिवर्तन संभव है, हम आशावादी है। प्रभु श्रीराम की लड़ाई रावण से उसके विचार धारा से हुई थी। आज हम रावण का पुतला दहन करते है क्योंकि वह भोगवाद का प्रतीक था।

अंत में हमेशा भोगवाद की पराजय होती है। हमारे आदर्श श्रीराम है। शिक्षा में जितना उपयोगी विज्ञान और इंफार्मेशन टेक्नालॉजी है, उसी तरह आध्यात्म का भी समावेश जरुरी है। आज लोग विकास मार्ग पर चल तरक्की तो कर रहे हैं लेकिन पारिवारिक प्रेम और शांति सभी के जीवन से विलुप्त होती जा रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से भी बच्चों को आध्यात्म की शिक्षा दी जा सकती हैए ऐसे साइट से बच्चों को जोड़ें जो आध्यात्मिक हों क्योंकि विकास और वैभव की रेस में मन, आत्मा और जीवन को आध्यात्म की डगर से ही शांति नसीब होगी।

दीदी माँ मंदाकिनी श्रीरामकिंकर ने कहा की झारखंड में जैन तीर्थ को वहां की सरकार द्वारा पर्यटन के रूप में विकसित करने के प्रयास पर हो रहे विरोध प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थल होने से अनेक धर्म के लोग वहां पहुँचेंगे और जैन धर्म को जानने समझने का उन्हें भी अवसर मिलेगा, इसलिए उन्हें लगता है कि इसका विरोध नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा पिछले कुछ वर्षों में अयोध्या सहित हिन्दू धर्मस्थलों का जिस तरह विकास हुआ है वह स्वागत योग्य है।

ज्ञातव्य हो कि राधाकृष्ण मंदिर परिसर नेहरू नगर पूर्व भिलाई में अयोध्यावासी दीदी माँ मंदाकिनी श्रीरामकिंकर जी की श्रीराम कथा 6 से 8 जनवरी तक संध्या साढ़े 5 से साढ़े 7 बजे तक आयोजित की गयी है। इसी दिन 4.30 से 5.30 तक भजन संध्या भी होगी। बंगला नं 20/2 नेहरू नगर पश्चिम आवास स्थल पर सुबह 9.30 से 11 बजे तक दैनिक प्रार्थना, भजन आरती एवं दर्शन आदि का कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम में दीदी मंदाकिनी कल शाम रायपुर एयरपोर्ट पहुंची और वहां से 7 बजे नेहरू नगर पश्चिम स्थित अपनी शिष्या मीरा गुप्ता के आवास स्थल आईं हैं। आज संध्या 4 बजे कलश यात्रा निकाली गई जो कि आवासीय स्थल से राधाकृष्ण मंदिर तक जाकर समाप्त हुई।

पत्रकारवार्ता के दौरान दीदी मां मंदाकिनी श्रीरामकिंकर ने बताया कि संस्कृति व संस्कार से जुड़े सभी लोग इस आयोजन लिए आमंत्रित हैं। 6 जनवरी से भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर में श्रीराम कथा का भव्य आयोजन है। इस दौरान भगवान राम से जुड़ी लीलाओं का वर्णन किया जाएगा। आध्यात्म से जुडऩे का यह एक श्रेष्ठ अवसर है। तीन दिनों के इस आयोजन में रोज मनोवैज्ञनिक रूप से प्रभु राम की लीलाओं का वर्णन होगा। पत्रकारवार्ता मे जितेंद्र सोनी, दीपिका सोनी, विवान, शिवकुमार सोनी, अन्नापूर्णा सोनी, अनीस, नीलम सोनी, संजीव सुमन सोनी एवं श्रीरामकिंकर शिष्य परिवार प्रमुख रूप से उपस्थित थे।