करोड़ों की सोलर एनर्जी पड़ी महंगी, डीएमएफ के पैसे हो रहे बर्बाद…
December 28, 2022रायगढ़,28 दिसंबर । जिस तरह से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए रायगढ़ में रूपयों की बारिश की गई, इससे तो पूरा जिला जगमग हो उठता, लेकिन हालत यह है कि क्रेडा के लगाए सोलर सिस्टम में 30 प्रतिशत ही काम कर रहे हैं। शहर के सरकारी दफ्तरों में लगे हुए सोलर सिस्टम तो चालू हालत में हैं, गोठनों में तो कहीं पंप खराब हो गया, तो कहीं बैटरी। नवीनीकृत ऊर्जा स्रोतों को अब विकल्प बनाने के लिए केंद्र सरकार प्रयासरत है। इसके लिए हर साल अरबों रुपयों का निवेश किया जाता है। छत्तीसगढ़ स्टेट रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी के जरिए प्रदेश में इस सेक्टर में काम किया जाता है। क्रेडा को सरकार की ओर से भी फंड मिलता है। जिसमें सौर सुजला योजना के अलावा अन्य कई योजनाएं चलती हैं।
जिले में डीएमएफ के छींटे इस विभाग पर भी पड़े हैं। अब तक डीएमएफ से क्रेडा को 7 करोड़ रुपये से भी अधिक मिल चुके हैं। इसकी उपयोगिता के बारे में सवाल करेंगे तो कोई तो जवाब नहीं मिलेगा। वर्ष 16-17 से लेकर 21-22 तक क्रेडा को डीएमएफ से करीब सात करोड़ रुपये आवंटित किए गए। 16-17 में पेयजल के लिए ही सोलर पंप, जल शुद्धिकरण संयंत्र और सप्लाई सिस्टम में 4 करोड़ रुपए फूंक दिए गए। वर्तमान में इन प्रोजेक्ट की हालत के बारे में कोई बात ही नहीं करना चाहता। सभी तहसीलों के एक एक गांव में सोलर पंप लगाए गए थे। कई गांव को प्रोजेक्ट से जोड़कर पेयजल आपूर्ति व्यवस्था में भी राशि खर्च की गई थी। इसी तरह 18-19 में करीब 65 लाख, 19-20 में 57 लाख रुपये और 20-21 में 1 करोड़ 21 लाख रुपए डीएमएफ मद से रायगढ़ को दिए गए थे।
गौठानों और छात्रावास के सिस्टम पड़े हैं बेकार
क्रेडा ने सोलर सिस्टम लगाने के बाद इनका फॉलोअप ही नहीं किया। ज्यादातर गांव गौठानों में सोलर सिस्टम लगाए गए थे, जो अब अलग-अलग कारणों से बंद पड़े हैं। किसी के बोरवेल में पत्थर डाल दिया गया है, तो किसी की वायरिंग खराब हो गई है। कहीं बैटरी काम नहीं कर रही। आदिवासी विकास विभाग के छात्रावासों में तो और भी बुरा हाल है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद उपयोगिता का प्रतिशत बेहद कम है।