भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन से ही धनी हो गए थे गरीब सुदामा, ये है कथा

भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन से ही धनी हो गए थे गरीब सुदामा, ये है कथा

December 11, 2022 Off By NN Express

भगवान श्रीकृष्ण के मित्र सुदामा को कौन नहीं जानता. भगवान की माखन चोरी की लीलाओं से लेकर गुरुकुल में अध्ययन तक वे भगवान श्रीकृष्ण के साथ रहे, पर समय के साथ श्रीकृष्ण तो द्वारिका के राजा बन गए, लेकिन सुदामा की गरीबी बढ़ती ही गई. हालात ये हो गए कि भोजन बिना सुदामा व उनकी पत्नी सुशीला का जीवन तक संकट में पड़ गया. फिर भगवान श्रीकृष्ण की उन पर ऐसी कृपा हुई कि उनका जीवन सुख, संपत्ति व समृद्धि से भर गया. सुदामा की गरीबी से लेकर नगर सेठ बनने तक की वही भक्तिमयी कथा आज हम आपको बताने जा रहे हैं I

श्रीकृष्ण व सुदामा की कथा

पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार, सुदामा भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र व भक्त थे. गुरु संदीपनी के आश्रम में दोनों ने साथ ही अध्ययन किया था, पर भगवान श्रीकृष्ण तो आगे चलकर द्वारिका के राजा बने और सुदामा की गरीबी दिनों-दिन बढ़ती गई. एक समय का भोजन जुटाना भी परिवार के लिए मुश्किल हो गया था. जब भूख से जीवन पर संकट आने लगा तो उनकी पत्नी सुशीला ने उन्हें द्वारकानाथ श्रीकृष्ण से मदद लेने की बात कही पर भक्त सुदामा ने हर हाल में मस्त होने की बात कहते हुए सुशाीला को वहां जाने से मना कर दिया. तब सुशीला ने कहा कि भगवान से कुछ नहीं मांगो तो भी उनके मधुर रूप के दर्शन तो आपको होंगे ही. मुझे विश्वास है कि उससे ही हमारे अभाव खत्म हो जाएंगे I

ये सुन सुदामा श्रीकृष्ण दर्शन की लालसा से पैदल ही द्वारिका के लिए निकल पड़े. जाते समय वे घर में रखे कुछ चावल पोटली में बांधकर ले गए I श्रीकृष्ण के सुंदर रूप का दर्शन करने के आनंद में वे द्वारिकापुरी तो पहुंच गए, लेकिन फटेहाल सुदामा को देख द्वारपालों ने उन्हें राजमहल के प्रवेशद्वार पर ही रोक लिया. नाम-पता पूछकर उन्होंने राजसभा में श्रीकृष्ण के पास जाकर बिना पगड़ी, जूती व फटे-पुराने कपड़े पहने एक गरीब व बदहाल ब्राह्मण के द्वारिका में आने की बात कही. जब उसका नाम सुदामा बताया तो श्रीकृष्ण तमककर उठ खड़े हुए. भाव से उनकी आंखों में आंसू आ गए और बेसुध हो बिना जूतियों के दौड़ते हुए सुदामा से मिलने पहुंच गए. बिलखते हुए उन्होंने सुदामा को अपने गले से लगा लिया I

इसके बाद वे सुदामा को राजमहल ले गए. यहां सिंहासन पर बिठाकर उनके चरण धोए. इस दौरान द्वारिका का वैभव देख छिपाई गई सुदामा की चावलों की पोटली भी श्रीकृष्ण को दिख गई. उन्होंने उसे सुदामाजी से जबरदस्ती छीनकर खाना शुरू कर दिया. इसी समय सुदामा की पत्नी सुशीला के भावों को विचार कर श्रीकृष्ण ने उन पर अपार संपत्ति की कृपा कर दी, जिसका सुदामा को भी पता नहीं लगा I कुछ दिन श्रीकृष्ण के साथ ठाठ-बाट में बिताकर जब सुदामा वापस अपने नगर लौटे तो उन्हें सबकुछ बदला नजर आया. उनका नगर द्वारिका की तरह ही बहुत सुंदर हो गया था. अपनी झोपड़ी व पत्नी का विचार किया तो उन्हें सामने से नए वस्त्र व गहनों से लदी पत्नी सुशीला आती दिखी, जिसने श्रीकृष्ण की कृपा का समाचार सुदामा को सुनाया. लेकिन, संपति पाकर भी सुदामा जी उसके मोह व भोगों में नहीं फंसे. अपने पुराने ढंग से ही व भगवान की भक्ति व प्रेम रस में डूबे रहे I