कर्मचारियों को पेंशन पर मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की 15000 की वेतन सीमा

कर्मचारियों को पेंशन पर मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की 15000 की वेतन सीमा

November 5, 2022 Off By NN Express

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्मचारियों की पेंशन को लेकर बड़ा फैसला दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना-2014 की वैधता को बरकरार रखा है। लेकिन 15000 रुपये की वेतन सीमा को रद्द कर दिया है। बता दें, 2014 में वेतन सीमा 6000 रुपये से बढ़ाकर 15000 रुपये कर दिया गया था। 

6 महीने का मिला अतिरिक्त समय 

चीफ जस्टिस यू .यू. ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 को बरकरार रखा, लेकिन इस योजना के कुछ प्रावधानों को हटाते हुए इसका लाभ उठाने के लिए (जो स्पष्ट समझ के अभाव के कारण योजना का लाभ नहीं उठा पाएं) 6 महीने की अतिरिक्त समय की मोहलत दी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने 15,000 रुपये से अधिक के वेतन पर 1.16 प्रतिशत के योगदान की शर्त को भी रद्द कर दिया है। चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि योगदान पूरी तरह से देयता पर निर्भर करेगा।

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केरल हाई कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका पर अपना फैसला सुनाया है।। सुप्रीम कोर्ट ने छह दिनों की सुनवाई के बाद 11 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केरल हाई कोर्ट ने 2018 में कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 को रद्द कर दिया था। उच्च न्यायालय ने इस योजना लाभ उठाने के लिए कोई निश्चित तारीख हटाते हुए 15,000

रुपए प्रति माह की बेसिक वेतन सीमा से ऊपर के अनुपात (15,000 रुपए से अधिक वेतन स्थिति में) में पेंशन भुगतान करने आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ की अपील 2019 में खारिज कर दी थी। इसके बाद ईपीएफओ और केंद्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी सुप्रीम कोर्ट के दो सदस्यीय बेंच ने पुनर्विचार की याचिका स्वीकार करते हुए इस मामले को तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष भेजने का फैसला दिया था।

पुनर्विचार याचिका में दलील दी गई थी कि पेंशन और भवष्यि निधि अलग-अलग हैं। भवष्यि निधि की सदस्यता खुद पेंशन कोष में तब्दील नहीं होगी। यह भी तर्क दिया गया था कि पेंशन की योजना कम उम्र के कर्मचारियों के लिए है। इसकी सीमा बढ़ाई जाती है यानी अधिक बेसिक वेतन वालों को वेतन के अनुपात में पेंशन की अनुमति दी जाती है तो इससे वित्तीय बोझ बढ़ेगा और आर्थिक असंतुलन पैदा होगा। दूसरी ओर, पेंशनभोगियों की ओर से अदालत के समक्ष तर्क दिया गया था कि पेंशन का भुगतान ब्याज की राशि से किया जाता है। मूल कोष इसका कोई लेना देना नहीं है। कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 के तहत 6500 रुपए से बढ़ाकर हजार रुपए की 15000 रुपए कर दिया गया था।