देवभोग में 40 फ्लोराइड रिमूवल प्लांट्स में से 24 चालू, पीएचई विभाग ने हाईकोर्ट में दी जानकारी…

देवभोग में 40 फ्लोराइड रिमूवल प्लांट्स में से 24 चालू, पीएचई विभाग ने हाईकोर्ट में दी जानकारी…

August 16, 2024 Off By NN Express

बिलासपुर । गरियाबंद जिले के कई गांवों में बच्चों में डेंटल फ्लोरोसिस की गंभीर समस्या पर आई मीडिया रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज की और पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी) विभाग के सचिव से जवाब तलब किया। इस मामले में पीएचई सचिव ने समस्या को अपेक्षाकृत कम गंभीर बताते हुए जवाब प्रस्तुत किया है।

गरियाबंद जिले के लगभग 40 से अधिक गांवों में बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस के शिकार हो रहे हैं। डेंटल फ्लोरोसिस एक गंभीर स्थिति है जो पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा के कारण होती है, जिससे बच्चों के दांत पीले, दागदार, और विकृत हो सकते हैं। इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने पीएचई विभाग से तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

पीएचई सचिव ने क्या कहा?
पीएचई सचिव के अनुसार, जिले के 40 गांवों में फ्लोराइड की समस्या को दूर करने के लिए 6 करोड़ रुपये की लागत से फ्लोराइड रिमूवल प्लांट्स लगाए गए थे। उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में इलाज और सहायता की व्यवस्था लगातार जारी है। साथ ही, सचिव ने स्पष्ट किया कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिकतम तीन गुना पाई गई है, न कि आठ गुना, जैसा कि पहले बताया गया था।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि लगाए गए 40 फ्लोराइड रिमूवल प्लांट्स में से 24 प्लांट्स सही तरीके से काम कर रहे हैं, जबकि बाकी 16 प्लांट्स को सुधारने का कार्य जारी है। इसके विपरीत, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि इनमें से कोई भी प्लांट सही तरीके से काम नहीं कर रहा था।

स्थानीय प्रशासन की उदासीनता से बढ़ी समस्या
गरियाबंद जिले के देवभोग ब्लॉक के 40 गांवों में फ्लोराइड युक्त पेयजल की समस्या से हर साल लगभग 100 से अधिक स्कूली बच्चे प्रभावित हो रहे हैं, जिनकी उम्र 6 से 10 साल के बीच है। प्रभावित गांवों में नांगलदेही, पीठापारा, दरलीपारा, गोहरापदर, झाखरपारा, धुपकोट, निष्टिगुड़ा, और कई अन्य गांव शामिल हैं।

इन गांवों के प्रधान पाठकों ने बताया कि बंद फ्लोराइड रिमूवल प्लांट्स को फिर से शुरू करने के लिए कई बार प्रयास किए गए, लेकिन ठेकेदारों, कर्मचारियों, और अधिकारियों ने उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया। स्थानीय प्रशासन की इस उदासीनता ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।

हाईकोर्ट इस मामले में पीएचई विभाग द्वारा दिए गए जवाब की समीक्षा करेगा और आवश्यक निर्देश जारी कर सकता है ताकि इन गांवों में बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।