विपक्ष का सवाल : जैजैपुर में पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित जमीन का क्या होगा?
February 27, 2024रायपुर । विधानसभ बजट सत्र के दौरान मंगलवार को सदन में जैजैपुर में पावर प्लांट का मुद्दा उठा। कांग्रेस विधायक बालेश्वर साहू ने प्रश्नकाल में सवाल उठाया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अनुपस्थिति में उनके विभाग से जुड़े प्रश्नों का उत्तर दे रहे स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जवाब देते हुए बताया कि जैजैपुर में पावर प्लांट लगाने के लिए राज्य सरकार और मोजर वेयर पावर प्लांट के बीच समझौता (एमओयू) हुआ था। यह एमओयू 2008 में हुआ था। समझौते के तहत कंपनी को 65 से 70 महीने में प्लांट की पहली यूनिट को चालू कर लेना था, लेकिन कंपनी संयंत्र स्थापित करने में असफल रही। ऐसे में शर्तों के तहत सरकार ने कंपनी को आवंटित जमीन वापस ले ली है।
मंत्री जायसवाल ने बताया कि कंपनी के साथ किया गया एमओयू भी निरस्त कर दिया गया है। इस पर विधायक साहू ने पूछा कि प्लांट के लिए क्षेत्र के किसानों की जमीन ली गई थी। किसानों ने भी इस उम्मीद के साथ कंपनी के लिए जमीन दी थी कि प्लांट लगेगा तो उन्हें भी रोजगार मिलेगा, लेकिन अब प्लांट नहीं लग रहा है तो क्या सरकार किसानों को उनकी जमीन वापस करेगी। साहू ने बस्तर के लोहांडीगुड़ा का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां टाटा कंपनी के लिए जमीन अधिग्रहीत की गई थी, लेकिन जब प्लांट नहीं लगा तो किसानों को जमीन लौटा दी गई।
इस पर मंत्री जायसवाल ने बताया कि टाटा से यह प्रकरण अलग है। उन्होंने बताया कि टाटा ने लोगों से सीधे जमीन लिया था, लेकिन यहां राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहीत की और फिर कंपनी को दी गई थी। इस वजह से यह जमीन किसानों को वापस नहीं हो सकता।जमीन राज्य के औद्योगिक विकास निगम के लैंड बैंक में रखा गया है। सरकार वहां बड़ा उद्योग लगाने के लिए बड़े निवेशकों से चर्चा कर रही है।