तिलक लगाकर स्कूल पहुंची स्टूडेंट को प्रिंसिपल ने निकाला बाहर, कहा- बाकी छात्रों को होती है दिक्कत
July 22, 2023मेरठ में 11वीं की छात्रा को तिलक लगाना महंगा पड़ गया. सावन के महीने में छात्रा रोज उपवास रखकर घर से तिलक और रुद्राक्ष की माला पहन कर स्कूल जाती थी. स्कूल के शिक्षकों ने प्रिंसिपल से शिकायत की. इसके बाद प्रिंसिपल ने परिवारवालों को बुला कर छात्रा को स्कूल आने से मना कर दिया. परिवारवालों का आरोप है कि स्कूल की प्रिंसिपल भावना चौहान ने उनसे एक एप्लीकेशन पर साइन करने के लिए भी कहा. जिसमें लिखा हुआ था कि वह अपनी बेटी को अपनी इच्छा से स्कूल से निकाल रही हैं. स्कूल के ऊपर कोई भी भविष्य में परेशानी आती है, तो वह बेटी और मां के ऊपर कार्रवाई कर सकती हैं.
इस पूरी घटना पर छात्रा की मां ने बताया कि स्कूल की प्रिंसिपल ने उन्हें अकेले स्कूल में आने के लिए कहा था. जब वह वहां पर गई तो स्कूल के प्रिंसिपल ने पुलिस वालों को बुला रखा था. उनके सामने ही साइन करने के लिए जबरदस्ती की.
बाकी धर्म के लोंगो को होगी परेशानी
यह पूरा मामला मेरठ के नेशनल हाईवे 58 स्थित सुभाष इंटर कॉलेज का है. वह 11वीं की छात्रा है. स्कूल में तिलक, गले में जनेऊ और हाथ में रुद्राक्ष की माला पहन कर स्कूल जाती थीं. स्कूल के शिक्षकों ने इसका विरोध किया और फिर प्रिंसिपल भावना को इसकी जानकारी दी. प्रिंसिपल भावना ने तर्क देते हुए कहा कि ऐसा करने पर बाकी धर्म के जो छात्र आते हैं उनको परेशानी होगी. तुम तिलक लगाकर मत आया करो.
संध्या स्कूल में लव जिहाद के बारे में करती है बात
स्कूल की प्रिंसिपल भावना चौहान ने कहा कि एक बार वह छात्रा को तिलक लगाने के लिए अनुमति दे भी दें. संध्या स्कूल में साथ की लड़कियों से लव जिहाद के बारे में बात करती हैं. मुसलमानों के खिलाफ उनको जलाने की बात करती है. ऐसे में कैसे किसी छात्रों को स्कूल में आने की अनुमति दी जाए.
बेटी को मां ने किया लव जिहाद के बारे में जागरुक
वहीं, दूसरी तरफ छात्रा संध्या से जब बात की गई तो उसने कहा कि वह क्यों न किसी को लव जिहाद के प्रति जागरूक किया जाए. इतना ही नहीं छात्रा की मां ने भी अपने बयान में कहा कि यह उम्र में अपनी बेटी को यह बताना जरूरी है कि लव जेहाद क्या है?
मैं उसे यह सब बताती हूं. इस मामले पर प्रिंसिपल ने कहा कि उसके स्कूल में करीब 700 छात्र हैं. जिसमें से करीब 10 परसेंट मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में किसी भी छात्रा को इस तरीके की बात करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.