रेपो रेट में कटौती कर सकता है RBI, जानिए कब करेंगे गवर्नर संजय मल्होत्रा घोषणा…

रेपो रेट में कटौती कर सकता है RBI, जानिए कब करेंगे गवर्नर संजय मल्होत्रा घोषणा…

April 8, 2025 Off By NN Express

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक कल समाप्त हो जाएगी. इस तीन दिवसीय बैठक के आखिरी दिन, 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेंगे. माना जा रहा है कि इस बार भी आरबीआई रेपो रेट में कटौती कर सकता है. इससे पहले, फरवरी में रिज़र्व बैंक ने पाँच साल के लंबे अंतराल के बाद नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की थी.

मुद्रास्फीति को लेकर चिंता नहीं 

विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की जा सकती है, क्योंकि फिलहाल मुद्रास्फीति के मोर्चे पर कोई बड़ी चिंता नहीं है. विकास को प्रोत्साहित करने के लिए रिज़र्व बैंक रेपो दर में थोड़ी राहत दे सकता है. उनका कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियाँ बढ़ गई हैं. ऐसे में भारत में आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए तत्काल कदम उठाने की ज़रूरत है.

रेटिंग एजेंसी की भी उम्मीद 

रेटिंग एजेंसी ICRA को भी उम्मीद है कि एमपीसी तटस्थ रुख बनाए रखते हुए रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकती है.पिछली बैठक में, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में रेपो रेट में 0.25% की कटौती की गई थी, जिससे दर घटकर 6.25% रह गई थी. यह कटौती करीब पाँच वर्षों के लंबे इंतजार के बाद हुई थी. इससे पहले आरबीआई ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कई बार रेपो रेट में वृद्धि की थी, जिससे कर्ज महंगे हो गए थे और ईएमआई का बोझ भी बढ़ गया था.

इस साल कितनी कटौतियाँ हो सकती हैं? 

आरबीआई की अगली एमपीसी बैठक 4 से 6 जून के बीच होगी, जिसमें भी रेपो रेट में कटौती की संभावना है. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि 2025 में आरबीआई कुल 75 आधार अंकों की तीन कटौतियाँ कर सकता है. इसका उद्देश्य बढ़ते व्यापारिक तनावों के बीच आर्थिक विकास को सहारा देना है.

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर 26% टैरिफ लगाए जाने से 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि पर लगभग 40 आधार अंकों का असर पड़ सकता है. ऐसे में आरबीआई नीतिगत ब्याज दरों में कटौती जारी रख सकता है.

आप पर इसका क्या असर होगा?

रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. जब यह दर बढ़ती है, तो बैंकों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है, जिससे वे ग्राहकों को भी महंगे दर पर ऋण देते हैं. इसके विपरीत, जब रेपो रेट में कटौती होती है, तो बैंकों के लिए कर्ज सस्ता हो जाता है और आम लोगों के लिए होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन आदि की EMI में राहत मिल सकती है.

ऐसे समय में जब खाने-पीने की चीज़ों से लेकर एलपीजी सिलेंडर तक की कीमतें बढ़ रही हैं, ईएमआई में थोड़ी राहत भी आम लोगों को सुकून दे सकती है.