अब Facebook चलाने के लिए देने होंगे पैसे, इंस्टाग्राम के लिए भी भरनी होगी फीस, मेटा ने लागू की नई पॉलिसी….

अब Facebook चलाने के लिए देने होंगे पैसे, इंस्टाग्राम के लिए भी भरनी होगी फीस, मेटा ने लागू की नई पॉलिसी….

April 2, 2025 Off By NN Express

Facebook और Instagram दुनिया भर में करोड़ों लोग इस्तेमाल करते हैं। दुनिया के दो बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म करोड़ो यूजर्स के लिए अब तक तो मुफ्त है, लेकिन अब ऐसा लगता है कि आप इन दोनों प्लेटफॉर्म्स को मुफ्त में इस्तेमाल करने का आनंद ज्यादा दिनों तक नहीं ले पाएंगे।

इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने के लिए अब पैसे देने पड़ सकते हैं। जी हां, सोशल मीडिया दिग्गज Meta अब ब्रिटेन में एक नए सब्सक्रिप्शन मॉडल पर विचार कर रही है, जिससे यूजर्स अपने फीड में बिना विज्ञापन (Ad-Free) के सोशल मीडिया का आनंद ले सकें।

क्यों आया ये नया प्लान?
Meta का यह फैसला अचानक नहीं आया, बल्कि इसके पीछे एक कानूनी मामला है। दरअसल, ब्रिटेन में Meta को एक यूजर को टार्गेटेड विज्ञापन न दिखाने पर सहमत होना पड़ा। यह मामला लंदन हाई कोर्ट तक पहुंचा था, लेकिन कंपनी ने मुकदमे से बचने के लिए इसे सुलझा लिया।

इस केस की शुरुआत 2022 में तब हुई, जब मानवाधिकार कार्यकर्ता तान्या ओ’कैरेल ने Meta के खिलाफ $1.5 ट्रिलियन का मुकदमा दायर किया। उनका आरोप था कि Meta ने उनकी सहमति के बिना उनका निजी डेटा इकट्ठा कर लिया और उनके ऊपर टार्गेटेड विज्ञापन दिखाए, जिससे यूके के डेटा सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन हुआ।

तान्या ने इस मामले को सिर्फ अपनी लड़ाई नहीं, बल्कि एक बड़ा बदलाव बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन सभी लोगों के लिए अहम है, जो ऑनलाइन विज्ञापनों को लेकर चिंतित हैं। इस मामले में यूके की डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने भी तान्या का समर्थन किया, जिससे यह और गंभीर बन गया।

EU में पहले से लागू है ये सर्विस
Meta ने 2023 में यूरोपीय संघ (EU) में पहले ही ऐड-फ्री सब्सक्रिप्शन सर्विस शुरू कर दी थी। GDPR और डिजिटल मार्केट्स एक्ट (DMA) जैसे नियमों का पालन करने के लिए कंपनी ने यह कदम उठाया।

Meta ने पिछले साल अपनी सब्सक्रिप्शन की कीमतें 40% तक कम कर दी थीं। यूरोप में वेब यूजर्स के लिए मेंबरशिप फीस €9.99 से घटाकर €5.99 प्रति माह और iOS तथा Android पर €12.99 से घटाकर €7.99 प्रति माह कर दी गई थी। अब देखना दिलचस्प होगा कि ब्रिटेन में इसकी कीमत क्या होगी और क्या भारत में भी यह मॉडल लागू हो सकता है?