चीन से MBBS करने वाले भारतीय छात्र जान लें ये जरूरी नियम वरना भारत में नहीं कर सकेंगे डॉक्टरी
November 8, 2022विदेश मंत्रालय ने चीन में मेडिकल की पढ़ाई करने के इच्छुक भारतीय छात्रों को नए नियमों को लेकर फिर से चेताया है। 18 नवंबर 2021 से लागू नए नियमों के तहत विदेशों में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद छात्रों को पहले उस देश में डाक्टरी का लाइसेंस हासिल करना अनिवार्य है। यदि वह इसमें सफल नहीं होता तो वह भारत में विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट के लिए आयोजित होने वाले टेस्ट ( FMGE ) में शामिल होने के योग्य नहीं माना जाएगा।
आपको बता दें कि विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करके अगर भारत में डॉक्टरी करनी है, तो इसके लिए एफएमजीई नाम की परीक्षा देनी होती है। फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (FMGE) परीक्षा पास करके ही भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस मिलता है। इस टेस्ट को पास करना काफी कठिन होता है। यानी अगर एफएमजीई टेस्ट पास नहीं किया तो भारत में कभी डॉक्टरी नहीं कर पाएंगे।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा जारी यह नियम विदेशों में पढ़ाई करने वाले सभी मेडिकल छात्रों पर लागू होता है। लेकिन हाल में इस बाबत बीझिंग स्थित भारतीय दूतावास ने यह एडवाइजरी जारी की है कि जिसे बाद में विदेश मंत्रालय ने भी मीडिया से साझा किया है। इसमें छात्रों एवं अभिभावकों से कहा गया है कि 21 नवंबर 2021 के बाद विदेश अध्ययन के लिए गए मेडिकल छात्रों को न सिर्फ वहां लाइसेंस हासिल करना होगा। साथ ही सिर्फ अंग्रेजी माध्यम में ही पढ़ाई करनी होगी। बता दें कि चीन में ज्यादातर पढ़ाई स्थानीय भाषाओं में होती है।
चीन में लाइसेंस न मिलने पर क्या वहां असिस्टेंट डॉक्टर बन सकते हैं?
दरअसल अभिभावकों की तरफ से भारतीय दूतावास से इस बारे में जानकारी मांगी गई थी। अभिभावकों द्वारा यह भी जानकारी मांगी जा रही है कि जो छात्र वहां लाइसेंस हासिल करने में विफल रहते हैं वे क्या वहां असिस्टेंट डॉक्टर के रूप में कार्य कर सकते हैं ताकि वे अपने शिक्षा ऋण की किस्त चुका सकें और रहने का खर्च जुटा सकें। चीन में भारतीय दूतावास ने कहा कि इस बार में चीनी अधिकारियों से संपर्क किया गया है तथा उनसे यह जानकारी मांगी गई है। जैसे ही उन्हें पता चलेगा उसे छात्रों से साझा किया जाएगा।
चीन में 23000 से अधिक भारतीय छात्र, ज्यादातर कर रहे मेडिकल की पढ़ाई
सूत्रों के अनुसार चीन के विश्वविद्यालयों में इस समय 23,000 से अधिक भारतीय छात्र पंजीकृत हैं। इनमें से अधिकतर डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं। कोविड संबंधी वीजा पाबंदियों की दो साल से अधिक की अवधि के बाद चीन ने हाल में छात्रों की वापसी के लिए वीजा जारी करना शुरू किया है। अब तक 350 से ज्यादा छात्र चीन में अपने कॉलेजों में पढ़ाई के लिए भारत से लौट चुके हैं। इनमें से अधिकतर को वापसी के लिए संघर्ष करना पड़ा क्योंकि कोई सीधी उड़ान नहीं है तथा दोनों देश बीजिंग में पृथकवास संबंधी प्रतिबंधों के मद्देनजर सीमित उड़ान सुविधाओं को लेकर बातचीत कर रहे हैं।
इस बीच, चीन के मेडिकल कॉलेजों ने भारत और दूसरे देशों से नये छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिसके चलते सरकार को नई एडवाइजरी जारी करनी पड़ी है। दूतावास ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उसने संबंधित चीनी अधिकारियों तथा मेडिकल कॉलेजों को इससे अवगत करा दिया है और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि चीन में चिकित्सा की पढ़ाई करने के लिए आने वाले सभी भारतीय छात्र शिक्षित, प्रशिक्षित और सुविधा संपन्न हों ताकि वे एनएमसी की उपरोक्त आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।