रायपुर से कोरबा आने नौ घंटे तक कोई ट्रेन नहीं-सड़क मार्ग ही विकल्प
September 24, 2024(कोरबा) रायपुर से कोरबा आने नौ घंटे तक कोई ट्रेन नहीं-सड़क मार्ग ही विकल्प
कोरबा : कोरबा से रेलवे को सालाना 7 हजार करोड़ की आय हो रही है। दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर की आय में कोरबा की भागीदारी सर्वाधिक है। इसके बाद भी यहां के लोगों को अपने ही राज्य की राजधानी रायपुर से वापस लौटने के लिए साधन ढूंढ़ना पड़ता हैं।
यात्रियों को यह परेशानी इसलिए हो रही हैं क्योंकि रायपुर से 11 घंटे और 9 घंटे तक बिलासपुर से कोरबा आने के लिए एक भी यात्री गाड़ी उपलब्ध नहीं है। जो लोग रायपुर व बिलासपुर जाते हैं और वहां से कोरबा आना चाहते हैं उन्हें या तो सड़क मार्ग से आना पड़ता है फिर चाम्पा तक किसी अन्य ट्रेन में यात्रा कर यहां से सड़क मार्ग से कोरबा पहुंचना पड़ रहा है। इससे उन्हें परेशानी तो होती ही है साथ ही उनकी जेब भी हल्की होती है। सड़क मार्ग से यात्रा करने पर पर उन्हें अधिक खर्च करना पड़ना है। यहां के लोगों को होने वाली यह समस्या हाल फिलहाल की नहीं बल्कि कई साल से बनी हुई हैं। इसके बाद भी रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं।
- रद्द मेमू शुरू हुई तो रायपुर से मिलने लगेगी सुविधा
गाड़ी संख्या 08745/06746 गेवरारोड-रायपुर-देवरारोड स्पेशल मेमू भी कोरबा से सुबह 6.50 बजे रायपुर रवाना होती थी और वहां से दोपहर 1.50 बजे कोरबा के लिए छूट रही थी, इस गाड़ी को शुरू करने से रायपुर में परेशान होने वाले कोरबा के यात्रियों को बड़ी राहत मिलने लगेगी। खासकर हाल्ट स्टेशनों के यात्रियों को भटकना नहीं पढ़ेगा। क्योंकि इस गाड़ी के रद्द होने से उनकी सुविधा पूरी तरह से बंद हो गई है। रेलवे अगर इस गाड़ी को शुरू करता है तो रायपुर से जहां दोपहर में साधन मिलने लगेगा वहीं बिलासपुर से 9 के बजाये 8 घंटे में ट्रेन मिल जाएगी।
एक साल पहले तक रायपुर से कोरबा आने के लिए दोपहर 1.50 बजे 08746 रायपुर-गेवरारोड मेमू स्पेशल की सुविधा मिल रही थी। यह गाड़ी शाम को 7.05 बजे कोरबा पहुंच रही थी। जिसे रेलवे प्रबंधन संरक्षा का हवाला देकर बंद कर रखा गया है। इसी तरह बिलासपुर से रोजाना दोपहर 2.50 बजे 08212 स्पेशल पैसेंजर गेवरारोड तक चल रही थी। शिवनाथ एक्सप्रेस का रैक होने के कारण गाड़ी के विस्तार होने पर 29 सितंबर 2023 से बंद कर दिया गया है। जिसके कारण अब सीधे शाम को 6.40 बजे मेमू पैसेंजर मिल रही है। - रेल संघर्ष समिति के दिए सुझाव पर नहीं किया गया अमल
रेल संघर्ष समिति के संरक्षक रामकिशन अग्रवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल जीएम नीनू इटेरिया से मिला था। तब उन्हें मांग पत्र सौंप सुझाव दिया गया था कि बिलासपुर-भोपाल-बिलासपुर पैसेंजर जो बिलास्सुर आने के बाद दिन भर खड़ी रहती है। उसे 2.50 बजे कोरबा के लिए रवाना किया जाए। साथ ही उस गाड़ी कोरबा से ही भोपाल पैसेंजर बनाकर रवाना किया जाए। इससे आने वाले यात्रियों को तो फायदा होगा ही साथ ही साथ उसलापुर से यहां के लोगों को कई गाड़ियों की कनेक्शन मिल जाला। पर इस पर अमल ही नहीं किया गया।