चैत्र नवरात्रि की नवमी के दिन करें ये 10 कार्य, मनोकामना होगी पूर्ण…
April 17, 2024चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नववी यानी नवरात्रि की महानवमी इस बार 17 अप्रैल 2024 बुधवार के दिन होगी। यह नवरात्र का अंतिम दिन होता है। इस दिन 10 कार्य करने से माता दुर्गा प्रसन्न होती है। आओ जानते हैं कि वे कौनसे 10 कार्य करना चाहिए और जिसे करके आप सभी तरह के संकटों से बच सकते हैं।
1. हवन : कई लोगों के यहां सप्तमी, अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का समापन होता है, तब अंतिम दिन हवन किया जाता है। अष्टमी और नवमी के दिन हवन करना शुभ होता है।
2. कन्या भोज : जब व्रत के समापन पर उद्यापन किया जाता है तब कन्या भोज कराया जाता है। नवमी पर 9 कन्याओं को भोजन कराने के बाद छोटी कन्याओं को छोटे-छोटे पर्स में दक्षिणा रखकर लाल रंग के किसी भी गिफ्ट के साथ भेंट करें।
3. पूजा आरती : इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इस दिन माता रानी की प्रात: आरती, दोपहर आरती, संध्या आरती और निशीथ आरती करते हैं।
4. लाल चुनरी : माता को इस दिन लाल चुनरी अर्पित करना चाहिए। आप चाहें तो आरती और पूजा के दौरान इस दिन 5 प्रकार के सूखे मेवे लाल चुनरी में रखकर माता रानी को अर्पित करें।
5. लाल ध्वज : देवी मंदिर में लाल रंग की ध्वजा अर्पित करें, चाहें तो मंदिर के गुंबद पर लगा सकते हैं।
6. देवी को लगाएं भोग : नवमी के दिन माता के मंदिर में जाकर लाल चुनरी में मखाने, बताशे के साथ सिक्के मिलाकर देवी को अर्पित करें। इसके साथ ही देवी को मालपुए और खीर का भोग लगाएं।
7. शनि मुक्ति के लिए करें पूजा : अष्टमी और नवमी तिथि पर शनि का भी प्रभाव रहता है। इस दिन माता की अच्छे से आराधना करने से शनि के प्रभाव से माता रक्षा करती हैं।
8. सुहागिनों के दें श्रृंगार का सामान : इस दिन सुहागिन स्त्री को चांदी की बिछिया, कुमकुम से भरी चांदी की डिबिया, पायल, अम्बे माता का चांदी का सिक्का और अन्य श्रृंगार की सामग्री भेंट करें।
9. क्या बनता है इस दिन : इस दिन कड़ी, पूरणपौली, खीर, पूरी, साग, भजिये, हलवा, घेवर, कद्दू या आलू की सब्जी बनाई जा सकती है। उक्त दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करके विधिवत समापन करें और कन्याओं को भोजन कराएं। नवमी के दिन लौकी खाना निषेध है, क्योंकि इस दिन लौकी का सेवन गौ-मांस के समान माना गया है। यदि नवमी गुरुवार की है तो केले और दूध का त्याग करें।
10. जवारे विसर्जन : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के एक बर्तन जवारे बोए जाते हैं। नवरात्रि समाप्त होने के अगले दिन यानी दशमी तिथि को इनका विधि-विधान पूर्वक किसी नदी या तालाब में विसर्जन किया जाता है।