मनोहर गोशाला में बने गोबर के साढ़े 3 लाख से ज्यादा दिये का हुआ नि:शुल्क वितरण

मनोहर गोशाला में बने गोबर के साढ़े 3 लाख से ज्यादा दिये का हुआ नि:शुल्क वितरण

October 21, 2022 Off By NN Express

रायपुर ,21 अक्टूबर  छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में स्थित मनोहर गौशाला का संचालन  2015 से हो रहा है। यहां केवल बुढ़ी और अशक्त गौवंशों की सेवा मैनेजिंग ट्रस्टी अखिल जैन (पदम डाकलिया) के नेतृत्व में उनकी टीम कर रही है। यहां पर 2015 से ही गोबर के दिये बनाये जा रहे हैं। अब तक गोशाला से वर्ष 2021 तक 2 लाख 75 हजार दिए का निशुल्क वितरण किया गया है। इस वर्ष 1 लाख दिए निशुल्क वितरित किया जा रहा है। 

गोशाला के मैनेजिंग ट्रस्टी अखिल जैन (पदम डाकलिया) ने बताया इस वर्ष 1 लाख दिए पूरे देश में निशुल्क बांटा जा रहा है। इसके साथ ही अब तक गोशाला की तरफ से ट्रस्टी अखिल जैन (पदम डाकलिया) ने 12 हजार से ज्यादा बोतल गोअर्क का निशुल्क वितरण किया जा चुका है। इसके साथ ही गोशाला में किसानों के लिए सन लाइट बेस्ड फसल अमृत का निर्माण किया जाता है, जिसका उपयोग कर किसान अपने फसलों को बगैर रासायनिक खाद के सुरक्षित रख सकते हैं। फसल अमृत का पेंटेंट भी मनोहर गौशाला के पास है।

गौवंशों के लिए समर्पित हाईटेक एम्बुलेंस : 

मनोहर गौशाला के पास मध्यभारत की पहली गौवंशों के लिए समर्पित हाईटेक एम्बुलेंस भी है, जिसका संचालन ट्रस्ट कर रही है। यह हाइड्रोलिक एम्बुलेंस सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त गौवंशों को रेस्क्यू कर उपचार केन्द्र तक पहुंचाने में सहायक है। इस एम्बुलेंस में गौवंशों को बगैर मानवीय सहायता के रेस्क्यू किया जा सकता है।

नेत्रहीन गौवंशों की विशिष्ट सेवा : 

गौशाला के ट्रस्टी अखिल जैन (पदम डाकलिया) अपनी टीम के साथ नेत्रहीन गौवंशों की विशिष्ट सेवा कर रहे हैं। इसके साथ ही नेत्रहीन गौवंशों की आंखों की रोशनी लौटाने के प्रयासों पर भी शोध कर रहे हैं।

गौमूत्र पर शोध :

अक्सर गौमूत्र के सेवन से लाभ की चर्चा होती है, लेकिन लाभ कैसे? यह मनोहर गौशाला शोध कर जानने का प्रयास कर रही है। गौशाला में निर्मित गौअर्क की अब तक 12000 से ज्यादा बोतल अखिल जैन (पदम डाकलिया) नि:शुल्क वितरित कर चुके हैं। इस गौअर्क से गंभीर कैंसर से पीडि़त 20 से ज्यादा मरीज लाभ प्राप्त कर चुके हैं। इस गौअर्क का सेवन छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उईके कर रहीं हैं। 

गोबर से होता है  दुर्लभ कलाकृतियों का निर्माण : 

इसके साथ ही गौशाला में गोबर से दीया, वैदिक गणेश, राखी, ब्रेसलेट और मनका सहित विभिन्न दुर्लभ कलाकृतियां बनाई जाती है। जो पूर्णत: नि:शुल्क वितरित की जाती है। गौशाला से अब तक 2 लाख 25 हजार दीपक का वितरण किया जा चुका है। इसमें से 90 हजार दीपक इसी वर्ष वितरित किए गए हैं।

गौवंशों के लिए समर्पित हाईटेक एम्बुलेंस : 

मनोहर गौशाला के पास मध्यभारत की पहली गौवंशों के लिए समर्पित हाईटेक एम्बुलेंस भी है, जिसका संचालन ट्रस्ट कर रही है। यह हाइड्रोलिक एम्बुलेंस सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त गौवंशों को रेस्क्यू कर उपचार केन्द्र तक पहुंचाने में सहायक है। इस एम्बुलेंस में गौवंशों को बगैर मानवीय सहायता के रेस्क्यू किया जा सकता है।

नेत्रहीन गौवंशों की विशिष्ट सेवा : 

गौशाला के ट्रस्टी अखिल जैन (पदम डाकलिया) अपनी टीम के साथ नेत्रहीन गौवंशों की विशिष्ट सेवा कर रहे हैं। इसके साथ ही नेत्रहीन गौवंशों की आंखों की रोशनी लौटाने के प्रयासों पर भी शोध कर रहे हैं।

गौमूत्र पर शोध :

अक्सर गौमूत्र के सेवन से लाभ की चर्चा होती है, लेकिन लाभ कैसे? यह मनोहर गौशाला शोध कर जानने का प्रयास कर रही है। गौशाला में निर्मित गौअर्क की अब तक 12000 से ज्यादा बोतल अखिल जैन (पदम डाकलिया) नि:शुल्क वितरित कर चुके हैं। इस गौअर्क से गंभीर कैंसर से पीडि़त 20 से ज्यादा मरीज लाभ प्राप्त कर चुके हैं। इस गौअर्क का सेवन छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उईके कर रहीं हैं। 

गोबर से होता है  दुर्लभ कलाकृतियों का निर्माण : 

इसके साथ ही गौशाला में गोबर से दीया, वैदिक गणेश, राखी, ब्रेसलेट और मनका सहित विभिन्न दुर्लभ कलाकृतियां बनाई जाती है। जो पूर्णत: नि:शुल्क वितरित की जाती है। गौशाला से अब तक 2 लाख 25 हजार दीपक का वितरण किया जा चुका है। इसमें से 90 हजार दीपक इसी वर्ष वितरित किए गए हैं।

पौराणिक कामधेनु सौम्या को मिला है गौल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड :

मनोहर गौशाला में पुराणों में उल्लेखित कामधेनु की भी उपस्थिति है। इसके दर्शन छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उईके और डब्लूएचओ के डायरेक्ट, नीति आयोग के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक जितेन्द्र शर्मा ने गौशाला परिसर से आकर प्राप्त किए हैं। कामधेनु सौम्या में 27 दुर्लभ लक्ष्ण हैं, जिनका वर्णन वेद-पुराणों में उल्लेखित है। इसी कारण कामधेनु सौम्या को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह मिली है।

मनोहर गौशाला की आगामी योजना 1100 गौ वंश के लिए शेड निर्माण और सर्व सुविधा युक्त पशु चिकित्सालय बनाना है, जिसके लिये भूमि क्रय हो चुकी है। जिस भूमि में 3000 देशी पौधों का रोपण किया जा चुका है, जिससे मिनी जंगल निर्माण कर गौ वंश को प्राकृतिक सुख प्रदान किया जाएगा। वहीं पर एक तालाब का भी निर्माण गौ वंश के पानी पीने के लिए किया गया है।