छत्तीसगढ़: विधानसभा बजट सत्र के छठवें दिन एनपीएस-ओपीएस का मुद्दा गूंजा

छत्तीसगढ़: विधानसभा बजट सत्र के छठवें दिन एनपीएस-ओपीएस का मुद्दा गूंजा

February 12, 2024 Off By NN Express

रायपुर। विधानसभा बजट सत्र के छठवें दिन सोमवार को एनपीएस-ओपीएस का मुद्दा गूंजा। सदन में भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला ने भावना बोहरा और कांग्रेस की शेषनाग हरवंश ने शासकीय अधिकारियों कर्मचारियों के पेंशन सुविधा का मामला उठाया।

विधायक भावना वोरा ने पूछा कि ओपीएस की सहमति देने वाले कर्मचारी और अधिकारियों के एनपीएस खाते में नियमित राशि प्रितिमाह जमा नहीं होने पर उनके खातों को नियमित/जीवित रखने के लिए एनपीएस में क्या प्रावधान है?

वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने नियम बनाया था एनपीस की राशि जमा करने के बाद ही पेंशन दी जाएगी। लेकिन अब तक पैसा जमा न किए जाने की स्थिति में ही कर्मचारियों को अब तक पैसा नहीं दिया गया है।

वर्तमान में एनपीएस विकल्प का चयन करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन से ही एनपीएस योजना के प्रावधान अनुसार नियमित कटौती की जा रही है। ओपीएस के विकल्प लेने वाले कर्मचारियों के पूर्व में एनपीएस अंशदान के रूप में वेतन से कटौती की जाकर एनएसडीएल में जमा की गई राशि में से शासकीय अंशदान एवं उस पर आहरण दिनांक तक अर्जित लाभांश की राशि शासकीय सेवक के मृत्यु/सेवानिवृत्त होने पर उनके एनपीएस खाते के अंतिम भुगतान से शासकीय कोष में जमा की जावेगी।

वित्‍त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि, केन्द्र सरकार से नही बल्कि पीएफआरडीए से कुल राशि रूपये 19136.81 करोड़ राज्य सरकार को प्राप्त होना है। ओपीएस की सहमति देने वाले कर्मचारी और अधिकारियों के लिए एनपीएस खाते में नियमित राशि प्रतिमाह जमा नहीं होने पर उनके खाते को नियमित और जीवित रखने के संबंध में पीएफआरडीए अधिनियम में खाते के अप्रचलित होने संबंधी प्रावधान नहीं है। वर्तमान में एनपीएस विकल्प का चयन करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन से ही एनपीएस योजना के प्रावधान अनुसार नियमित कटौती की जा रही है।

एक प्रश्‍न के जवाब में मंत्री चौधरी ने बताया कि फिलहाल राज्‍य में पुरानी पेंशन योजना ही लागू रहेगी। इमसें बदलाव का कोई प्रस्‍ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। वित्तमंत्री चौधरी ने आरोप लगाया कि, ओपीएस लागू करने के पीछे तत्‍कालीन सरकार की मंशा 19 हजार करोड़ रुपये को हासिल करना था, जो पीएफआरडीए में जमा है। तत्‍कालीन सरकार की गिद्ध जैसी नजर उस पैसे पर थी। लेकिन यह राशि राज्‍य सरकार को नहीं मिलेगी बल्कि जैसे- जैसे कर्मचारी सेवानिवृत्‍त होंगे वैसे-वैसे राशि उन्हें प्राप्‍त होती जाएगी।