पं दीनदयाल के चितन और विचार पीढ़ियों को प्रेरित करने वाले : अमर अग्रवाल

पं दीनदयाल के चितन और विचार पीढ़ियों को प्रेरित करने वाले : अमर अग्रवाल

February 11, 2024 Off By NN Express

बिलासपुर । भारतीय जनता पार्टी के प्रेरणा स्रोत पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि समर्पण दिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए पूर्व मंत्री एवं विधायक अमर अग्रवाल ने जारी संदेश में कहा अंत्योदय के सूत्रधार पंडित दीनदयाल के व्यक्तित्व और कृतित्व भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रणेता भगवान राम की विचारधारा से साम्यता रखते है। राष्ट्रपिता ने भी राम राज्य की परिकल्पना को लेकर कहा था कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं की बहुत सुनिश्चित होनी चाहिए। हमे गर्व है कि सन 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की केंद्र की सरकार ने गरीबों के कल्याण के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों को माध्यम बनाया है। आने वाले कुछ दिनों में देश मोदी की गारंटी पर मोदी को चुनने जा रहा है, मोदी सरकार में सपनों को हकीकत में बुनते हुए  प.दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय मॉडल को राष्ट्रीय चरित्र के रूप में स्थापित किया है। अमर अग्रवाल ने कहा केंद्र सरकार की वित्तीय समावेशन की योजना आज समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही है तो वह पंडित जी के अंत्योदय का ही उदाहरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना’ की शुरुआत की जो आज ग्रामीण भारत की एक नई क्रांति बन चुकी है।

अमर अग्रवाल ने कहा पं दीनदयाल के चितन और विचार पीढि़यों को प्रेरित करने वाले हैं।पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने 1951 में  डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ मिलकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी। उनका मानना था कि एक मजबूत राष्ट्र एक मजबूत दुनिया में योगदान देगा।इसके अलावा, उन्होंने आत्मनिर्भर भारत पर ध्यान केंद्रित किया और एक ऐसे भारत की कल्पना की जो न केवल कृषि में बल्कि रक्षा में भी आत्मनिर्भर होगा। अमर अग्रवाल ने कहा पंडित दीनदयाल का मानना था एक सरकार बहुमत पर चल सकती है जबकि एक देश आम सहमति पर चलता है।इसके अलावा देश में विभिन्न राज्यों का निर्माण भी दीनदयाल उपाध्याय की दूरदर्शिता के कारण ही हो रहा है।इसके अलावा, दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद के प्रतिष्ठित प्रतीक थे।दीनदयाल जी समाजवाद और साम्यवाद को कागजी और अव्यावहारिक सिद्धांत के रूप में देखते थे। वस्तुत उनका एकात्मक मानववादकेरतीयता पर आधारित है।उनका स्पष्ट मानना था कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में ये विचार न तो भारतीयता के अनुरूप हैं और न ही व्यावहारिक ही हैं। भारत को चलाने के लिए भारतीय दर्शन ही कारगर वैचारिक उपकरण हो सकता है।वे उस परंपरा के वाहक थे जो नेहरु के भारत नवनिर्माण की बजाय भारत के पुनर्निर्माण की बात करती है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का मानना था कि मानव जाति में मन, शरीर, बुद्धि और आत्मा के 4 पदानुक्रमित गुणों से पुरुषार्थ की प्राप्ति सम्भव  हैं।

उन्होंने कहा पंडित दीनदयाल उपाध्याय अपने पूरे जीवन काल में ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा की राह पर चलते रहे, पंडित दीनदयाल के विचारों को आत्मसात् कर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नए भारत का सपना देखा हैं और उसे पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है, जब हम सब अपनी जिम्मेदारियों को निभायेंगे तब सही मायनों में हमारा देश सर्वश्रेष्ठ बनेगा।इसी कड़ी में 11 फरवरी को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि को भाजपा समर्पण दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।हालाँकि, वह 1968 में मुगल सराय रेलवे स्टेशन पर रहस्यमय तरीके से मृत पाए गए थे,उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं और सदैव अनुकरणीय रहेंगे एवं जब भी मानवता के कल्याण की बात होगी, पंडित जी के एकात्म मानववाद और अंत्योदय के सिद्धांत लोक जगत का मार्गदर्शन करेंगे।