छत्तीसगढ़: अलसी के डंठल से बनेगा लिनेन कपड़ा, ग्रामीण महिलाओं को दिया गया प्रशिक्षण 

छत्तीसगढ़: अलसी के डंठल से बनेगा लिनेन कपड़ा, ग्रामीण महिलाओं को दिया गया प्रशिक्षण 

December 30, 2023 Off By NN Express

हाथों के हुनर की प्रशंसा के साथ अच्छी क़ीमत भी मिलती : कलेक्टर श्री एल्मा 

बेमेतरा 30 दिसंबर 2023 I अलसी डंठल के रेशे से कपड़ा बनाना। सुनने में अजीब लगता है। पर बेमेतरा में यह होने वाला है। रेवेन्द्र सिंह वर्मा कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र बेमेतरा में “लिनेन फ्राम लिनसीड स्टाक” के प्रयोगशाला भवन मे अलसी के अपशिष्ट के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं की आजीविका वृद्धि परियोजना अंतर्गत 20 महिलाओं का अलसी के धागा का बुनाई पर 40 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। ये महिलायें अलसी के डंठल के रेशे से लिनेन की क्वालिटी का कपड़ा बनायेंगी इस रेशे से बने कपड़े की क्वालिटी अच्छी होने के कारण इसकी डिमांड भी अच्छी है। अलसी की खेती और कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने कृषि विश्वविद्यालय रायपुर मदद कर रहा है।

कलेक्टर पी.एस.एल्मा शुक्रवार को कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र पहुँचे। “लिनेन फ्राम लिनसीड स्टाक” के प्रयोगशाला भवन का भ्रमण किया और प्रशिक्षित महिलाओं बातचीत की। महिलाओं ने प्रशिक्षण को उपयोगी बताया। कलेक्टर ने कहा कि हाथों के हुनर की प्रशंसा के साथ अच्छी क़ीमत भी मिलती है। इसलिए प्रशिक्षण में जा बताया जाये ।उसे अच्छे से सीखें ।यह आपकी आय और तरक़्क़ी का रास्ता खुलेगा।उन्होंने कहा कि अलसी के डंठल से कपडा शोभर एवं अच्छा आकर्षित दिखता है। साथ ही प्रशिक्षित महिलाओं को प्रोत्साहित किया। श्री एल्मा ने महिलाओं से अलसी के रेशे से कपड़ा बनाने की पूरी प्रक्रिया पूछी।।उन्होंने कहा कि इस काम को अपना कर वे अपनी आर्थिक परिस्थिति को सुधार सकते है। कलेक्टर श्री एल्मा ने महिलाओं को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिये। 

अधिष्ठाता डॉ. आर.एन. सिंह महिलाओं को संबोधित करते हुये कहा कि ग्रामीण महिलाये घर में कार्य करते हुये अपनी आजीविका के आय में वृद्धि कर सकते है। साथ ही महिलाओं को अच्छे कार्य के लिये प्रेरित किया। ज़िला प्रशासन ने खनिज निधि से ग्रामीण महिलायों को धागा बनाने एवं कपडा बनाने के लिये महिलाओ को प्रशिक्षित करने राशि स्वीकृत की है। डॉ. के.पी.वर्मा  नोडल अधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षित महिलायें  शुरुआत में 3 से 4 हज़ार  रुपये प्रति माह अपने घरेलु कार्य कर के भी कमा सकती है। अपने जीवन स्तर को खुशहाल बना सकती है।

प्रत्येक महिलायें हर दिन लगभग 10 मीटर कपडा बना सकती हैं जिससे 300-400 रुपये प्रति दिन कमा सकती है। इन महिलाओं को लगभग छह महीने और सीखने की जरुरत हैं। जिससे धागा बनाने वाली एवं कपडा बनाने वाले प्रशिक्षित महिलायें की क्षमता में वृद्धि हो सकें। धागा निर्माण करके लगभग 250 ग्राम से 300 ग्राम उच्च गुणवत्ता धागा कर निर्माण कर लगभग 250-300 रुपये प्रतिदिन घर में कार्य करते हुये कमा सकता है। 

भविष्य में प्रशिक्षित महिलाओं की सोसाइटी का पंजीयन कराकर इस महिलाओं को सक्षम बनाना है। इस महती परियोजना को संचालित करने में वैज्ञानिकों का एक समूह कार्य करता है जिसमें डॉ. के.पी. वर्मा नोडल आफिसर, डॉ. यु. के. ध्रुव, को.नोडल आफिसर एवं डॉ.असीत, डॉ. श्रीमती प्रतिभा सहायक प्राध्यापक, अधिकारीगण, जीवन लाल यादव, मनमोहन देवांगन, दीपेश्वरी देवांगन आदि तकनीकी कर्मचारी (फाइबर एक्पटर) तथा प्रशिक्षित महिलायें उपस्थित थे।