‘पत्नी काली है तो तलाक का आधार नहीं’: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

‘पत्नी काली है तो तलाक का आधार नहीं’: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

December 23, 2023 Off By NN Express

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के सीनियर जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस दीपक तिवारी की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पत्नी की त्वचा काली है तो यह तलाक का आधार नहीं हो सकता। विवाह एक पवित्र बंधन है, जिसे निभाना और सामाजिक दायित्व का पालन करना हम सबकी जिम्मेदारी है। सामाजिक बदलाव की जरूरत है। तलाक के लिए दायर पति की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।

बलौदाबाजार के कसडोल निवासी याचिकाकर्ता पति ने पत्नी से तलाक के लिए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की शादी साल 2015 में हुई थी। पति-पत्नी के बीच आए दिन विवाद होता था, जिसके बाद से उसकी पत्नी उसे छोड़कर अलग रहती है। याचिका में यह भी बताया कि उसकी पत्नी की त्वचा का रंग काला है। पहले याचिकाकर्ता ने तलाक के लिए बलौदाबाजार के फैमिली कोर्ट में परिवाद दायर किया था, जिसके खारिज करने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली है।

पड़ोसी की गवाह को भी किया खारिज

इस केस की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने बतौर गवाह अपने पड़ोसी का नाम दिया है, जिसमें बताया गया कि एक दिन वह घर पर झाड़ू लगा रही थी, तब उसकी पत्नी ने जानबूझकर पैर में झाड़ू चला दी। इस पर कोर्ट ने आपत्ति करते हुए कहा कि घर पर झाड़ू लगाते समय पैर में झाड़ू लगाने वाली बात पड़ोसी को कैसे पता चली। घर के अंदर की बात पड़ोसी तक कैसे पहुंची। कोर्ट ने पड़ोसी की गवाही को भी खारिज कर दिया।

गर्भवती पत्नी से मारपीट करने पर जताई नाराजगी

पत्नी की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उसका रंग काला होने के कारण पति लगातार प्रताड़ित करता है। जब वह गर्भवती थी, तब इसी बात को लेकर पति ने मारपीट भी की थी, जिस पर कोर्ट ने पति पर नाराजगी जताई।

मजाक उड़ाता था पति, इसलिए छोड़ना पड़ा साथ

पति की दलील थी कि पत्नी ने बिना कारण उसका घर छोड़ दिया और कई प्रयासों के बावजूद वापस नहीं आई। दूसरी तरफ पत्नी ने कोर्ट को बताया कि पति उसके रंग को लेकर हमेशा मजाक उड़ाता था और उसके लिए अपशब्दों का उपयोग करता था। मारपीट और प्रताड़ना से तंग आकर उसे घर छोड़कर अलग रहना पड़ा।

हाईकोर्ट ने कहा- रंगभेद को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है सांवली त्वचा के मुकाबले गोरी त्वचा की प्राथमिकता को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है। किसी के रंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। त्वचा के रंग के लिए समाज में बदलाव की जरूरत है। इसकी शुरुआत हमारे घर से होनी चाहिए। डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता पति को विवाह संबंध को बेहतर रखने की समझाइश देते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया है।