दिल जीत लेगी इस टीचर की पढ़ाने की कला, दोनों पैरों से दिव्यांग फिर भी अद्भुत जोश

दिल जीत लेगी इस टीचर की पढ़ाने की कला, दोनों पैरों से दिव्यांग फिर भी अद्भुत जोश

November 7, 2023 Off By NN Express

शिक्षक मुकेश बताते है कि चार साल पहले वें यहां पदस्थ हुए थे. उनका मानना है की सरकारी स्कूलों में गरीब तबके के लोगों के बच्चे पढ़ने आते है.

खरगोन. सरकारी स्कूलों में क्लास के दौरान बच्चे नीचे जमीन पर बैठे रहते है और शिक्षक अपनी टेबल कुर्सी पर पैर पसारे सो रहे होते है. या फिर स्कूलों से टीचर गायब ही हो जाते है. ऐसे कई वीडियो अपने देखे होंगे, जबकि कुछ टीचर ऐसे भी होते हैं जो अपना काम ईमानदारी से तो करते ही है बल्कि बच्चो को सिखाने के लिए नए – नए तरीके भी अपनाते है. आज हम आपको ऐसे ही एक टीचर के बारे में बता रहे हैं जो दूसरे के लिए मिशाल है. इनका पढ़ाई का तरीका आपका दिल खुश कर देगा. आप तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे

दरअसल, जिस शिक्षक की हम बात कर रहे है उनका नाम है, मुकेश बिजगवनिया. मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के ग्राम रायबिड़पुरा स्थित एकीकृत शासकीय शाला कन्या माध्यमिक स्कूल में बतौर प्राथमिक शिक्षक पदस्थ है. दोनों पैरो से विकलांग यह टीचर एक – एक बच्चे के पास जाकर सवालों को हल कराते है. जबकि स्कूलों में देखा जाता है की शिक्षक आपकी कुर्सी पर बैठकर बच्चों को पढ़ाते है. लेकिन यह टीचर थोड़े अलग है.

गांव में होती है तारीफ
बता दें की उनकी क्लास में करीब 45 बच्चें है और हर एक को तब तक समझाते है जब तक बच्चो को सवालों के जबाव ना आ जाएं. बच्चों को पढ़ाने के उनके इस तरीके की वजह से हमेशा उनकी क्लास में बच्चों की संख्या बनी रहती है और रुचि लेकर बच्चें सीखते है. शिक्षक के पढ़ाने के तरीके की गांव में हर कोई तारीफ कियें बिना रह नहीं पता.

जल्दी सीखते है बच्चे
शिक्षक मुकेश बताते है कि चार साल पहले वें यहां पदस्थ हुए थे. उनका मानना है की सरकारी स्कूलों में गरीब तबके के लोगों के बच्चे पढ़ने आते है. शिक्षा अच्छी मिलेगी तो आगे चलकर यही बच्चे देश का नाम रोशन करेंगे. वें बताते है की बच्चो के बीच जमीन पर बैठकर पढ़ाने से बच्चों को अपनत्व महसूस होता है साथ ही जल्दी सीखते और समझते भी है.

पूरी तरह बच्चो को रहते है समर्पित
शिक्षक मुकेश स्कूल में हिंदी, अंग्रेजी और गणित तीन विषय पढ़ाते हैं. और तीनों विषय में बच्चे इतने दक्ष हैं कि एक बार पढ़ाया हुआ उन्हे साल भर याद रहता है. यहीं वजह है की स्कूल में परीक्षा का परिणाम भी बेहतर रहता है. टीचर का कहना है की स्कूल टाइम में वें पूरी तरह से बच्चों को समर्पित होकर पढ़ाते है.