भारतीय वायुसेना ने कहा मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान को अलविदा

भारतीय वायुसेना ने कहा मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान को अलविदा

November 1, 2023 Off By NN Express

नई दिल्ली । 6 दशक से भारतीय वायुसेना में शामिल मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान ने 31 अक्टूबर 2023 को राजस्थान के बाड़मेर में आसमान में अपनी अंतिम उड़ान भरी। इसी के साथ उसकी वायुसेना के बेड़े से विदाई हो गई। इस दौरान तीनों सेनाओं के सैनिक मौके पर मौजूद रहे। इस लड़ाकू विमान ने भारत के कई संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भारतीय वायुसेना ने पहली बार 1963 में सोवियत संघ से मिग-21 लड़ाकू विमान खरीदे थे। इसमें समय-समय पर कई अपग्रेड किए जा चुके हैं। ऐसे ही अपग्रेडेड वर्जन मिग-21 बाइसन को पहली बार 1976 में सेवा में लिया गया था। मिग-21 का 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में पहली बार इस्तेमाल किया गया था। इसने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध से लेकर 1999 के करगिल युद्ध तक, तमाम मौकों पर दुश्मनों को हार का स्वाद चखाया।

मिग-21 लड़ाकू विमानों ने फरवरी, 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पैदा हुई तनावपूर्ण स्थिति में भी अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एयरस्ट्राइक के अगले दिन पाकिस्तानी विमानों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की थी और इन विमानों को खदेड़ने के लिए भारत ने सुखोई और मिग-21 विमानों को भेजा था। इनमें विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान का मिग-21 बाइसन भी शामिल था, जिससे उन्होंने पाकिस्तान का अत्याधुनिक लड़ाकू विमान F-16 मार गिराया था।

मिग-21 बाइसन एक सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था, जोकि मिग-21 का उन्नत संस्करण था। भारतीय वायुसेना के 100 से अधिक मिग-21 को 2006 में बाइसन में अपग्रेड किया गया था। इसमें एक बड़ा सर्च एंड ट्रैक रडार सिस्टम था, जो रडार नियंत्रित मिसाइल को संचालित करता था। इसमें BVR तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। इसकी लंबाई 15.76 मीटर और चौड़ाई 5.15 मीटर थी। इसका वजन 5200 किलोग्राम था और 8,000 किलोग्राम हथियार लोड के साथ उड़ान भर सकता था।

मिग-21 के पुराने पड़ने और लगातार हादसों का शिकार होने के कारण वायुसेना ने इनको बेडे़ से हटाने का फैसला लिया था। मिग-21 60 सालों में 400 से अधिक दुर्घटनाओं का कारण बने हैं। इसी कारण इसे ‘उड़ता ताबूत’ भी कहा जाता है। सभी मिग-21 को 2025 की शुरूआत तक चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा। ये भारतीय वायुसेना में सबसे अधिक समय तक सेवा देने वाले लड़ाकू विमान हैं। तेजस और सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमान इनकी जगह लेंगे।