आज के व्रत, त्यौहार : करवा चौथ

आज के व्रत, त्यौहार : करवा चौथ

November 1, 2023 Off By NN Express

हिंदू सनातन पद्धति में करवा चौथ सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्यौहार माना गया है। इस पर्व पर सुहागिन पतिव्रता महिलाएं हाथों में मेहंदी व सोलह श्रृंगार कर अपने सास-ससुर एवं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखतीं हैं। यह व्रत भारत के अलग-अलग राज्यों में वहाँ की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार रखा जाता है।

करवा चौथ शुभ मुहूर्त 2023 – बुधवार, 1 नवंबर 2023
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – 5:36 बजे से 6:54 बजे
करवा चौथ चन्द्रोदय समय – 8:15 बजे

अगर दक्षिण भारत से तुलना करें, करवा चौथ उत्तर भारत(पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश) में अधिक लोकप्रिय है। यदि दो दिन की चंद्रोदय व्यापिनी हो या दोनों ही दिन, न हो तो ‘मातृविद्धा प्रशस्यते’ के अनुसार करवा चौथ को पूर्वविद्धा लेना चाहिए।

करवा चौथ मे करवा को मिट्टी के बर्तन के रूप मे जाना जाता है, जबकि चौथ को माह के चौथे दिन के रूप मे। हिंदू कैलेंडर(पंचांग / पञ्चाङ्ग) के अनुसार यह त्यौहार कार्तिक के महिने के चौथे दिन मनाया जाता है।

आमतौर पर, माता-पिता इस दिन अपनी विवाहित बेटियों को गहने, कपड़े, उपहार भेंट करते हैं। सभी महिलाएं अपने विवाह को याद करते हुए, एक बार फिर से विवाह की ही तरह श्रृंगार करतीं हैं।

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में करवा चौथ से जुड़ी कई कहानियाँ प्रचलित हैं। इस त्यौहार मे देवी पार्वती एवं भगवान शिव की पूजा करते हुए, उन्हें भोग अर्पित किया जाता है। करवा चौथ व्रत का समापन तब तक नहीं होता, जब तक कि रात मे चंद्रमा को अर्घ् ना दिया जाए। विवाहित महिलाएँ व्रत अनुष्ठान के समापन से पहले एक आध्यात्मिक कथा सुनती एवं सुनाती है।

करवा चौथ व्रत पूजा मे प्रयोग होने वाली वस्तुएँ इस प्रकार हैं
पूजा थाली, लोटा, छलनी- पति को देखने के लिए, पूजा का दीपक, करवा माता का चित्र, करवा, सींक – माँ करवा की शक्ति का प्रतीक
संबंधित अन्य नाम- करक चतुर्थी
शुरुआत तिथि- कार्तिक कृष्णा चतुर्थी
कारण- विवाहित महिलाएं अपने सास-ससुर एवं पति की लंबी उम्र के लिए उपवास करती हैं।
उत्सव विधि- व्रत कथाएँ, विवाहित महिलाओं द्वारा उपवास।