Corona Side Effect : डिस्चार्ज के एक साल के अंदर इतने फीसदी मरीजों की चली गई जान, जानें क्या है कारण?

Corona Side Effect : डिस्चार्ज के एक साल के अंदर इतने फीसदी मरीजों की चली गई जान, जानें क्या है कारण?

August 22, 2023 Off By NN Express

Corona Side Effect : कोरोना महामारी को आए हुए तीन साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. लेकिन ये वायरस अभी भी चिंता का कारण बना हुआ है. अब कोविड मरीजों को लेकर आईसीएमआर की एक स्टडी सामने आई है. जिसमें बताया गया है कि अस्पताल से छुट्टी होने के एक साल के भीतर ही 6.5 प्रतिशत कोविड मरीजों की मौत हो गई थी. इनमें से अधिकतर मरीज की उम्र 60 साल से ज्यादा थी. ये सभी लोग किसी दूसरी बीमारी का भी शिकार थे.

महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मौत का आंकड़ा अधिक था. जिन मरीजों की मौत हुई उनको लंग्स, हार्ट और लिवर की गंभीर बीमारियां थीं. इन मरीजों को पोस्ट कोविड समस्याएं भी थी. कोविड से रिकवर होने के बाद भी सांस लेने में परेशानी और ब्रेन फॉग जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. करीब 74 फीसदी कोविड मरीजों को बीमारियां थी.

इस स्टडी में 14419 मरीजों को शामिल किया गया था. अस्पताल से डिस्चार्ज होने के एक साल के अंदर इन मरीजों से फोन के जरिए संपर्क किया जाता था. कुल 14419 रोगियों में से 952 यानी 6.5 प्रतिशत की मौत अस्पताल से डिस्चार्ज होने के एक साल के अंदर हो गई थी. यह साल 2020 में सितंबर से अस्पतालों में भर्ती हुए मरीजों का यह डाटा है. इनमें से 17 फीसदी को पोस्ट कोविड समस्याएं थी. रिसर्च में यह भी बताया गया है कि जिन लोगों ने कोविड की पहली वैक्सीन डोज लगवा ली थी उनमें मौत का खतरा 40 फीसदी तक कम हो गया था.

पोस्ट कोविड समस्याओं से हुई मौत

राजीव गांधी हॉस्पिटल में कोविड नोडल अधिकारी रहे डॉ. अजित जैन Tv9 से बातचीत में बताते हैं कि कोरोना के बाद कई लोगों को पोस्ट कोविड समस्याओं का सामना करना पड़ा था. मरीजों को सांस लेने में परेशानी और हार्ट डिजीज सबसे ज्यादा हुई थी. इनमें जिन लोगों को पहले से ही कोई दूसरी बीमारी थी उनकी हालत खराब थी. ऐसे में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी उनकी सेहत ठीक नहीं थी. बढ़ती उम्र में यह खतरा ज्यादा था. यही कारण है कि अस्पताल से डिस्चार्ज हुए मरीजों में जिनकी मौत हुई है उनका उम्र 60 से ज्यादा थी.

अस्पताल से छुट्टी होने के बाद जिन लोगों की मौत हुई थी वह सभी कोमोरबिडिटी वाले मरीज थे. यानी उनको लिवर, हार्ट और किडनी की बीमारियां पहले से थी. ऐसे में यह स्टडी संकेत देती है कि इस तरह की बीमारियों वाले मरीजों को कोविड से खतरा रहता है. कोविड की तीनों लहरों में देखा भी गया था कि पुरानी बीमारी से पीड़ित मरीजों में मौत का आंकड़ा अधिक था.

खत्म नहीं हुआ है कोविड का खतरा

महामारी विशेषज्ञ डॉ. अंशुमान कुमार बताते हैं कि कोरोना वायरस का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. दुनियाभर में अभी भी इस वायरस के मामले आ रहे हैं. ऐसे में लोगों को लापरवाही नहीं करनी है. खासतौर पर बुजुर्गों और पुरानी बीमारी से पीड़ित मरीजों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है. हालांकि अब कोरोना से ऐसा खतरा नहीं है जो पहले था, लेकिन इसके नए-नए वेरिएंट आते ही रहेंगे.