Adults Bed-wetting: बड़े होने के बाद भी अगर आप करते हैं नींद में बिस्तर गीला, तो जान लें इसके पीछे की वजहें
July 3, 2023Adults Bed-wetting: सिर्फ बच्चों में ही नहीं, कुछ वयस्कों में भी नींद में बिस्तर गीला करने की समस्या देखने को मिलती है। यह एक तरह की समस्या है, जिसे मेडिकल भाषा में एनुरेसिस कहा जाता है। वैसे यह समस्या सौ में एक व्यक्ति को हो सकती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।
रात में होने वाली इस समस्या को मेडिकल भाषा में नॉकटर्नल एनुरेसिस कहते हैं और अगर दिन में भी यूरिन निकल जाए या जगे रहने पर भी कोई व्यक्ति पेशाब न रोक सके, तो इसे यूरीनरी इनकान्टिनेंस कहते हैं। वयस्कों में बेडवेटिंग होने के कई कारण हो सकते हैं। जिसके बारे में आज हम जानेंगे।
मेडिकल कंडीशन यानी बीमारियां
कुछ बीमारियों की वजह से वयस्कों में बेडवेटिंग की समस्या हो सकती है। यूरीनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (मूत्र पथ के संक्रमण), मूत्राशय की पथरी, मूत्राशय या प्रोस्टेट ट्यूमर, डायबिटीज, न्यूरोलॉजिकल संबंधी बीमारियां (जैसे मल्टीपल स्केलेरोसिस या पार्किंसंस रोग), रीढ़ की हड्डी में चोट या मूत्र पथ में संरचनात्मक असामान्यताएं आदि की वजह से बिस्तर गीला करने की समस्या होती है।
दवाएं
कुछ दवाएं, जैसे सेडेटिव्स, हाइपोटिक्स या कुछ एंटीसाइकोटिक्स, एडल्ट बेडवेटिंग के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
मनोवैज्ञानिक फैक्टर
स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रेशन या अन्य भावनात्मक समस्याएं वयस्कों में बिस्तर गीला करने की समस्या को बढ़ा सकते है। ये फैक्टर मस्तिष्क और मूत्राशय के बीच संकेतों को बाधित कर सकते हैं, जिस वजह से व्यक्ति न चाहते हुए भी रात में बिस्तर पर पेशाब कर सकता है।
हार्मोन असंतुलन
हार्मोनल असंतुलन ख़ास करके एंटीडाययूरेटिक हार्मोन (ADH) असंतुलित होने पर व्यक्ति में नींद के दौरान मूत्र उत्पादन की क्षमता बाधित होती है। इस वजह से संभावित रूप से बिस्तर गीला होने की समस्या हो सकती है।
डायग्नोसिस और मूल्यांकन
अगर आप एडल्ट बेडवेटिंग का अनुभव कर रहे हैं, तो उचित डायग्नोसिस और मूल्यांकन के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल से कंसल्ट करना बहुत जरूरी है। डॉक्टर आमतौर पर एक व्यापक मूल्यांकन करेंगे, जिसमें निम्न चीज़ें शामिल हो सकती हैं: l
मेडिकल हिस्ट्री
आपका हेल्थकेयर प्रोवाइडर आपके लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री और आपके द्वारा खाई जा रही किसी भी दवा के बारे में आपसे पूछ सकता है।
शारीरिक टेस्ट
शरीर में किसी भी गड़बड़ी की पहचान करने के लिए पेल्विक टेस्ट (महिलाओं के लिए) या डिजिटल रेक्टल टेस्ट (पुरुषों के लिए) किया जा सकता है।
पेशाब और ख़ून की जांच
इन दोनों जांच से मूत्र पथ के संक्रमण की पहचान करने, हार्मोन का लेवल जानने और किसी आंतरिक बीमारी की पहचान की जा सकती हैं।
इमेजिंग अध्धयन
कुछ केसेज़ में यूरीनरी सिस्टम की संरचना और कार्य की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड, सिस्टोस्कोपी, या यूरोडायनामिक अध्ययन जैसे इमेजिंग टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है।
इलाज़ के विकल्प
एडल्ट बेडवेटिंग का इलाज़ इसके कारणों पर निर्भर करता है। यहां कुछ संभावित इलाज़ के बारे में बताया गया है।
दवाएं
अगर किसी बीमारी का पता चलता है जैसे कि यूरीनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन या हार्मोनल असंतुलन तो इसके लिए डॉक्टर दवा खाने को लिख सकता है।
ब्लैडर ट्रेनिंग
ब्लैडर रीट्रेनिंग जैसी तकनीकें मूत्राशय की क्षमता बढ़ाने और मूत्र नियंत्रण में सुधार करने में मदद कर सकती हैं। इस ट्रेनिंग में मूत्राशय को लंबे समय तक मूत्र रोकने के लिए ट्रेंड करने के लिए बाथरूम जाने के बीच समय अंतराल को धीरे-धीरे बढ़ाना होता है।
लाइफस्टाइल में सुधार करना
लाइफस्टाइल में बदलाव करने से एडल्ट बेडवेटिंग समस्या से राहत मिल सकती है। इन बदलावों में शाम को तरल पदार्थ का सेवन कम करना, कैफीन और शराब से परहेज करना और नियमित नींद पूरी करना आदि शामिल हो सकता है।
बेडवेटिंग अलार्म
बेडवेटिंग अलार्म एक ऐसी डिवाइस होती है जिसे सोते समय पहना जा सकता है। इस उपकरण से नमी का पता लगाने और बिस्तर गीला होते ही व्यक्ति को जगाने के लिए अलार्म बजने के लिए डिज़ाइन किया गया है। समय के साथ यह मस्तिष्क को मूत्राशय के संकेतों पर प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार करने में मदद कर सकता है।
मनोवैज्ञानिक समर्थन
अगर स्ट्रेस, एंग्जाइटी या अन्य मनोवैज्ञानिक फैक्टर से एडल्ट बेडवेटिंग होता है तो थेरेपी या काउंसलिंग सेशन इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं।
भावनात्मक समर्थन और कोपिंग स्ट्रेटजी (मुकाबला करने की रणनीतियां)
एडल्ट बेडवेटिंग से महत्वपूर्ण रुप से व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो सकता है, जिससे शर्मिंदगी, लज्जा और आत्म-सम्मान में कमी आ सकती है। ऐसे केस में प्रियजनों या सपोर्ट ग्रुप से भावनात्मक समर्थन प्राप्त करना जरूरी हैं क्योंकि ये लोग समझ और प्रोत्साहन प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा वॉटरप्रूफ बिस्तर का उपयोग करना, पास में अतिरिक्त कपड़े रखना और तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करने जैसी कोपिंग स्ट्रेटजी विकसित करने से एडल्ट बेडवेटिंग से जुड़ी समस्याओं का मैनेजमेंट करने में मदद मिल सकती है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि अपनी विशेष स्थिति के आधार पर व्यक्तिगत सलाह और उचित इलाज़ पाने के लिए किसी हेल्थेकेयर प्रोफेसनल से कंसल्ट करना ज़रूरी होता है।