High Court ने क्यों कहा, शादी के बाद शारीरिक संबंध न बनाना आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता नहीं

High Court ने क्यों कहा, शादी के बाद शारीरिक संबंध न बनाना आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता नहीं

June 20, 2023 Off By NN Express

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि अगर पति या पत्नी में कोई भी शादी होने के बाद लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करते हैं. तो ये आईपीसी की धारा 498A के तहत क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता है. दरअसल एक पत्नी ने अपने पति के खिलाफ 2020 में आपराधिक केस दर्ज कराया था. इसमें पत्नी ने पति पर आरोप लगाया था कि वो आध्यात्मिक वीडियो देखता है. इसी वजह से उसने शादी के बाद उसके साथ कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाए.इस तरह शारीरिक संबंध नहीं बनाना क्रूरता की श्रेणी में आता है.

कर्नाटक हाईकोर्ट ने पति और उसके माता पिता द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर ली. इसी के साथ ही जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने पत्नी द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई कार्यवाही रद्द कर दी. पत्नी ने शादी के 28 दिन बाद ये शिकायत दर्ज कराई थी. आइए आपको बताते हैं कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्यों कहा कि आईपीसी की धारा 498ए के तहत शारीरिक संबंध न बनाना क्रूरता नहीं है.

शारीरिक संबंध ना बनाना हिंदू मैरिज एक्ट के तहत क्रूरता

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पति या पत्नी में से किसी का एक का शारीरिक संबंध न बनाना भले ही आईपीसी की धारा 498 के तहत क्रूरता नहीं है. लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत ये क्रूरता के अंतर्गत आता है. जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि पति का इरादा कभी भी अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का नहीं था. जो निस्संदेह हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12 (1) (ए) के तहत क्रूरता होगी. बता दें कि कपल की शादी 18 सितंबर 2019 को हुई थी. पत्नी पति के साथ 28 दिन ही रही थी.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि क्रूरता का अर्थ जानबूझकर किया गया जबरदस्ती आचरण है. इस केस में न तो शिकायत और न ही समरी चार्जशीट किसी तथ्य अथवा घटना का वर्णन करती है जिसे आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता माना जाए. पत्नी ने पति पर एकमात्र आरोप लगाया है कि वो हमेशा बहन शिवानी ब्रह्माकुमारी के वीडियो देखता है.इन वीडियों में कहा गया है कि प्यार कभी भौतिक नहीं होता, यह आत्मा से आत्मा का मिलन चाहिए. इसी आधार पर उसने कभी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का कोई इरादा नहीं रखा. ऐसे में ये वो क्रूरता नहीं है, जैसा कि आईपीसी की धारा 498A के तहत परिभाषित की गई है.

‘कानून का दुरुपयोग होगा’

कोर्ट ने पति के माता-पिता को क्रूरता का आरोपी बनाए जाने पर कहा कि जहां तक सास और ससुर का संबंध है, तो शिकायत पर गौर करने पर पता चलता है कि इन दोनों के द्वारा किसी भी तरह क्रूरता करने के संकेत नहीं मिलते हैं.

माता पिता कभी भी पति-पत्नी के साथ नहीं रहे. ऐसे में उनके खिलाफ आगे की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो ये कानून का प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा. आईपीसी की धारा 494A में ही पति या रिश्तेदार को दंडित करने का प्रावधान है, जिसमें महिला के साथ कोई क्रूरता की गई हो.