जगदलपुर : निशा यात्रा मंदिर में 3 अक्टूबर को दी जायेगी 12 बकरों की बलि

जगदलपुर : निशा यात्रा मंदिर में 3 अक्टूबर को दी जायेगी 12 बकरों की बलि

October 2, 2022 Off By NN Express

जगदलपुर, 02 अक्टूबर । विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा में अश्वनी शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर को नवरात्र के महाअष्टमी हवन-पूजन के बाद आधी रात को होने वाली निशा जात्रा रस्म विशुध्द रूप से तांत्रिक पूजा में देवी-देवताओं के गणों के लिए बलि देने की रात होती है। निशा जात्रा रस्म में अनुपमा चौक में स्थित मां खमेश्वरी के निशा जात्रा मंदिर में 12 बकरों की बलि दी जायेगी। सिरहासार के सामने स्थित मावली मंदिर से इस रात को 12 गांवों के राऊत जाति के लोग देवी-देवताओं के गणों के लिए भोग तैयार करते हैं, जिसमें चावल, खीर, उड़द की दाल तथा उड़द से बने बड़े बनाकर मिट्टी के 24 हंडियों रखकर मुंह में कपड़े बांधकर भोग सामग्री वाली हंडियों को निशाजात्रा गुड़ी तक ले जाने के लिए कांवड़ यात्रा जनसमूह के साथ जुलूस के रूप में जायेंगे।

बस्तर दशहरा के रस्मों में अश्विन अष्टमी व नवमी को रथ परिक्रमा नहीं होती वहीं देवी-देवताओं के गणों को प्रसन्न करने निशा जात्रा पर बकरों के अवाला कुम्हड़ा और मोंगरी मछली की भी बलि दी जाती है। इस तिथि के आधी रात में अनुपमा चौक के समीप निशा जात्रा मंदिर में 11 बकरों की बलि दिये जाने के बाद, इसके अलावा मावली माता मंदिर में 2, राजमहल के सिहंड्योढ़ी में 2, काली मंदिर में 1 बकरे की बलि दी जाती है, जबकि दंतेश्वरी मंदिर में कुम्हड़ा एवं 1 काले कबूतर व 7 मोंगरी मछलियों की बलि दी जाएगी।

निशा जात्रा मंदिर में राजपरिवार, राजगुरु और देवी दंतेश्वरी के पुजारी के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा के बाद भोग सामग्री की खाली हंडियों को फोड़ दिया जाता है, ताकि इनका दुरुपयोग न हो। बकरों की बलि से पहले राजगुरु बकरों के कान में मंत्र फूंककर देवी-देवताओं के गणों को समर्पित करने और हत्या का दोष किसी पर न लगे इसके लिए बेगुनाही का मंत्र देते हैं।