भारत में भरा पड़ा है रूसी मुद्रा का भंडार, अब बैंक ऐसे करेंगे इस्तेमाल….

भारत में भरा पड़ा है रूसी मुद्रा का भंडार, अब बैंक ऐसे करेंगे इस्तेमाल….

May 9, 2023 Off By NN Express

रूस से सस्ता तेल खरीदकर इंडियन इकोनॉमी को काफी फायदा हुआ है. इससे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिली है, लेकिन दोनों ही देश काफी कोशिशों के बाद डॉलर से इतर एक अलग पेमेंट सिस्टम डेवलप करने में अब तक सफल नहीं हो पाए हैं. इस बीच भारतीय बैंकों में भरी पड़ी रूसी मुद्रा के इस्तेमाल का तरीका ढूंढ लिया गया है.

दरअसल अब भारतीय बैंकों में पड़े रूबल (रूसी मुद्रा) भंडार को सरकार डेट मार्केट में उतार सकती है. इसके लिए सरकार घरेलू सरकारी बांड जारी कर सकती है. यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से ही भारत रूस से सस्ते में तेल खरीद रहा है. इस तरह भारत का ढेर सारा ट्रेड सरप्लस रूस के पास पहुंच गया है.

ट्रेडर्स की चिंता, सरकार ने निकाला रास्ता

रूस के साथ कच्चे तेल का ट्रेड बढ़ने से उसके पास भारतीय रुपया सरप्लस में पहुंच गया है, जबकि भारतीय बैंकों में रूबल भी काफी मात्रा में मौजूद है. इस तरह भारत के सॉवरेन डेट में कुल कितना पैसा आया है, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है.

इस पर बांड में ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर्स ने सरकार का ध्यान गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की ‘अन्य’ कैटेगरी की ओनरशिप बढ़ने पर दिलाया. इसलिए रूसी मुद्रा को लोकल सरकारी बांड के रास्ते मार्केट में लाने का सुझाव सामने आया है.

रिजर्व बैंक का डेटा बहुत कुछ है कहता

भारतीय रिजर्व बैंक का लेटेस्ट डेटा दिखाता है कि गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की ‘अन्य’ कैटेगरी की ओनरशिप दिसंबर 2022 में समाप्त तिमाही के दौरान बढ़कर 7.55 प्रतिशत हो गई. जबकि जनवरी-मार्च 2022 में ये महज 6.15 प्रतिशत थी.

अगर रुपये के आंकड़ों में समझें तो ‘अन्य’ कैटेगरी के सरकारी बांड में निवेश दिसंबर 2022 तक 7.1 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो जनवरी-मार्च 2022 में महज 5.2 लाख करोड़ रुपये था.

रिजर्व बैंक का डेटा बहुत कुछ है कहता

भारतीय रिजर्व बैंक का लेटेस्ट डेटा दिखाता है कि गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की ‘अन्य’ कैटेगरी की ओनरशिप दिसंबर 2022 में समाप्त तिमाही के दौरान बढ़कर 7.55 प्रतिशत हो गई. जबकि जनवरी-मार्च 2022 में ये महज 6.15 प्रतिशत थी.

अगर रुपये के आंकड़ों में समझें तो ‘अन्य’ कैटेगरी के सरकारी बांड में निवेश दिसंबर 2022 तक 7.1 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो जनवरी-मार्च 2022 में महज 5.2 लाख करोड़ रुपये था.