पेट्रोलियम क्रूड पर 6,400 रुपये प्रति टन पर बढ़ा टैक्स, क्या होगा असर….

पेट्रोलियम क्रूड पर 6,400 रुपये प्रति टन पर बढ़ा टैक्स, क्या होगा असर….

April 19, 2023 Off By NN Express

सरकार ने क्रूड पेट्रोलियम पर स्पेशन एक्सट्रा एक्साइज ड्यूटी यानी एसएईडी को शून्य से बढ़ाकर 6,400 रुपये प्रति टन कर दिया. पेट्रोलियम और एविएशन टर्बाइन फ्यूल पर एसएईडी में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह शून्य रहेगा. सरकार ने घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर विंडफॉल टैक्स को संशोधित कर 6,400 रुपये प्रति टन कर दिया है क्योंकि इसका उद्देश्य पेट्रोलियम क्षेत्र में कर संरचना को युक्तिसंगत बनाना और साथ ही उद्योग में निवेश को बढ़ावा देना है. विंडफॉल टैक्स एक तरह का सरचार्ज है जो उन कारोबार और सेक्टर्स पर पर लगाया जाता है जो इकोनॉमिक एक्सपैंशन के कारण एवरेज से ज्यादा प्रोफिट कमाते हैं.

क्रूड पेट्रोलियम पर 6,400 रुपये प्रति बढ़ी ड्यूटी

सरकार ने क्रूड पेट्रोलियम पर स्पेशन एक्सट्रा एक्साइज ड्यूटी यानी एसएईडी को शून्य से बढ़ाकर 6,400 रुपये प्रति टन कर दिया. पेट्रोलियम और एविएशन टर्बाइन फ्यूल पर एसएईडी में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह शून्य रहेगा. यह ड्यूटी 19 अप्रैल से प्रभावी होगी. हर पखवाड़े टैक्स दरों की समीक्षा की जाती है. डीजल पर निर्यात शुल्क हटा दिया जाएगा, जिसके बाद डीजल पर एसएईडी 0.50 रुपये प्रति लीटर से घटकर शून्य हो जाएगा. पिछले संशोधन में, डीजल के निर्यात पर टैक्स को 1 रुपये से घटाकर 0.50 रुपये कर दिया गया था.

कंपनियों पर होगा असर

कच्चे तेल के उत्पादन पर विंडफॉल टैक्स में संशोधन से सरकार को अतिरिक्त रेवेन्यू जेनरेट होने की उम्मीद है, लेकिन इसका असर उन तेल कंपनियों पर पड़ेगा जिन्हें अधिक टैक्स देना होगा. डीजल पर निर्यात शुल्क हटाने से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सकारात्मक रूप से प्रभावित होगा क्योंकि यह बिजली उत्पादन के साथ-साथ परिवहन के लिए डीजल पर बहुत अधिक निर्भर करता है. आपको बता दें कि विंडफॉल टैक्स की शुरूआत पिछले साल शुरू की गई थी.

आम जनता पर होगा असर

विंडफॉल टैक्स पर आम लोगों पर कोई असर नहीं पड़ता है. यह असर उन कंपनियों पर पड़ता है तो देश आॅयल रिफाइन कर दूसरे देशों में एक्सपोर्ट कर रही हैं. देश की कई कंपनियां ऐसी हैं जो कच्चा तेल बाहर से इंपोर्ट करती हैं और उन्हें अपने देश में रिफाइन कर दूसरे देशों को उंचे दामों पर एक्सपोर्ट करती हैं. अगर यह प्रोफिट औसत से ज्यादा देखने को मिलता है, तब सरकार अपनी कमाई बढ़ाने के लिए इस टैक्स का इस्तेमाल करती है, जैसा कि इस बार किया है.