कांकेर : आदिवासी समाज ने अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिए गायता जोहरनी का किया आयोजन

कांकेर : आदिवासी समाज ने अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिए गायता जोहरनी का किया आयोजन

September 26, 2022 Off By NN Express

कांकेर, 26 सितंबर । जिले के अंतागढ़ के नयापारा स्थित कौशल विकास केंद्र के समीप सोमवार को आदिवासी समाज द्वारा गायता जोहारानी कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पूरे अंतागढ़ ब्लाॅक के आदिवासी समाज के लोगों ने शिरकत किया। बता दें करीब एक सप्ताह पहले ग्राम मासबरस आदिवासी समाज के लोगों द्वारा धर्मांतरित परिवार के लोगों के मकान तोड़े गए थे और उन्हें गायता द्वारा बसाए गए गांव छोड़ने का आदेश दिया था। गायता जोहारनी कार्यक्रम में पूरे ब्लाॅक के गायता, मांझी, पटेल साथ ही समाज के मुखिया और युवा बड़ी संख्या में मौजूद थे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आदिवासी समाज द्वारा ऐसे आयोजन सालों से किए जा रहे हैं, किंतु इस तरह से बड़े पैमाने में आयोजन करना कहीं न कहीं उन लोगों को अपनी आदिवासी संस्कृति से जोड़ना है जो इसे भूलने लगे हैं। बस्तर संभाग में नक्सलवाद से आदिवासी समाज की स्थिति दो पाटों के बीच पीसने जैसी हो गई है। आदिवासी समाज अपनी विशिष्ट आदिम संस्कृति को बचाने जद्दोजहद कर रहा है, एक तो आधुनिकता की अंधी दौड़ और उस पर धर्मांतरण के बढ़ते मामलों ने आदिवासी संस्कृति के ताने-बाने को उलझा दिया है, आदिवासी समाज आज सबसे ज्यादा अगर किसी बात से चिंतित है कि ईसाई मिशनरी द्वारा धर्मांतरण के मामले लगातार सामने आने लगे हैं। जिसे समय रहते नहीं रोका गया तो किसी बड़े संघर्ष की अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता।

कार्यक्रम में आदिवासी समाज के ब्लाॅक अध्यक्ष संतलाल दुग्गा ने कहा कि गायता जोहरानी जैसे अनेक कार्यक्रम सालों से किए जा रहे हैं। इस तरह हम उनका सम्मान करते हैं, जिन्होंने गांव बसाया और उन्हें रहने और जीवन यापन करने का अवसर दिया। किंतु इस तरह बड़े आयोजनों को करने का उद्देश्य युवाओं को अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ते हुए विकास की मुख्य धारा में ले जाना है।

जनपद पंचायत अध्यक्ष बद्रीनाथ गावड़े ने कहा कि आदिवासी समाज को तोड़ने का षड्यंत्र के तहत ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण बड़े पैमाने पर कराए जा रहे हैं। आदिवासी परिवार धर्मांतरित होकर मसीह समाज में शामिल हो गए हैं। हम शासन से मांग करते हैं कि जो धर्मांतरित होकर ईसाई समाज में गये हैं, उन्हें आदिवासियों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।