कुपोषण की दर कम करने के लिए चलाया जा रहा है पोट्ठ लइका अभियान

कुपोषण की दर कम करने के लिए चलाया जा रहा है पोट्ठ लइका अभियान

February 24, 2023 Off By NN Express

0. एसडीएम ने शिशुवती एवं गर्भवती माताओं को दी पौष्टिक आहार की जानकारी

बेमेतरा 24 फरवरी I राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा जिले में कुपोषण की दर को कम करने के लिए कलेक्टर पदुम सिंह एल्मा के मार्गदर्शन में पोट्ठ लइका अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु अनुविभागीय अधिकारी (रा.) सुरुचि सिंह ने आज ग्राम जेवरी के आंगनबाड़ी केन्द्र पहुंचकर गांव के शिशुवती एवं गर्भवती माताओं को पोट्ठ लइका अभियान एवं आंगनबाड़ी केन्द्र में दिए जा रहे सुविधाओं और पौष्टिक आहार की जानकारी दी।
पोट्ठ लइका अभियान के तहत शासन द्वारा आंगनबाड़ी के बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जबकि मिड-डे-मील योजना स्कूल जाने वाले बच्चों की देखभाल करती है, पोषण अभियान के तहत आंगनवाड़ी में माताओं और बच्चों को खाने के लिए तैयार पैकेट और गर्म भोजन परोसा जाता है।

मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत अंडे और केले का भी वितरण किया जा रहा है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ इन योजनाओं ने भोजन की उपलब्धता की समस्या को समाप्त कर दिया है। कुपोषण दूर करने की दिशा में ये बड़े कदम हैं। हालांकि, अभी भी एक अंतर मौजूद है जिसमें कब और क्या खाना चाहिए, इसके बारे में ज्ञान सभी परिवारों के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं है। इस प्रकार पोषण परामर्श और व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम की आवश्यकता है। उपरोक्त कारण से बेमेतरा जिले ने पोट्ठ लाइका अभियान की शुरुआत की है। पायलट प्रोजेक्ट में बेमेतरा अनुभाग के 40 गांवों को कवर किया जाएगा। मुख्य उद्देश्य जिले में कुपोषण को खत्म करना (एसएएम) बच्चों की संख्या को शून्य करना है।  

   
इस मिशन के तहत होने वाली गतिविधियां इस प्रकार हैं-

प्रत्येक शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग व बिहान के कार्यकर्ता द्वारा 40 गांवों के प्रत्येक घर में जाकर बच्चों के माता-पिता को समझाएंगे कि क्या खाएं और कब खाएं। इसके साथ ही उन्हें तिरंगा भोजन के बारे में भी बताया जाएगा, खाना खाने से पहले हमेशा हाथ धोना चाहिए, रेडी-टू-ईट कैसे इस्तेमाल करना चाहिए और अपने बच्चों को दिन में कम से कम 3 बार कैसे खिलाना चाहिए। वे उन्हें जंक फूड को ना कहने के लिए भी प्रोत्साहित करेंगे और प्रोटीन (अंडे, दूध, मांस, मछली, दाल, सोयाबीन, आदि) के महत्व को भी समझाएंगे। वे माता-पिता को यह भी याद दिलाएंगे कि वे अपने बच्चों को हमेशा आंगनबाड़ियों में भेजें और अपने बच्चों को आयरन फोलिक एसिड की गोलियां समय पर दें।

यह गांव के सभी घरों के लिए होगा लेकिन कुपोषित बच्चों के घरों पर विशेष ध्यान होगा। हमें उस समय पर ध्यान देना चाहिए जब बच्चा ठोस आहार खाना शुरू करता है क्योंकि उस समय में कुपोषण की संभावना अधिक होती है इसलिए माताओं को इस बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। कुपोषण लेखा परीक्षा और सूक्ष्म पोषण योजना- कुपोषण पर चर्चा करने के उद्देश्य से 40 गांवों के प्रत्येक मोहल्ले को इकट्ठा किया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी पंचायत सचिव और सरपंच की होगी। इस प्रक्रिया में आंगनवाड़ी दीदी और मितानीन दीदी मदद करेंगी। यहां ग्राम सभा सदस्य आपस में चर्चा करेंगे और पंचायत सचिव चार्ट पेपर पर प्रश्नों के उत्तर लिखेंगे।

यूनीसेफ द्वारा 40 पायलट गांवों के सरपंच, सचिव, बिहान की सक्रिय महिला, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और पर्यवेक्षक, मितानिन पर्यवेक्षक, राजीव युवा मितान अध्यक्ष को प्रशिक्षित किया जाएगा कि ग्रामीणों को पोषण परामर्श कैसे प्रदान किया जाए।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के संबंध में बेमेतरा जनपद में प्रत्येक ग्राम संगठन की बैठक में पोषण पर चर्चा किया जायेगा। यहां संगठन प्रमुख की जिम्मेदारी होगी कि वह सदस्यों को अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में भेजने का महत्व बताए और उन्हें तिरंगा भोजन का महत्व बताए, यानी थाली में तिरंगे का रंग होना- सफेद चावल, दूध और अंडे के लिए है, हरा रंग हरी सब्जियों के लिए है और केसरिया या पीला दाल, छोले, सोयाबीन, मांस आदि के लिए है। हमारी थाली में तीनों रंगों का होना संतुलित आहार के लिए महत्वपूर्ण है। भोजन करने के पहले एवं भोजन करने के बाद हाथ धोने के महत्व के बारे में भी बताया जायेगा।