सरकारी टीचर की लड़की से लड़का बनने की कहानी : कहा- मैं शहीद की पोती हूं, कोई लड़की कहता तो चिढ़ होती थी

सरकारी टीचर की लड़की से लड़का बनने की कहानी : कहा- मैं शहीद की पोती हूं, कोई लड़की कहता तो चिढ़ होती थी

January 24, 2023 Off By NN Express

लखनऊ ,24 जनवरी I काकोरी कांड के बलिदानी ठाकुर रोशन सिंह की पोती सरिता सिंह अब शरद रोशन सिंह के नाम से जानी जाएंगी। जिस सपने को वो बचपन से पूरा करने की कोशिश कर रही थी वो पूरा हो गया है। जी हां…सरिता अपना जेंडर बदलवा कर शरद बन गई हैं। 12 साल की उम्र में उन्होंने लड़का बनने की ठान ली थी। इस काम के लिए उन्होंने कम उम्र में पैसा जोड़ना शुरू कर दिया था। आज 18 साल बाद 30 साल की उम्र में वो अपना ये सपना जी रही हैं। लड़की से लड़का बनने का ये सफर शरद ने दैनिक भास्कर के साथ साझा किया। उन्होंने कहा, “वो भी अपने दादा की तरह देश के लिए कुछ करना चाहते हैं, लेकिन वो एक पैर से दिव्यांग हैं। इसलिए सेना में तो जा नहीं पाए। लेकिन, सिविल एग्जाम पास करके वो देश सेवा का हिस्सा जरूर बनना चाहते हैं। शरद अभी सरकारी स्कूल में टीचर है। साथ ही सिविल एग्जाम की तैयारी भी कर रहे हैं।

शरद ने बताया, “जब से मैंने होश संभाला था, तब से मैं खुद को पसंद नहीं करता था। मेरे शरीर की हर चीज मुझको परेशान करती थी। घर में जब कोई मेरा नाम लेता तो गुस्सा आ जाता। जब कोई लड़की बोलता तो बहुत बुरा लगता था। मैं खुद नहीं समझ पाता था कि ये सब मेरे साथ क्यों हो रहा है। धीरे-धीरे उम्र बढ़ी तो समझ आने लगा कि कहीं तो कोई दिक्कत है। उन्होंने बताया, “उम्र के साथ लड़कियों वाली दिक्कतें शुरू हुईं, तो खुद से चिड़ होने लगी। महीने के 4 दिन कैसे कटते थे मैं बता नहीं सकता। मैं कभी फ्रॉक नहीं पहनता था। कोई लड़कियों वाले कपड़े नहीं पहनता था। घर में सब इस बात से परेशान थे कि मैं खुश क्यों नहीं रहता।

कहीं न कहीं उनको शक हो गया था। लेकिन, वो लोग पूछने की हिम्मत नहीं करते थे। फिर मैंने ही एक दिन सबके सामने अपनी बात रख दी। मैंने सबसे बोल दिया, मुझे लड़का बनना है और मैं ऑपरेशन करवाऊंगा।” शरद ने बताया, “पहले तो घरवाले इस बात के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे। लेकिन बाद में उनको मेरी बात माननी पड़ी। तब मेरी उम्र कुछ 15 साल के आस रही होगी। इतनी छोटी उम्र में ये काम नहीं हो सकता था। मुझे इंतजार करने के लिए बोला गया। लेकिन मैंने सोच लिया था जितने भी साल लगे लेकिन मैं तब तक लड़का बनकर ही रहूंगा। आज लड़का बनने के बाद मैं खुलकर सांस लेता हूं।


इसी बीच मेरी जिंदगी में एक लड़की भी आई। उस समय मैं भी लड़की थी। लेकिन, मेरे लुक को देखकर वो ये बात समझ नहीं पाई थी। मैंने अपना रिलेशन शुरू करने से पहले उसको सच बता दिया। उसको इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी। मैंने उसको बता दिया था कि मैं कुछ समय बाद लड़का बन जाऊंगा। उसके बाद से मैं उसे लड़के की तरह डेट करने लगा। उसके साथ घूमता फिरता। साथ में समय बीताता। घर के लोग भी मेरे रिलेशन के बारे में जानते थे। आज 15 साल हो गए हैं और वो मेरे साथ है और हम दोनों बहुत खुश हैं। जल्द ही शादी भी होगी।

शरद ने कहा, “मैं जब पढ़ने के लिए स्कूल जाता था, तो मेरी दोस्ती लड़कों से ज्यादा रहती थी। लड़कियों से मैं कम बात करता था। मेरा घर आना-जाना सब लड़कों के साथ होता था। मैं उन्हीं के साथ घूमने भी जाया करता था। कई लड़कियों ने इस बीच मेरा लुक देखकर मुझे प्रपोज भी किया। लेकिन, मैंने जब उनको अपनी सच्चाई बताई, तो उन्होंने दोस्ती से भी मना कर दिया। लेकिन मुझे इन बातों से फर्क नहीं पड़ता था। मैं भले उस समय लड़की था। लेकिन, अपनी गर्लफ्रेंड के साथ खुश रहती थी। धीरे-धीरे स्कूल में भी सब लोग ये बात जान गए।”

उन्होंने कहा, ” अपनी 30 साल की जिंदगी में मैंने कभी भी लड़कियों का कोई सामान इस्तेमाल नहीं किया। यहां तक की स्कूल भी पैंट-शर्ट पहनकर जाता था। स्कूल में मैंने टीचर्स से बात कर ली थी। इसलिए वो भी मना नहीं करती थी। मैंने हमेशा से एक लड़के की तरह ही रहती थी। साल 2019 में जेंडर एक्ट में जेंडर परिवर्तन का अधिकार मिलने के बाद ऐसा लगा जैसे भगवान भी मेरे साथ हैं।”

शरद ने बताया, “इस काम में करीब 15 लाख का खर्चा आना था, लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं थे। साल 2020 में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी मिल गई। वहां से मेरा मन थोड़ा मजबूत हुआ। मैंने अपनी कमाई से पैसे बचाने शुरू किए।2 साल पहले मेरा फिजिकली लड़का बनना शुरू हुआ है। इंदौर में मैंने इसके लिए ऑपरेशन करवाया है। अभी 2 ऑपरेशन होना बचे हैं। लखनऊ में मेरी हार्मोन थेरेपी होती है। जिसकी वजह से मेरे शरीर में बदलाव आ रहा है। मेरे दाढ़ी और मूंछ भी धीरे-धीरे आ रही है। अभी तक इस काम के लिए मेरे 12 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।”

शरद आगे बताते हैं, “धीरे-धीरे मेरा लड़का बनने वाली खबर पूरे गांव में फैलने लगी। गांव के लोगों को जब पता चला, तो वो लोग मेरा विरोध करने लगे। उन्होंने कहा, ऐसा काम सीधे भगवान को चुनौती देना है। जो चीज भगवान ने करके भेजी है उसमें बदलाव नहीं करना चाहिए। हालांकि मैं सब कुछ पहले ही ठान चुका था। इसलिए इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। कुछ लोगों ने तो मुझसे बात करना भी बंद कर दिया। लेकिन मुझे बुरा नहीं लगा। मुझे पता है लोग कुछ दिनों तक बात करेंगे फिर नॉर्मल हो जाएंगे।”

शरद ने कहा, “पहले वो लोग 5 बहन और 1 भाई थे लेकिन अब घर में 2 भाई और 4 बहन हो गई हैं। अब मेरे परिवार के लोग भी मुझसे खुश रहते हैं। सर्जरी पूरी तरह से कंपलीट होने के बाद मैं शादी भी कर लूंगा।” मामले में डीएम ने शुरुआती चरण का सर्टिफिकेट देकर शरद नाम की नई पहचान भी दे दी। वहीं जिला समाज कल्याण अधिकारी राजेश कुमार ने बताया, “आवेदन दिया गया था। जिसमें लिंग परिवर्तन का सर्टिफिकेट देने के लिए कहा गया था। आवेदन पर विचार किया जा रहा है। विचार करने के बाद आदेशानुसार कार्रवाई होगी।”