वकीलों का अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू….अदालतों में जिरह न गवाही, सिर्फ मिली तारीख….
January 9, 2023राँची ,09 जनवरी I झारखंड बार कौंसिल के आह्वान राज्य के वकीलों का अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू हो गया. करीब 35 हजार वकीलों ने अपने को न्यायिक कार्य से खुद को अलग रखा और न्यायालय कक्ष में नहीं गए. हाईकोर्ट में महाधिवक्ता समेत सभी सरकारी अधिकारी न्यायलय कक्ष में गए. एक-दो गैर सरकारी अधिवक्ता ने भी कोर्ट जाकर अगली तारीख देने का अदालत से आग्रह किया. जिला अदालतों में सरकारी वकील भी अदालतों में नहीं गए. वकीलों के न्यायिक कार्य नहीं करने से अदालतों में न जिरह हुई और न गवाही. सभी मामलों में सिर्फ तारीख मिली I
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न्यायालय कक्ष में जज बैठे और सभी मामलों में तारीख देते रहे. सभी जिलों के बार संघों ने अपने-अपने जिलों की अदालतों में बार कौंसिल के निर्णय का हवाला देते हुए न्यायिक कार्य नहीं करने की जानकारी दी और अदालत से वकील के अनुपस्थित रहने पर कोई प्रतिकूल आदेश जारी नहीं करने का आग्रह किया. कोर्ट फी कम करने, अधिवक्ता सुरक्षा कानून लागू करने और अन्य मांगों को लेकर झारखंड बार कौंसिल ने अनिश्चितकाल तक न्यायिक कार्य नहीं करने का निर्णय लिया है. कौंसिल ने सभी जिलों के बार संघों के अध्यक्ष और सचिवों के साथ बैठक बुलायी है. इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी I
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बार कौंसिल की घोषणा के बाद राज्य के सभी जिलों के निचली अदालतों में इसका पूरा असर देखा गया. हर दिन वकीलों और मुवक्किलों से भरे रहना बाला बार भवन वीरान रहा. कई वकील तो कोर्ट भी नहीं पहुंचे. कुछ वकील बिना यूनिफॉर्म के पहुंचे थे. सभी वकील बार भवन में बैठे रहे और कुछ देर बाद वापस लौट गए झारखंड बार कौंसिल ने कहा है कि प्राय शत-प्रतिशत वकील न्यायिक कार्य से अलग हैं. फिर भी सभी जिलों के बार संघों से इसकी रिपोर्ट मांगी जा रही है. जो भी वकील कौंसिल के निर्णय के खिलाफ गए होंगे, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. कौंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि सभी जिलों के बार संघों के अध्यक्ष और सचिवों की बैठक बुलायी गई है. इसमे आगे की रणनीति तय की जाएगी I
हाईकोर्ट में सरकारी वकीलों ने कार्य किया
हाईकोर्ट में सरकारी वकील सामान्य दिनों की तरह न्यायालय की कार्यवाही में शामिल हुए. महाधिवक्ता ने सभी सरकारी वकीलों को न्यायिक कार्य से अलग नहीं रहने का निर्देश दिया था. महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि कोर्ट फीस बढ़ोतरी का मामला जब हाईकोर्ट में लंबित है, तो इस मामले में कोर्ट से बाहर लड़ाई लड़ना उचित नहीं है. हाईकोर्ट में कुछ गैर सरकारी वकीलों के भी अदालत कक्ष जाकर मामले में अगली तिथि देने का आग्रह भी किया. ऐसे वकीलों की संख्या काफी कम थी.